लघुकथाएँ (भाग-6) : ख़लील जिब्रान-अनुवाद: सुकेश साहनी

Laghukathayen (Part-6) : Khalil Gibran

अपनी-अपनी पूंजी

चैराहे पर एक गरीब कवि और धनी मूर्ख की मुलाकात हुई और वे आपस में बातचीत करने लगे। उनकी बातों से स्पष्ट था कि वे अपने-अपने काम से संतुष्ट नहीं थे और एक दूसरे की उपलब्धियों को अधिक महत्त्वपूर्ण समझ रहे थे।
तभी वहाँ से गुज़र रहे देवदूत ने उन दोनों के कंधों पर धीरे से हाथ रख दिया। ऐसा, करते ही विचित्र बात हुई-दोनों व्यक्तियों की अब तक की उपलब्धियों की अदला-बदली हो गई.
वे दोनों अपने-अपने रास्ते पर चले गए.
आश्चर्य की बात यह थी कि कवि महसूस कर रहा था कि उसके हाथ खिसकती बालू के अलावा और कुछ नहीं लगा। दूसरी ओर मूर्ख ने आँख बन्द की और महसूस किया कि उसके पास दिल में घुमड़ते बादलों के अलावा कुछ भी नहीं है।

जागते हुए

उस आदमी ने एक स्वप्न देखा। जागते ही वह सीधे भविष्यवक्ता के पास गया और उस सपने का मतलब पूछने लगा।
ज्योतिषी ने उस आदमी से कहा, "जाग्रत अवस्था में देखे गए स्वप्नों के साथ मेरे पास आओ, तब मैं तुम्हें मतलब बता पाऊंगा। तुम्हारे सोते में देखे गए स्वप्न मेरी बुद्धि और तुम्हारी कल्पना से परे की चीज है।"

आदत

मेरे पिताजी के बाग में दो पिंजड़े हैं। एक में शेर है, जिसे मेरे पिता के दास नातिवा के रेगिस्तान से पकड़कर लाए थे और दूसरे में एक चिड़िया।
प्रतिदिन सुबह चिड़िया शेर से कहती है, "कैदी भैया जी! गुड मार्निग टू यू!"

जमाखोर

एक आदमी के पास सुइयों का बहुत बड़ा भण्डार था। एक दिन पड़ोस की एक महिला ने उसके पास आकर कहा, "भैया! मेरे बेटे के कपड़े फट गए हैं। उसके मन्दिर जाने के पहले मैं कपड़े सिल देना चाहती हूँ। क्या तुम मुझे थोड़ी देर के लिए एक सुई दोगे?"
उस व्यक्ति ने महिला को सुई तो नहीं दी पर लेन-देन को लेकर भारी भरकम भाषण सुना दिया और ताकीद की कि बेटे को भी मन्दिर जाने से पहले यह भाषण अवश्य सुना दे।

आरोही

(एक)
हम सभी उस पवित्र पर्वत की चोटी पर पहुँचना चाह रहे हैं। क्या हमारा रास्ता छोटा नहीं हो जाएगा अगर हम अपने अतीत को मार्गदर्शक न मानकर एक मानचित्र समझें?

(दो)
हम सभी अपने दिलों में छिपी असीम इच्छाओं के शिखर पर चढ़ रहे हैं। ऐसे में यदि कोई सहयात्री हमारी पीठ पर लदे सामान में से कुछ चुरा लेता है तो हमें उस पर तरस खाना चाहिए क्योंकि इससे हमारा भार कुछ कम ही होगा।
जबकि इस चोरी से उसकी चढ़ाई और भी कठिन और रास्ता लम्बा हो जाएगा।
यदि आप उसे बुरी तरह हांफते हुए देखें तो उसे चढ़ने में थोड़ी-सी मदद करें, इससे आपकी चाल में और तेजी आ जाएगी।

विडंबना

एक बार मैंने एक नाले से समुद्र का जिक्र किया तो नाले ने मुझे अतिवादी और गप्पी समझा।
और एक दिन जब मैंने समुद्र से नाले का जिक्र किया तो उसने मुझे पर-निदंक और नीच समझा।

गहराई

जब ईश्वर ने मुझे एक कंकड़ी के रूप में संसार रूपी इस अद्भुत झील में फेंका तो मैंने असंख्य लहरों से इसकी शान्त सतह को अस्त-व्यस्त कर दिया।
लेकिन जब में इसकी गहराइयों में उतरा तो एकदम शान्त हो गया।

पंख

कितने कुंठित है आप! न जाने कितने लोग आपके पंखों की बदौलत उड़ते हैं और माँगने पर आप उन्हें एक पंख भी नहीं देना चाहते।

