पाताल की ज़ारेवनाज़ : रूसी लोक-कथा

Patal Ki Tzarevnas : Russian Folk Tale

एक बार की बात है कि रूस में एक जगह एक पति पत्नी रहते थे। उनके तीन बेटे थे। उनके तीनों बेटे बड़े हो रहे थे सो उन पति पत्नी ने सोचा कि अब घर में कुछ पोते पोतियाँ खेलने चाहिये।

सो उन्होंने अपने सबसे बडे बेटे ग्रिगोरी को बुलाया और उससे कहा कि वह बाहर जाये और अपने लिये एक पत्नी ढूँढे। ग्रिगोरी घर पर ही बहुत खुश था वह शादी भी नहीं करना चाहता था पर उन दिनों बच्चे वही करते थे जो उनसे करने को कहा जाता था।

सो ग्रिगोरी बाहर अपनी पत्नी ढूँढने चल दिया पर उसने उसे ढूँढने में बहुत मेहनत नहीं की। वह एक बहुत ही शर्मीला लड़का था सो वह सारे शहर में एक तरफ से गया और यह सोचते हुए दूसरी तरफ से निकल आया कि उसको किसी ने देखा नहीं।

जब वह पुराने शहर के फाटक से निकल रहा था तो कुछ हँसती हुई लड़कियाँ उसके पास से निकल गयीं। उसने उनको यह दिखाने की बहुत कोशिश की कि उसका उनसे कोई वास्ता नहीं था। जब वे वहाँ से चली गयीं वह वहाँ से भाग लिया।

शहर से बाहर निकल कर वह एक ऐसी सड़क पर आ गया जहाँ दूर दूर तक कोई दिखायी नहीं दे रहा था। वहाँ आ कर उसको एक बहुत ही डरावना ड्रैगन मिल गया।

तो डर के मारे वह दूसरी तरफ भागने लगा पर ड्रैगन भी उसके सामने आ कर खड़ा हो गया और उससे बड़ी नम्र आवाज में बोला — “तुम मुझसे डरो नहीं मैं तुमको कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम कहाँ जा रहे हो?”

कुछ पल तो ग्रिगोरी कुछ बोल नहीं सका पर कुछ देर बाद हकलाते हुए बोला — “ओह नहीं नहीं। मैं अपने घर वापस जा रहा हूँ। मेरे माता पिता मेरी शादी करना चाहते हैं। पर मुझे कोई ठीक सी लड़की ही नहीं मिल रही है।”

ड्रैगन बोला — “तुम मेरे साथ आओ। मैं तुम्हारा इम्तिहान लेता हूँ। अगर तुम उस इम्तिहान में पास हो गये तो तुमको पत्नी मिल जायेगी।”

क्योंकि वह ड्रैगन बहुत ही नम्रता से बोल रहा था इसलिये ग्रिगोरी को लगा कि विचार बुरा तो नहीं है सो वह इम्तिहान देने के लिये उसके साथ चल दिया।

चलते चलते वे दोनों एक काले संगमरमर की बड़ी सी चट्टान के पास आ पहुँचे। ड्रैगन बोला — “अगर तुम इस चट्टान को हटा पाओगे तो तुमको वह मिल जायेगा जो तुम ढूँढ रहे हो।”

ग्रिगोरी को वह पत्थर बिल्कुल भी भारी नहीं लग रहा था बल्कि उसको देख कर तो वह अपने आपको बहुत ही ताकतवर महसूस कर रहा था। सो उसने यह बोलते हुए पत्थर हटाना शुरू किया — “ओह इस पत्थर को तो मैं चुटकियों में हटा दूँगा।”

कह कर उसने पत्थर को पहले खींचा फिर उसको धक्का दिया पर वह पत्थर तो हिल कर ही न दे। यह देख कर वह ड्रैगन से बोला — “चिन्ता न करो। मुझे लग रहा है कि शायद मैं इसको गलत तरीके से हटाने की कोशिश कर रहा हूँ। शायद इसको एक तरफ को धक्का देना पड़ेगा।”

उसने फिर ऐसा ही किया। पत्थर को धक्का लगाते लगाते वह हाँफने लगा, उसकी साँस तेज़ हो गयी, उसके सिर में हथौड़े बजने लगे, उसका पसीना छूट गया और वह तो बस बिल्कुल बेहोश होने वाला ही हो गया।

