दयालु राजकुमार : पोलैंड/पोलिश की लोक-कथा

Prince Kindhearted : Poland Folktale/Folklore

एक बार की बात है कि पोलैंड देश में एक राजा राज करता था। उसके एक ही बेटा था जिसका नाम था दयालु राजकुमार। जब वह बीस साल का हुआ तो उसने अपने पिता से कहा कि वह बाहर घूमने जाना चाहता है।

उसके पिता ने उसको यात्रा के लिये तैयार कर दिया। उसको एक बहुत बढ़िया घोड़ा दिया सवारी के लिये और एक खास नौकर दिया उसकी रक्षा के लिये और अपने आशीर्वाद के साथ उसको विदा किया।

राजकुमार ने अपने पिता से विदा ली, घोड़े पर सवार हुआ और अपनी विदेश यात्रा पर निकल पड़ा। वह कई देश गया, भगवान की बनायी दुनियाँ देखने के लिये, बहुत कुछ सीखने के लिये और एक अक्लमन्द और एक बेहतर आदमी बन कर घर लौटने के लिये।

एक बार राजकुमार एक शान्त मैदान से गुजर रहा था कि उसको एक गरुड़ एक हंस का पीछा करता दिखायी दे गया। गरुड़ ने उस हंस को करीब करीब पकड़ ही लिया था कि राजकुमार ने उस गरुड़ को अपनी गोली का निशाना बना दिया।

गरुड़ मर गया और हंस नीचे आ गया। हंस बोला — “दयालु राजकुमार, तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। यह हंस नहीं है जो तुम्हें धन्यवाद दे रहा है बल्कि यह अदृश्य नाइट की लड़की है जो तुम्हें धन्यवाद दे रही है। और तुमने उसको एक गरुड़ के पंजे से नहीं बल्कि एक नीच जादूगर राजा कोश्चेव के पंजे से बचाया है।

मेरे पिता तुमको तुम्हारी सेवा के लिये तुम्हें बहुत कुछ देंगे। याद रखना जब भी कभी तुम किसी परेशानी में हो या तुम्हें किसी चीज़ की जरूरत हो तो तुम तीन बार कहना “ओ अदृश्य नाइट, मेरी सहायता करो। ओ अदृश्य नाइट, मेरी सहायता करो। ओ अदृश्य नाइट, मेरी सहायता करो।” तो वह जरूर आयेगा और तुम्हारी सहायता करेगा।

वह हंस यह कह कर तुरन्त ही उड़ गया। राजकुमार उसको देखता रह गया और जब तक देखता रहा जब तक वह उसकी आँखों से ओझल नहीं हो गया। वह अपनी यात्रा पर फिर से चल दिया।

उसने बहुत सारे ऊँचे ऊँचे पहाड़ पार किये, गहरी नदियों से हो कर गुजरा, कई देशों को पार किया। आखिर में वह एक ऐसे रेगिस्तान में आ गया जहाँ वह केवल आसमान और दूर तक फैला हुआ रेत ही देख सकता था।

वहाँ कोई आदमी नहीं रहता था, किसी ने किसी जानवर की आवाज भी नहीं सुनी थी, कोई पेड़ पौधा भी दिखायी नहीं देता था। सूरज अपनी पूरी तेज़ी से चमक रहा था और वहाँ कहीं पानी भी नहीं दिखायी देता था।

क्योंकि राजकुमार इधर उधर जा कर बहुत सारी जगह देखने के लिये बहुत उत्सुक था पर उसको इस बात का अन्दाज ही नहीं था कि वहाँ कितना सूखा था सो वह रेगिस्तान में अन्दर की तरफ चलता गया और चलता गया।

सूरज बहुत ज़ोर से चमक रहा था। गर्मी बढ़ गयी थी सो कुछ समय बाद राजकुमार को प्यास लग आयी तो पानी की तलाश में उसने अपने नौकर को एक तरफ भेजा और खुद दूसरी तरफ चल दिया। काफी दूर जाने के बाद उसे एक कुँआ दिखायी दिया।

वह वहीं दूर से ही चिल्लाया — “वापस आ जाओ मुझे पानी की जगह मिल गयी है।”