उड़ान

वे मुझे कहते हैं, "झाड़ी में उलझी दस चिड़ियों की तुलना में हाथ आई एक चिड़िया अधिक मूल्यवान है।"
पर मैं कहता हूँ, "झाड़ी की एक चिड़िया और उसका पंख, हाथ की दस चिड़ियों से अधिक मूल्यवान है।"
वस्तुतः झाड़ी के उस पंख की खोज ही जीवन की वास्तविक उड़ान है बल्कि पंख अपने आप में एक जीवन है।

अच्छाई

एक निर्जन पहाड़ पर दो साधु रहते थे। वे दोनों ईश्वर की पूजा करते और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। उनके पास मिट्टी का एक कटोरा था और यही उनकी पूँजी थी।
एक दिन बूढ़े साधु के मन में कुछ आया और वह छोटे साधु के पास आकर बोला, "हम लोगों को साथ-साथ रहते बहुत समय हो रहा है, अब हमें अलग हो जाना चाहिए. हमें अपनी पूंजी बाँट लेनी चाहिए."
सुनकर छोटा साधु उदास हो गया, उसने कहा, "आपके जाने की बात सोचकर ही मुझे कष्ट हो रहा है, फिर भी यदि आपका जाना ज़रूरी है तो कोई बात नहीं।" इतना कहकर वह कटोरा उठा लाया और बड़े साधु को देते हुए बोला, "भैया, इसे हम बाँट नहीं सकते, आप ही रख लो।"
बड़े साधु ने कहा, "मुझे भीख नहीं चाहिए, मैं केवल अपना हिस्सा लूँगा, इसे बांटना ही चाहिए."
छोटे साधु ने दोहराया, "मैं वही लूँगा जो न्यायपूर्वक मेरे हिस्से में आता है, मैं यह नहीं चाहता कि न्याय को भाग्य भरोसे छोड़े दें। यह प्याला बाँटा ही जाना चाहिए."
इस पर छोटे साधु को कोई उत्तर नहीं सूझा। थोड़ी देर बाद उसने कहा, "अगर आपको कोई विकल्प मंजूर नहीं है तो क्यों न इस झगड़े की जड़ कटोरे को तोड़कर नष्ट ही कर दें।"
यह सुनकर बड़ा साधु आग बबूला हो गया, "ओ नामर्द! कायर! तू मुझसे झगड़ता क्यों नहीं!"

सिलसिला

(एक)
वर्षो पहले मैं एक आदमी को जानता था जिसके कान ज़रूरत से ज़्यादा तेज थे, पर वह गूंगा था। दरअसल उसकी जीभ एक लड़ाई में काट ली गई थी।
अब मुझे पता चला कि उस महत्त्वपूर्ण खामोशी से पहले उस आदमी ने कैसी-कैसी लड़ाइयाँ लड़ीं। मुझे खुशी है कि वह मर गया है।
हम दोनों के लिए यह संसार कितना छोटा है।

(दो)
वर्षो पहले एक आदमी को अत्यधिक लोकप्रिय होने की वजह से सूली पर चढ़ा दिया गया था।
ताज्जुब की बात यह है कि कल मैं उससे तीन बार मिला
पहली बार वह एक वेश्या को जेल न ले जाने की बात पर एक पुलिसवाले से भिड़ा हुआ था।
दूसरी बार वह एक दलित व्यक्ति के जाम से जाम टकरा रहा था।
तीसरी बार वह धर्मस्थल में एक समाज सुधारक के साथ हाथापाई पर आमादा था।

ऊँचाई-2

(एक)
आपने पवित्र पर्वत के बारे में ज़रूर सुना होगा।
यह संसार का सबसे ऊंचा पर्वत है।
अगर आप उसकी चोटी पर पहुंच सकें तो आपकी एक ही इच्छा होगी कि वहाँ से उतरें और जीवन की मुख्य धारा से जुड़े लोगों के साथ घाटी में रहने लगें।

(दो)
अगर आप बादल पर बैठ सकें तो एक देश से दूसरे देश को अलग करने वाली सीमा रेखा आपको कहीं दिखाई नहीं देगी और न ही खेत से दूसरे को अलग करने वाला पत्थर ही नजर आएगा।
च्च...च...च...आप बादल पर बैठना ही नहीं जानते!