यह देख कर ड्रैगन बोला — “अफसोस तुम तो इस इम्तिहान में ही फेल हो गये। तुमको अब पत्नी नहीं मिलने वाली।”

ग्रिगोरी को यह देख कर थोड़ा बुरा लगा कि वह इम्तिहान में फेल हो गया पर दूसरी तरफ यह सोच कर वह खुश भी हुआ कि अब उसको शादी नहीं करने पड़ेगी। यही सब सोचता हुआ वह अपने घर वापस आ गया।

घर आ कर उसने अपने माता पिता को बताया कि उसके साथ उस दिन क्या हुआ था। उसके माता पिता बहुत ही दुखी हुए पर उन्होंने यह ग्रिगोरी से कहा नहीं।

कुछ दिन बाद उन्होंने अपने दूसरे बेटे मीशा को बाहर भेजने का इरादा किया कि वह भी बाहर जाये और अपने लिये एक पत्नी ढूँढ कर लाये।

मीशा भी वैसा ही महसूस करता था जैसा ग्रिगोरी महसूस करता था। उसको भी घर में बैठे रहना बहुत अच्छा लगता था और ज़िन्दगी को आसान तरीके से जीना अच्छा लगता था। पर उसको भी मालूम था कि उसको भी जाना पड़ेगा।

उसके साथ भी वही हुआ जो ग्रिगोरी के साथ हुआ था। उसको भी सड़क पर वही ड्रैगन मिला जो ग्रिगोरी को मिला था, या फिर शायद दूसरा भी हो सकता था, पर कुछ भी हो उसने भी मीशा से यही कहा कि वह उसका एक इम्तिहान लेगा और अगर वह उसमें पास हो गया तो समझो कि उसको उसकी पत्नी मिल गयी।

पर वह भी रोता हुआ घर वापस आया और रोते हुए अपने माता पिता को बताया कि वह भी वह पत्थर नहीं हटा सका। माता पिता के मुँह से निकला — “ओह बेचारा मीशा। हम जानते है कि तुमने उस पत्थर को हटाने में अपनी पूरी कोशिश लगा दी होगी। पर खैर अब क्या हो सकता है।”

हालाँकि वे इस बात से पहले की तरह फिर से बहुत ही दुखी हुए फिर भी उन्होंने अपने इस दुख को छिपा कर ही रखा। पर रात को जब उनके बच्चे सो गये तो दोनों इस बारे में बात करने लगे कि अब क्या करना चाहिये।

पिता बोला — “यह सब देख कर अब हम इवान को तो उसकी पत्नी ढूँढने के लिये बाहर नहीं भेज सकते क्योंकि वह तो कोई काम ठीक से करता ही नहीं है। वह तो सारा दिन बस अंगीठी के पास बैठा बैठा सूरजमुखी के फूल के बीज खाता रहता है। इसके अलावा उसको बाहर भेजना खतरे वाला काम भी तो हो सकता है। क्या पता वह ड्रैगन उससे गुस्सा हो जाये और वह उसको मार दे।”

इसलिये इवान को बाहर नहीं भेजा गया जो इवान को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उसने अपने माता पिता की बहुत मिन्नतें कीं और उनको बाहर जाने के लिये मना ही लिया सो उनको उसको भी अपनी पत्नी ढूँढने के लिये बाहर भेजना ही पड़ा।

पर अगली सुबह उन्होंने फिर अपना विचार बदल दिया। पर इस बात के लिये अब काफी देर हो चुकी थी। इवान तो सुबह ही घर छोड़ कर अपनी यात्रा पर निकल गया था।

उसको भी सड़क पर ड्रैगन मिला। उसने उससे भी पूछा — “तुम कहाँ जा रहे हो?”

इवान बोला — “मेरे भाई शादी करना चाहते थे पर उनको तो पत्नी मिली नहीं अब मेरी बारी है।”

उस ड्रैगन ने अपनी भौंहें उठा कर उससे पूछा — “क्या तुम सचमुच में शादी करना चाहते हो?”

इवान बोला — “क्यों नहीं।”

“तो तुम्हें एक इम्तिहान पास करना पड़ेगा।”

“ठीक है।”

“पर क्या तुम सचमुच में इम्तिहान पास करना चाहते हो? तुम्हें मालूम है कि तुम्हारे भाई तो उस इम्तिहान में फेल हो चुके हैं?”