वह और उसका नौकर दोनों ही उस कुँए को उस रेगिस्तान में देख कर बहुत खुश थे पर थोड़ी ही देर में उनकी खुशी गायब हो गयी क्योंकि उनके पास पानी निकालने के लिये तो कुछ था ही नहीं।

राजकुमार ने अपने नौकर से कहा — “ऐसा करो कि तुम घोड़े से उतरो। मैं तुमको एक लम्बी रस्सी से इस कुँए में नीचे उतारता हूँ और फिर तुम उसका पानी ऊपर ले आना।”

नौकर बोला — “नहीं राजकुमार, मैं आपसे ज़्यादा भारी हूँ और आप मुझे नहीं सँभाल पायेंगे इसलिये मैं रस्सी पकड़ता हूँ और आपको कुँए में नीचे उतारता हूँ।”

सो राजकुमार ने अपनी कमर में रस्सी बाँध ली और कुँए में नीचे उतर गया। वहाँ जा कर उसने ठंडा पानी पिया और कुछ पानी अपने नौकर के लिये ले कर नौकर को यह बताने के लिये कि वह अब रस्सी ऊपर खींच ले रस्सी को थोड़ा सा झटका दिया।

लेकिन बजाय राजकुमार को ऊपर खींचने के नौकर बोला — “सुनो ओ राजकुमार, बचपन से ले कर अब तक तुम शाही ज़िन्दगी जीते रहे हो। तुमने सारे सुख भोगे हैं। सबका प्यार पाया है। और मैंने अपनी सारी ज़िन्दगी बदकिस्मती की ज़िन्दगी जी है।

अब तुम मेरा नौकर बनने के लिये राजी हो और मैं राजकुमार तभी मैं तुमको इस कुँए में से निकालूँगा वरना अपनी आखिरी प्रार्थना कर लो क्योंकि अब मैं तुम्हें डुबोने जा रहा हूँ।”

राजकुमार तो यह सुन कर सकते में आ गया। वह गिड़गिड़ाया — “मेरे प्यारे नौकर, तुम मुझे इस तरह मत डुबोओ क्योंकि मुझे डुबोने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। तुम्हें मेरे जैसा अच्छा मालिक कहीं नहीं मिलेगा। और तुम्हें यह भी मालूम है कि कत्ल करने वाले की दूसरी दुनियाँ में क्या सजा होती है।”

नौकर बोला — “मुझे दूसरी दुनियाँ में जो कुछ मिलेगा मैं वह सह लूँगा पर इस दुनियाँ में तो मैं तुमको दुख दे कर ही रहूँगा।” कह कर उसने रस्सी ढीली करनी शुरू कर दी।

राजकुमार नीचे से चीखा — “रुक जाओ, रुक जाओ। मैं तुम्हारा नौकर और तुम मेरे राजकुमार। यह मेरा वायदा है।”

नौकर बोला — “मुझे तुम्हारी बातों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। कसम खाओ कि तुमने अभी जो कुछ कहा है वह तुम मुझे लिख कर दोगे। क्योंकि तुम्हारे शब्द तो हवा में खो गये पर लिखा हुआ तो हम लोगों के लिये हमेशा रहेगा।”

राजकुमार बोला — “मैं कसम खाता हूँ कि यह मैं तुमको लिख कर भी दूँगा।”

नौकर ने तुरन्त ही एक कागज और एक पेन्सिल कुँए में फेंक दी और राजकुमार से कहा — “लो, लिखो इस कागज पर कि “इस कागज को लाने वाला लड़का दयालु राजकुमार है जो अपने नौकर के साथ यात्रा कर रहा है जो उसके पिता के राज्य का एक मामूली नागरिक है।”

यह नोट लिख कर राजकुमार ने उस कागज को ऊपर भेज दिया। नौकर ने वह नोट पढ़ा और राजकुमार को ऊपर खींच लिया। उसने राजकुमार को अपने कपड़े पहना दिये और उसके कीमती कपड़े खुद पहन लिये। उन्होंने आपस में अपने अपने कवच और घोड़े भी बदल लिये और वे अपनी यात्रा पर फिर से चल दिये।

