तीन छोटे सूअर : ब्रिटेन की लोक-कथा

Three Little Pigs : British Folk Tale

एक बार की बात है कि तीन छोटे सूअर अपनी माँ के साथ रहते थे। एक दिन उनकी माँ ने उनसे कहा — “अब तुम लोग मेरे घर में रहने के लिये काफी बड़े हो गये हो सो अब तुमको अपना अपना घर बना लेना चाहिये।”

उसने उनको चूमा और कहा कि वे हमेशा बड़े बुरे भेड़िये से बच कर रहें। सो वे सूअर अपनी माँ का घर छोड़ कर चल दिये।

जाते जाते उनको एक आदमी मिला जो एक गाड़ी में भूसा भर कर ले जा रहा था। उसको देख कर पहले छोटे सूअर ने उससे कहा — “तुम मुझे अपना भूसा बेच दो मैं उससे अपना घर बनाऊँगा।”

उस आदमी ने उसको अपना भूसा बेच दिया। भूसे से मजबूत घर तो नहीं बनता पर वह सस्ता था। इस तरह से पहले छोटे सूअर ने सस्ता सा भूसे का घर बना लिया और उसमें रहने लगा। अब उसके पास खाने के लिये काफी पैसा बच रहा।

आगे चल कर दूसरे छोटे सूअर ने भी एक आदमी देखा जो अपनी गाड़ी में डंडियाँ भर कर ले जा रहा था। वह उससे बोला — “तुम मुझे अपनी डंडियाँ बेच दो मैं इनसे अपना घर बनाऊँगा।”

इस आदमी ने इस दूसरे छोटे सूअर को अपनी डंडियाँ बेच दीं। अब डंडियाँ भी कोई बहुत मजबूत घर तो बनाती नहीं पर फिर भी वे भी सस्ती थीं।

सो दूसरे छोटे सूअर ने अपना घर डंडियों से बनाया। यह घर भी सस्ते में बन गया और इसके पास भी काफी पैसा खाने और सोडा पीने के लिये बच गया।

तीसरे छोटे सूअर ने भी एक आदमी देखा जो अपनी गाड़ी में ईंटें भर कर ले जा रहा था। उसने उससे कहा — “क्या तुम मुझे अपनी ये ईंटें बेचोगे? मैं इनसे अपना घर बनाऊँगा।”

उस आदमी ने उसको अपनी ईंटें बेच दीं सो तीसरे छोटे सूअर ने अपना घर ईंटों का बनाया।

ईंटों के घर मजबूत बनते हैं पर ईंटें होती भी बहुत मँहगी हैं। सो इस तीसरे छोटे सूअर को अपना ईंटों का घर बनाने के लिये अपना सारा पैसा खर्च कर देना पड़ा।

अब उसका घर तो नजबूत था पर उसके पास खाने के लिये कोई पैसा नहीं बचा था। खाना लेने के लिये अब उसको बाहर जाना पड़ता था।

खाने के लिये वह जंगली जड़ें, प्याज़ मुशरूम आदि ले आता था और उन्हीं को खाता था। ये सब चीजें उसकी तन्दुरुस्ती के लिये बहुत ही फायदेमन्द थीं।

सो अब तीनों छोटे सूअर अपने अपने घरों में आराम से रह रहे थे कि एक दिन वह बड़ा बुरा भेड़िया पहले वाले सूअर के घर आया और उसके घर का दरवाजा खटखटाया और बोला — “ओ छोटे सूअर, ओ छोटे सूअर, मुझे अपने घर के अन्दर आने दो।”

छोटे सूअर ने जवाब दिया — “नहीं नहीं, मेरी छोटी ठोड़ी के बालों की कसम, नहीं नहीं।”

भेड़िया बोला — “अगर तुम मुझे अन्दर नहीं आने दोगे तो मैं अपने मुँह से बहुत सारी हवा फेंकूँगा और तुम्हारा घर उड़ा कर नीचे गिरा दूँगा।”

छोटे सूअर ने कहा — “तुम जो चाहे करो पर मैं दरवाजा नहीं खोलूँगा।”

और उस छोटे सूअर ने अपने घर का दरवाजा नहीं खोला।

तब भेड़िये ने अपने मुँह से बहुत ज़ोर की हवा फेंकी और उसका भूसे का घर हवा में उड़ा कर गिरा दिया। पहला छोटा सूअर जितनी जल्दी भाग सकता था उतनी जल्दी भाग कर अपने छोटे भाई के डंडियों वाले घर में चला गया।

जैसे ही उसने घर में घुस कर घर का दरवाजा बन्द किया वह बड़ा बुरा भेड़िया भी उसके पीछे पीछे वहीं आ पहुँचा।

उसने उस दूसरे सूअर के घर का दरवाजा भी खटखटाया और बोला — “ओ छोटे सूअरों, ओ छोटे सूअरों, दरवाजा खोलो और मुझे घर के अन्दर आने दो।”