“पर मैं उस इम्तिहान को पास करना चाहता हूँ।”

“तो फिर आओ मेरे साथ।”

दोनों उसी काले संगमरमर की चट्टान के पास आ पहुँचे जहाँ वह ड्रैगन पहले उसके दोनों भाइयों को ले कर आया था। ड्रैगन ने उससे भी उस चट्टान को वहाँ से हटाने के लिये कहा।

इवान ने उस चट्टान में एक ज़ोर की ठोकर मारते हुए कहा — “तुम्हारा मतलब इस चट्टान से है?”

“हाँ तुमने ठीक समझा मेरा मतलब इसी चट्टान से था।”

इवान चट्टान हटाते हुए बोला — “पर मेरे भाई लोग इसको क्यों नहीं हटा सके।” इवान ने देखा कि उस चट्टान के नीचे तो एक गहरी झिरी खुली हुई थी।

ड्रैगन बोला — “शायद वे इसको हटाने के लिये काफी ताकत का इस्तेमाल कर रहे थे।”

“देखता हूँ यह कितनी गहरी होगी।” कह कर इवान नीचे जमीन पर झुक कर उसके अन्दर झाँकने लगा। उसने देखा कि उसमें तो बहुत अँधेरा है और वह तो काफी गहरी चली गयी है। क्योंकि उसके अन्दर तो एक खोखली नली चली गयी थी और नीचे जा कर तो वह दिखायी भी नहीं दे रही थी।

यह ,देख कर इवान काँप गया और एकदम से पीछे हट गया। उसने ड्रैगन से पूछा — “इसमें अन्दर क्या है?”

“क्या? इसके नीचे? इसके नीचे तो पाताल है और क्या है?”

“मैंने तो इसके बारे में कभी नहीं सुना। क्या है यह?”

“अरे तुमको नहीं पता। दूसरे राज्यों की तरह से वहाँ भी राज्य हैं जैसे “ताँबे का राज्य”, “चाँदी का राज्य” और “सोने का राज्य” और हर राज्य में एक एक ज़ारेवना है।”

इवान बोला — “अरे यह तो बहुत अच्छा है। सो जब मैं यह इम्तिहान पास कर लूँगा तो वह लड़की मुझे कहाँ मिलेगी जिससे मुझे शादी करनी है।”

“वह लड़की तुम्हें नीचे मिलेगी। तुम कम से कम एक ज़ारेवना से शादी कर लो।”

“क्या उनमें से एक से शादी? नहीं नहीं कभी नहीं। बहुत बहुत धन्यवाद। मैं पाताल के राज्यों में नहीं जा रहा। मुझे तो वहाँ लोग मार देंगे।”

अचानक ड्रैगन ज़ोर से चिल्लाया — “पर इवान तुम इसी लिये तो यहाँ हो कि तुमको उन्हें आजाद कराना है।”

ड्रैगन की भयानकता को देख कर तो इवान इतना घबरा गया कि वह तो बस यही सोचता रह गया कि किसी तरह से वह सुरक्षित घर पहुँच जाये।

वह बुड़बुड़ाया — “पहले मैं इसके बारे में सोच लूँ।”

यह सोचते हुए कि थोड़ी देर में ही ड्रैगन थक जायेगा और वहाँ से चला जायेगा वह वही खड़ा खड़ा उस झिरी में से उस खोखली नली को देखता रहा।

उसने देखा कि उस झिरी में उस खोखली नली में हो कर चमड़े की एक कुरसी दो रस्सियों के सहारे नीचे की तरफ लटक रही थी। उसके मुँह से निकला — “यह क्या है?”

ड्रैगन बोला — “तुम इस चमड़े की कुरसी में बैठ जाओ और मैं तुमको नीचे उतार दूँगा। अगर तुमको वहाँ देखने में अच्छा न लगे तो तुम अपनी रस्सी दो बार खींच देना मैं तुमको वापस ऊपर खींच लूँगा।”

अब तक इस पाताल के बारे में इवान की उत्सुकता काफी जाग चुकी थी सो उसने सोचा कि क्यों न एक बार वहाँ जा कर देखा जाये। सो वह ड्रैगन से बोला — “पर अगर में यह रस्सी दो बार खींचूँ तो तुम मुझको तुरन्त ही ऊपर खींच लेना। ठीक है?”