करीब एक हफ्ते बाद वे एक राज्य की राजधानी में पहुँचे। जब वे वहाँ के राजा के महल के पास पहुँचे तो नकली राजा ने नकली नौकर को अपना घोड़ा थमाया और उसको घुड़साल में जाने के लिये बोला और वह खुद राजगद्दी वाले कमरे की तरफ चला गया।

वहाँ जा कर वह राजा से बोला मैं आपकी बेटी का हाथ माँगने आया हूँ जिसकी सुन्दरता और अक्लमन्दी के बारे में दुनियाँ जानती है। अगर आप राजी हैं तो आपको हमारी दोस्ती मिलेगी नहीं तो फिर हम इसको लड़ाई से तय करेंगे।

यह सुन कर राजा बोला — “तुम तो शाही तरीके से बिल्कुल ही नहीं बोल रहे हो जैसे कि एक राजकुमार को बोलना चाहिये। लगता है कि तुम्हारे राज्य में अच्छे तौर तरीके नहीं इस्तेमाल किये जाते।

मेरे होने वाले दामाद अब तुम मेरी बात सुनो। मेरा राज्य इस समय मेरे दुश्मनों के कब्जे में है। उसने मेरे बहुत सारे अच्छे अच्छे सिपाहियों को अपने कब्जे में कर रखा है और अब वे मेरी राजधानी की तरफ बढ़ रहे हैं।

अगर तुम मेरे राज्य को मेरे उस दुश्मन से बचा लोगे तो इनाम के तौर पर मैं अपनी बेटी का हाथ तुम्हारे हाथ में दे दूँगा।”

“ठीक है।” नकली राजकुमार बोला। “अगर वे आपकी राजधानी तक आ पहुँचे हैं तो आप चिन्ता न करें मैं आपके दुश्मन को यकीनन भगा दूँगा। कल सुबह तक आपके देश में कोई दुश्मन नहीं रहेगा।”

शाम को वह महल के बाहर गया और अपने नकली नौकर को बुला कर उससे कहा — “सुनो, शहर के बाहर जाओ और वहाँ कुछ दुश्मन हैं उनको जा कर भगा आओ। तुम्हारी इस सेवा के बदले में मैं तुम्हारा वह नोट तुमको वापस कर दूँगा जिसमें तुमने अपना राज्य मुझे दे दिया था और मेरे नौकर बनने की कसम खायी थी।”

असली राजकुमार ने नकली राजकुमार से अपना कवच ले कर पहना और अपने घोड़े पर सवार हो कर शहर के बाहर आ गया बाहर आ कर वह तीन बार ज़ोर से चिल्लाया “ओ अदृश्य नाइट मेरी सहायता करो। ओ अदृश्य नाइट मेरी सहायता करो। ओ अदृश्य नाइट मेरी सहायता करो।”

अदृश्य नाइट तुरन्त ही बोला — “मैं यह रहा। बोलो मैं तुम्हारे लिये क्या करूँ? मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करने को तैयार हूँ क्योंकि तुमने मेरी बेटी को जादूगर राजा कोश्चेव से बचाया था।”

दयालु राजकुमार ने उसको वहाँ के राजा की वह दुश्मन सेना दिखायी और उनको वहाँ से भगाने के लिये कहा। उस अदृश्य नाइट ने एक सीटी बजायी और अपने अक्लमन्द घोड़े को तुरन्त आने के लिये कहा।

तुरन्त ही ज़ोर की आँधी चलने लगी, बिजली चमकने लगी, धरती काँपने लगी और एक बड़ा आश्चयजनक घोड़ा वहाँ आ खड़ा हुआ।

उसके ऊपर सुनहरी जीन बिछी थी और सुनहरी लगाम लगी थी। उसके नथुनों से आग निकल रही थी, उसकी आखों से चिनगारियाँ निकल रहीं थीं और उसके कानों से धँुए के बादल निकल रहे थे।