मेजबान

(एक)
उन्होंने हमारे सामने सोना-चाँदी, हीरे-जवाहरात बिछा दिए और हमने उनके लिए अपने दिलों के दरवाजे़ खोल दिए.
परन्तु फिर भी वे खुद को मेज़बानों में गिनते हैं और हमें मेहमानों में।

(दो)
मैंने अपने अतिथि को दरवाजे पर ही रोकते हुए कहा, " नहीं भीतर आते समय पैर पोंछने की ज़रूरत नहीं है, जाते समय इन्हें पोंछ के जाइएगा।

दूसरा आदमी

(एक)
दूसरे आदमी की असलियत उसमें नहीं है जो वह आपसे कहता है बल्कि सच्चाई उसमें है जो वह चाहकर भी आपसे नहीं कह पाता।
इसलिए यदि आप दूसरे आदमी को जानना चाहते हैं तो उसकी उन बातों को सुनिए जो वह आपसे नहीं करता न कि उन बातों को जो वह आपसे करता है।

(दो)
आपकी सबसे चमकीली पोशाक वह है जिसे दूसरे आदमी ने बुना है।
आपका सबसे प्रिय भोजन वह है जो आप दूसरे आदमी के मेज़ पर बैठकर खाते हैं।
आपका सबसे आरामदायक बिस्तर दूसरे के घर में है।
अब आप ही बताएँ...किस तरह आप खुद को दूसरे आदमी से अलग रख सकते हैं।

सुरक्षित

स्वर्ग वहाँ है...बिल्कुल मेरे करीब, उस कमरे में—दरवाजे के भीतर, लेकिन मैंने उसकी चाबी खो दी है।
दरअसल मैंने खुद ही चाबी को ऐसी जगह रख दिया है कि आसानी से हाथ न आए.

प्रार्थना

हे ईश्वर! मेरा कोई शत्रु नहीं है। यदि भविष्य में मेरा कोई शत्रु हो जाए तो उसे खूब नाप जोख कर मेरे जितना ही बलशाली बनाना ताकि अंत में जीत सच्चाई की हो।

लोरियाँ

हम प्रायः अपने बच्चों को लोरियाँ गाकर इसलिए सुलाते हैं ताकि हम खुद चैन से सो सकें।

टर्र-टर्र

यह सही है कि मेंढ़क बैलों की अपेक्षा अधिक शोर कर सकते हैं लेकिन वे खेतों में हल नहीं चला सकते और न ही कोल्हू के चक्के को घुमा सकते हैं और उनकी चमड़ी से जूते भी नहीं बन सकते।

दौड़

दुर्गन्ध छोड़ने वाले कीड़े (स्केन्क) ने गुलाब से कहा, "देखो! मैं कितना तेज दौड़ता हूँ जबकि तुम चलना तो दूर रेंग भी नहीं सकते!"
गुलाब ने कीड़े से कहा, "ओ तेज दौड़ने वाले महान मित्र! प्लीज़, ज़रा और तेज दौड़ो!"

टीचर्स

मैंने बातूनी आदमी से चुप रहना, झगड़ालू आदमी से धीरज रखना और क्रूर आदमी से दयालुता सीखी है परन्तु आश्चर्य...मैं इन तमाम गुरुओं के प्रति कितना नाशुक्रा हूँ!

अजनबी

(एक)
दोस्त! हम ज़िन्दगी भर एक दूसरे के लिए अपरिचित ही बने रहेंगे क्योंकि तुम बोलते रहोगे और मैं तुम्हारी आवाज को अपनी आवाज समझकर सुनता रहूंगा। मैं तुम्हारे सामने खड़े होकर यह समझता रहूंगा कि मैं एक दर्पण के सामने खड़ा हूँ।

(दो)
हम असंख्य सूर्यों की गति से समय का अनुमान लगाते हैं जबकि वे अपनी जेबों में रक्खी छोटी-सी घड़ी (मशीन) से समय की गणना करते हैं।
अब आप ही बताइए क्या हम कभी भी नियत समय और स्थान पर मिल सकते हैं?

पहली बार

जून के महीने में घास ने एक पेड़ की छाया से कहा, "तुम एक जगह टिक कर क्यों नहीं बैठती हो? तुम्हारे दाएं-बाएँ आने जाने से मुझे बहुत परेशानी होती है।"
घास ने उत्तर दिया, "मैं नहीं हिलती...आसमान की ओर देखो, वह जो पेड़ है वही हवा में पूरब से पश्चिम की ओर सूरज और धरती के बीच झूम रहा है।"
घास ने ऊपर की ओर देखा, जीवन में पहली बार उसने किसी वृक्ष को देखा। उसने मन ही मन कहा, 'ऐसी कोई खास चीज नहीं है, तो घास ही-बस मुझसे ज़रा बड़ी है।'
उसके बाद घास ने छाया से कुछ नहीं कहा।

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