ड्रैगन ने इवान से वायदा किया कि जैसे ही वह वह रस्सी दो बार खींचेगा तो वह उसको ऊपर खींच लेगा। इवान उस चमड़े की कुरसी में बैठ गया और ड्रैगन ने वह कुरसी नीचे उतार दी। इवान उस कुरसी में बैठा झूलता हुआ उस खोखली नली के सहारे अँधेरे में नीचे चला जा रहा था। वह सोच रहा था कि वह अँधेरा कभी खत्म होने पर भी आयेगा या नहीं।

नीचे जाते जाते इवान ने आखिरी बार रोशनी के लिये ऊपर देखा यानी रूस का आसमान देखा और फिर सोचा कि पता नहीं अब वह आसमान फिर कभी देखेगा या नहीं।

उस खोखली नली में अब सब कुछ बिल्कुल शान्त हो गया था। उसकी दीवारों में लगे क्रिस्टल चमक रहे थे पर उनसे वहाँ कोई रोशनी नहीं हो रही थी।

उसने चिल्ला कर ड्रैगन से अपने आपको वापस खींच लेने के लिये आवाज लगायी पर वहाँ तो कुछ भी नहीं हुआ। वह तो यह बिल्कुल ही भूल गया था कि अपने आपको ऊपर खींचने के लिये उसको चिल्लाना नहीं था बल्कि रस्सी को दो बार खींचना था। उसकी अपनी ही आवाज की गूँज उसको सुनायी दी तो वह और डर गया। उसकी कुरसी भी बहुत ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। वह अगर उस कुरसी में जरा सा भी हिलता तो उस खोखली नली की दीवार से टकरा जाता।

मिट्टी के ढेले और पत्थर के टुकड़े नीचे गिरने लगते। उसने उनके नीचे गिरने की आवाज सुननी चाही भी पर उसे कुछ सुनायी ही नहीं दिया।

सो जब उसकी कुरसी झूलती हुई उस खोखले डंडे से हो कर नीचे जा रही थी उसके मन में एक अजीब सा विचार आया। यह तो एक जाल भी हो सकता है और वह ड्रैगन तो मुझे कभी भी नीचे गिरा सकता है।

और यह विचार आते ही उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं अपना चेहरा अपनी बाँहों से ढक लिया और यह सोचना शुरू कर दिया जैसे कि वह अपने घर में अपने बिस्तर पर लेटा हुआ है। हालाँकि इससे उसका कुछ खास काम नहीं बना पर फिर भी वह कुछ शान्ति महसूस करने लगा। वह सोच रहा था कि पता नहीं ड्रैगन अभी भी उसकी कुरसी की रस्सी पकड़े वहाँ खड़ा होगा या नहीं। फिर उसने सोचा “जरूर खड़ा होगा क्योंकि नहीं तो वह तो इससे भी कहीं और ज़्यादा तेज़ी से नीचे जा रहा होता।”

जल्दी ही अब उसको साँस लेने में भी परेशानी होने लगी। उसकी पलकें भारी होने लगी थीं। “मुझे जागते रहना चाहिये। कहीं ऐसा न हो कि इस गड्ढे का कहीं कोई अन्त ही न हो।”

धीरे धीरे वह बेहोश सा होने लगा। जब उसे कुछ होश में आया तो उसने धुँधलके में देखा कि वह ठंडे पत्थरों के ऊपर लेटा हुआ है। उस खोखली नली से हरे रंग की रोशनी निकल रही है।

उसने देखा कि वह अभी भी उसी चमड़े की कुरसी में बैठा हुआ है। उसने उस कुरसी की चमड़े की पट्टियाँ खोल दीं। अब वह थोड़ा आराम से साँस ले पा रहा था या हो सकता है कि ऐसा उसको इसलिये महसूस हो रहा हो कि वह अब इस माहौल का आदी हो चुका था।

इवान ताँबे के राज्य में

इवान ने अपना चारों तरफ देखा कि वह वह रास्ता ढूँढ सके जहाँ से वह पाताल में पहुँच पायेगा। जब उसकी आँखें धुँधलके में देखने की आदी हो गयीं तो उसको उस खोखली नली से निकलते हुए कई रास्ते दिखायी दिये।