दोनों सूअरों ने एक आवाज में जवाब दिया — “नहीं नहीं, हमारी छोटी ठोड़ी के बालों की कसम, नहीं नहीं।”

भेड़िया बोला — “अगर तुम लोग मुझे अन्दर नहीं आने दोगे तो मैं अपने मुँह से बहुत सारी हवा फेंकूँगा और तुम्हारा घर उड़ा कर नीचे गिरा दूँगा।”

दोनों छोटे सूअरों ने कहा — “तुम जो चाहे करो पर हम तुम्हारे लिये दरवाजा नहीं खोलेंगे।”

और उन दोनों छोटे सूअरों ने अपने घर का दरवाजा नहीं खोला।

भेड़िये ने अपने मुँह से बहुत ज़ोर की हवा फेंकी और उस दूसरे छोटे सूअर का डंडियों का घर भी हवा में उड़ा कर गिरा दिया।

दोनों छोटे सूअर भाई भी जितनी जल्दी वहाँ से भाग सकते थे अपने तीसरे सबसे छोटे भाई के ईंटों वाले घर में भाग गये।

जैसे ही उन दोनों ने अपने तीसरे भाई के घर में घुस कर उसके घर का दरवाजा बन्द किया कि वह बड़ा बुरा भेड़िया उनके पीछे पीछे वहाँ भी आ पहुँचा।

सो उसने फिर तीसरे सूअर के घर का दरवाजा खटखटाया और बोला — “ओ छोटे सूअरों, ओ छोटे सूअरों, दरवाजा खोलो और मुझे घर के अन्दर आने दो।”

तीनों सूअरों ने एक आवाज में जवाब दिया — “नहीं नहीं, हमारी छोटी ठोड़ी के बालों की कसम, नहीं नहीं।”

भेड़िया बोला — “अगर तुम लोग मुझे अन्दर नहीं आने दोगे तो मैं अपने मुँह से बहुत सारी हवा फेंकूँगा और तुम्हारा घर उड़ा कर नीचे गिरा दूँगा।”

उन तीनों छोटे सूअरों ने कहा — “तुम जो चाहे करो पर हम तुम्हारे लिये दरवाजा नहीं खोलेंगे।”

और उन तीनों छोटे सूअरों ने अपने घर का दरवाजा नहीं खोला।

भेड़िये ने अपने मुँह से बहुत ज़ोर की हवा फेंकी पर वह उनका ईंटों का घर हवा में नहीं उड़ा सका। उसने ऐसा कई बार किया पर फिर भी वह उनका घर हवा में नहीं उड़ा सका।

सो उसने अब की बार दूसरी चाल खेली। उसने उनके लिये बहुत ही अच्छा बनने की कोशिश की।

वह बोला — “ओ छोटे सूअरों, मुझे मालूम है कि बहुत ही बढ़िया शलगम का खेत कहाँ है।”

तीनों सूअर एक साथ बोले — “कहाँ है वह?”

भेड़िया चालाकी से बोला — “वह तो उस पहाड़ी के दूसरी तरफ है। मैं कल आऊँगा और तब हम सब एक साथ वहाँ चल कर वहाँ से शलगम ला सकते हैं।”

सूअर बोले — “ठीक है। हम लोग तैयार रहेंगे। तुम कब आओगे?”

भेड़िया बोला — “सुबह छह बजे।”

पर तीनों छोटे सूअर अगले दिन सुबह पाँच बजे ही उठ गये और भेड़िये के आने से पहले ही वहाँ से शलगम ले आये।

जब छह बजे तो भेड़िया आया और बोला — “छोटे सूअरों आओ चलो चलें, मैं तुम लोगों के साथ शलगम तोड़ने के लिये ले जाने के लिये आ गया हूँ।”

तीनों सूअर बोले — “हम लोग वहाँ गये थे और शलगम तोड़ कर वापस भी आ गये हैं। अब हम उनको अपने शाम के खाने के लिये पका रहे हैं।”

यह सुन कर भेड़िया बहुत गुस्सा हुआ। वह उन तीनों सूअरों को खा जाना चाहता था सो वह उनके घर की छत पर चढ़ गया। वहाँ से वह उनके घर की चिमनी के रास्ते उनके घर में घुसना चाहता था।

पर तीनों छोटे सूअरों ने यह सुन लिया कि वह उनकी छत पर है सो उन्होंने चिमनी के नीचे उबलते पानी का एक बड़ा सा बरतन रख दिया।

जैसे ही वह भेड़िया चिमनी में से नीचे आ रहा था कि सूअरों ने उस बरतन का ढक्कन खोल दिया और भेड़िया उस उबलते पानी में गिर पड़ा। वह चीखा और फिर से चिमनी में ऊपर की तरफ चढ़ गया।

वहाँ से वह चीखता हुआ बाहर भाग गया और फिर वह वहाँ कभी नहीं देखा गया। वह अभी तक भी चीखता हुआ सुना जाता है। तीनों सूअर फिर आराम से रहते रहे।

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