वह अदृश्य नाइट उस घोड़े पर कूद कर बैठ गया और राजकुमार से बोला — “लो यह जादू की तलवार लो और दुश्मन पर बाँयी तरफ से वार करो। मैं अपने इस सुनहरी जीन वाले घोड़े पर बैठ कर दुश्मन पर दाँयी तरफ से वार करता हूँ।”

इस तरह दोनों ने दुश्मन पर दोनों तरफ से वार किया। बाँयी तरफ से दुश्मन लकड़ी की तरह कट रहा था और दाँयी तरफ से वह पूरे के पूरे जंगल की तरह से कट रहा था। एक घंटे में ही दुश्मन की सारी सेना गायब हो गयी।

कुछ सिपाही वहीं मरे पड़े रह गये कुछ भाग गये। राजकुमार दयालु और अदृश्य नाइट दोनों ने आपस में हाथ मिलाये और एक मिनट के अन्दर ही नाइट का घोड़ा पहले लाल चमकती रोशनी में बदला, फिर धुँए में बदल कर गायब हो गया। राजकुमार चुपचाप महल लौट आया।

उस शाम राजकुमारी बहुत दुखी थी। वह रात भर सो नहीं सकी सो वह वह अपनी खिड़की के पास बैठी बाहर देखती रही। उसी समय उसने नकली राजकुमार और उसके नकली नौकर को आपस में बात करते सुना।

तब उसको पता चला कि शहर में क्या हो रहा था। उसने छिपे हुए नाइट को भी गायब होते देख लिया था और नकली नौकर को भी महल में आते देख लिया था।

फिर उसने देखा कि कैसे नकली राजकुमार महल से निकला और कैसे उसने शाही कवच अपने नौकर से बदला और फिर कैसे उसके बाद नकली नौकर सोने के लिये तबेले की तरफ चला गया।

अगले दिन सुबह उस देश का राजा अपना राज्य दुश्मनों से आजाद देख कर बहुत खुश हुआ और उसने नकली राजकुमार को बहुत सारी बेशकीमती भेंटें दीं।

पर जब राजा ने अपनी बेटी की सगाई की घोषणा नकली राजकुमार से की तो उसकी बेटी असली राजकुमार का हाथ पकड़ कर अपने पिता के पास ले गयी।

असली राजकुमार उस समय खाने की मेज लगा रहा था। वह अपने पिता से बोली — “मेरे प्रिय पिता जी, राजा और जो भी सब यहाँ मौजूद हैं, आप सब सुनें।

यह आदमी मेरा पति है जिसे भगवान ने यहाँ भेजा है। इसी ने हमें दुश्मनों से बचाया है और यही असली राजकुमार है। और यह आदमी जो अपने आपको राजकुमार कहता है एक झूठा और बेईमान आदमी है।”

उसके बाद राजकुमारी ने वह सब कह सुनाया जो पिछली रात उसने देखा और सुना था। फिर बोली अगर यह असली राजकुमार है तो अपने असली राजकुमार होने का कोई सबूत पेश करे कि यह वाकई असली राजकुमार है।

नकली राजकुमार ने तुरन्त ही वह नोट राजा को पेश किया जो असली राजकुमार ने उसे कुँए में लिख कर दिया गया था।

राजा ने उसे खोला और सबके सामने ज़ोर से पढ़ा — “इस नोट को लाने वाला झूठा और दयालु राजकुमार का नौकर आपसे माफी चाहता है और उचित सजा की आशा करता है। यह नोट इसने दयालु राजकुमार से कुँए में लिखवाया था।”

यह सुन कर तो वह नीच नौकर भौंचक्का रह गया। उसके मुँह से निकला — “अरे इसमें यह लिखा है?”

राजा यह सुन कर बोला — “अगर तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा तो तुम खुद पढ़ कर देख लो।”

नौकर बोला — “राजा साहब, मुझे तो पढ़ना ही नहीं आता।”

वह दयालु राजकुमार के पैरों में पड़ गया और दया की भीख माँगने लगा लेकिन उसे वही सजा मिली जो उसको मिलनी चाहिये थी।

राजकुमारी की शादी दयालु राजकुमार से कर दी गयी और फिर वे लोग बहुत दिनों तक खुशी खुशी रहे।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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