उनमें से एक रास्ते के आखीर पर उसको लाल से रंग की रोशनी चमकती दिखायी दी। वह उसी चमकती हुई रोशनी की तरफ चल दिया। जब वह उसके पास पहुँचा तो उसने देखा कि वह रोशनी तो ताँबे के रंग की थी। कुछ ही देर में वह रास्ता बन्द हो गया और वह बाहर खड़ा नजर आया।

बाहर निकल कर उसने देखा कि वह तो समुद्र के किनारे एक ताँबे के जंगल में चल रहा था। उसने ऊपर आसमान की तरफ देखा पर उसको सूरज कहीं दिखायी नहीं दिया। केवल भारी भारी बादल ही हल्की हवा में लटके हुए थे और पेड़ों के ऊपर कोहरा छाया हुआ था।

जब वह उस ताँबे के जंगल से बाहर निकला तो उसके सामने ताँबे का बना एक महल खड़ा था। महल का दरवाजा खुला और उसमें से एक बहुत ही सुन्दर ज़ारेवना सीढ़ियाँ उतर कर उसके सामने आयी।

ऐसा लगता था जैसे कि उस राज्य में हर चीज़ ताँबे की बनी हुई थी। यहाँ तक कि ज़ारेवना जो कपड़े पहने हुई थी वे कपड़े भी बहुत ही पतले ताँबे के बने हुए थे और जब वह उसके पास आ रही थी तो बड़ी अजीब सी आवाज कर रहे थे। उसके लम्बे लम्बे बाल भी ताँबे के रंग के थे। उसने इवान का बहुत प्यार से स्वागत किया।

“आओ। इस ताँबे के राज्य में तुम्हारा स्वागत है। आओ महल में आओ और मुझे बताओ कि तुम कहाँ से आये हो ओैर कहाँ जा रहे हो।”

इवान के कपड़े और उसके शरीर की खाल भी उसके ताँबे की रोशनी से ताँबे के रंग की हुई जा रही थी। वह उसकी चकाचौंध से कुछ बेहोश सा होता हुआ उसके सामने काफी नीचे तक झुक कर बोला — “प्रिय राजकुमारी जी आप मुझसे कई सवाल पूछ रही हैं और आपने मुझे अभी तक कुछ खाने पीने के लिये दिया नहीं है।”

यह सुन कर वह तुरन्त ही अन्दर गयी और इवान के लिये कुछ खाने और कुछ पीने के लिये ले आयी। हालाँकि वहाँ का वह ताँबे के रंग का खाना देखने में बड़ा अजीब सा था पर उसने जितने खाने अब तक खाये थे उन सबमें वह सबसे ज़्यादा स्वादिष्ट था।

उसने सोचा शायद उसके ऊपर जो ताँबे के रंग की रोशनी पड़ रही थी इसी लिये वह उसको ऐसा लग रहा होगा।

लगता है जैसे कि उस ज़ारेवना ने इवान के मन की बात पढ़ ली हो सो वह मुस्कुरा कर बोली — “ऐसा मत सोचना कि यह सब ताँबे के रंग की रोशनी की करामात है। बहुत सारे लोगों ने यह गलती की है और हमारे पानी में तैरने की भी गलती की है। यह विचार ठीक नहीं है। इस राज्य में हर चीज़ ताँबे की बनी हुई है। यहाँ तक कि अब तो तुम भी ताँबे के बने हुए हो गये हैं।” यह सुन कर इवान ने अपना चेहरा छू कर देखा तो काँप गया। वह ठीक कह रही थी। उसकी खाल सख्त और ठंडी हो गयी थी। “पर मैं धातु का आदमी नहीं बनना चाहता।”

जैसे ही वह यह बोला उसको लगा कि उसकी आवाज भी धातु की आवाज जैसी हो गयी है।

वह हँस कर बोली — “पर अब तो तुम वैसे ही बन गये हो।”

अचानक ज़ारेवना को लगा कि इवान को धातु का बनने में अच्छा नहीं लग रहा है सो वह फिर बोली — “तुम चिन्ता मत करो इवान। यह बदलाव तो केवल उसी समय के लिये है जब तक तुम

यहाँ हो बाद में यह सब खत्म हो जायेगा। यह सब तो जादू का कमाल है।

जब हम लोग ऊपर की दुनियाँ में चले जाते हैं तो हम लोग भी सामान्य लोगों की तरह ही हो जाते हैं। इसलिये अब तुम यहाँ आराम से बैठो और मुझे अपने बारे में कुछ बताओ। अगर तुम मुझे यहाँ से आजाद कराने आये हो तो मेरा यह जानना बहुत जरूरी है।”

इवान ने पूछा — “आप यहाँ कबसे रहती हैं।”

राजकुमारी ने कुछ दुखी होते हुए कहा — “मुझे किसी और जगह की याद ही नहीं है। मुझे केवल सूरज और चाँद नाम की चीज़ों की भी बहुत धुँधली सी याद है। पर यह भी अब बहुत पुरानी बात हो गयी।”

तब इवान ने ज़ारेवना को अपने बारे में और ड्रैगन के मिलने के बारे में सब कुछ बताया। उसने उसको यह भी बताया कि वह अपने लिये एक पत्नी ढूँढने निकला था। उसको बहुत खुशी होगी अगर वह उससे शादी कर लेगी।

राजकुमारी ने जवाब दिया — “नहीं। यह नहीं हो सकता इवान क्योंकि मैं यह जगह तभी छोड़ सकती हूँ जबकि पहले सुनहरी ज़ारेवना यहाँ से आजाद हो जाये।

उसके लिये तुम पहले समुद्र के किनारे वाले जंगल में से जाओ और फिर अँधेरी सुरंग में से हो कर जाओ तो तुम चाँदी के राज्य में पहुँच जाओगे। वहाँ तुमको एक और ज़ारेवना मिलेगी जो मुझसे भी ज़्यादा सुन्दर होगी।”

सो इवान उसे वही छोड़ कर चाँदी के राज्य में जाने के लिये तैयार हुआ। उसके जाने से पहले इस ताँबे के राज्य वाली ज़ारेवना ने उसको उसकी रक्षा के लिये एक ताँबे की अंगूठी दी। इवान ने उसको इसके लिये धन्यवाद दिया और वहाँ से चल दिया।

इवान चाँदी के राज्य में

इवान सुरंग में चलता रहा तो उसको उस सुरंग के आखीर में एक सफेद रोशनी चमकती दिखायी दी। जैसे जैसे वह उस रोशनी के पास आता गया तो उस रोशनी की चमक तेज़ और और तेज़ होती गयी। जल्दी ही वह एक बड़ी सी गुफा में खड़ा हुआ था।

उसकी तो छत ही बहुत ऊँची दिखायी देती थी जैसे वह मीलों ऊपर तक हो। उस गुफा की छत से चाँदनी की एक चमकीली किरन सफेद बिचके जंगल के ऊपर पड़ रही थी। चाँदी जैसे सफेद समुद्र के किनारे पर एक महल खड़ा था।

गुफा के फर्श पर चाँदी का मुलायम रेत बिखरा पड़ा था। उसकी छत से चमकते हुए पत्थर लटके थे जिनसे रोशनी हो रही थी। आवाजों में वहाँ केवल हवा की और समुद्र के किनारे पर उसकी लहरों के टकराने की ही आवाज हो रही थी।

समुद्र के किनारे एक ज़ारेवना अपनी घोड़ी पर सवार हुई घूम रही थी। इवान को देख कर वह उसकी तरफ घूमी तो घोड़े की कुदान से समुद्र का ठंडा पानी जो इधर उधर बिखरा तो इवान काँप गया।

वह अपने घोड़े की रास पकड़ कर घोड़े को सीधे उसके सामने ले आयी। अपने चेहरे से अपने चाँदी के बाल हटाते हुए वह बोली — “इस चाँदी के राज्य में तुम्हारा स्वागत है।”

इवान ने सोचा कि जैसे पहले वाली ज़ारेवना ताँबे की बनी थी शायद यह ज़ारेवना चाँदी की बनी हुई होगी। उसने उसको बहुत नीचे तक झुक कर नमस्ते की। उसने भी इवान से पूछा कि वह कहाँ से आया था और कहाँ जा रहा था।

थोड़ा रुक कर वह बोला — “प्रिय राजकुमारी, तुम्हारे सवालों के जवाब देने से पहले मुझे कुछ खाना और पीना चाहिये।” वह उसको महल के अन्दर ले गयी और उसको कुछ खाने के लिये और शराब पीने के लिये दी। वहाँ खाना चाँदी की तरह सफेद था और शराब भी बिल्कुल चमकती हुई सफेद थी।

जब वह खा रहा था तो उसने अपने हाथों की तरफ देखा।

उसने देखा कि उसका ताँबे जैसा रंग तो बिल्कुल ही चला गया था और अब उस रंग की जगह चाँदी का रंग लेने लगा था। उसने अपने बालों में अपनी उँगलियाँ फिरायीं तो उनमें भी उसको कुछ अजीब सी आवाज सुनायी दी। उसने सोचा “उम्मीद है कि यह सब भी बहुत देर तक नहीं रहेगा।

जब वह खा चुका तो ज़ारेवना से बोला कि वह एक पत्नी की तलाश में था। क्या वह उससे शादी करना पसन्द करेगी।

वह बोली — “अफसोस ऐसा नहीं हो सकता। तुमको इस अँधेरी सुरंग से जाना पड़ेगा जब तक कि तुम सोने के राज्य में न पहुँच जाओ। वहाँ एक और ज़ारेवना तुम्हारा इन्तजार कर रही है। पहले तुम्हें उसे आजाद कराना पड़ेगा।”

उसने भी उसको एक चाँदी की अँगूठी दी और कहा — “लो यह चाँदी की अँगूठी लो और देखो इसे हमेशा पहने रहना। यह तुम्हारी यात्रा में तुम्हारी रक्षा करेगी।”

इवान ने उससे वह चाँदी की अँगूठी ली उसको धन्यवाद दिया और अपनी आगे की यात्रा पर आगे बढ़ गया।

इवान सोने के राज्य में

उस अँधेरी सुरंग में कुछ दूर चलने के बाद इवान को उसके आखिरी हिस्से पर एक सुनहरी रोशनी दिखायी दी। पहले की तरह से जब वह उस सुरंग के आखीर में पहुँचा तो यह गुफा तो पहली दो गुफाओं से भी बहुत बड़ी थी।

ज़ार के इस राज्य में तो हर चीज़ सोने में नहायी जैसी लग रही थी। एक पल को तो उसको लगा कि वह सूरज देख रहा है पर जब उसने ऊपर देखा तो उसको इस रोशनी में थोड़ी गरमी तो लगी पर बाहर की दुनियाँ में उसे सूरज कहीं दिखायी नहीं दिया। पर जब उसने बाद में उसके बारे में सोचा तो उसने देखा कि वह तो पानी के ऊपर धूप की चमक पड़ रही थी। उस रोशनी में तो उसकी अपनी खाल और कपड़े भी सुनहरे लग रहे थे। उस सोने के राज्य में सारी चीज़ें असली सोने की थीं।

ज़ारेवना भी अपने महल के सामने सुनहरी रेत पर खड़ी हुई थी। वह इवान को देख कर बहुत खुश हुई और उसने इवान के सामने सुनहरी खाना और सुनहरे रंग की चमकती शराब रखी। इवान ने उसको बताया कि वह अपने घर से अपनी पत्नी ढूँढने निकला था। फिर उसने उससे कहा — “अगर तुम मेरी पत्नी बनना चाहती हो तो अभी मेरे साथ चलो।”

यह सुन कर उसको बड़ा आश्चर्य हुआ जब राजकुमारी ने उसे मुस्कुरा कर जवाब दिया — “हाँ मैं तुमसे शादी करूँगी। पर पहले तुम यह सोने की अँगूठी लो और देखो तुम इसको ताँबे की और चाँदी की अँगूठियों के साथ साथ हमेशा पहने रहना। यह तुम्हारी हमेशा रक्षा करेगी। अब हम चलते हैं और अपनी बहिनों को आजाद कराते हैं।”

कह कर वे उसी अँधेरी सुरंग से वापस चल दिये। वे चाँदी के राज्य से गुजरे। वहाँ चाँदी के राज्य वाली ज़ारेवना ने उनका बड़े ज़ोर शोर से स्वागत किया और वह भी उनके साथ चल दी। फिर वे ताँबे के राज्य में आये जहाँ से पहली ज़ारेवना भी उनके साथ हो ली।

उसके बाद वे उस जगह आये जहाँ इवान ऊपर से उस खोखली नली से नीचे उतरा था। उसमें चमड़े की कुरसी अभी भी लटकी हुई थी पर उस खोखली नली का अन्त उसे कहीं दिखायी नहीं दे रहा था।

उसको पता ही नहीं था कि उसके दोनों भाई वहाँ खड़े हुए थे। असल में जब इवान कई दिनों तक नहीं लौटा तो उसके माता पिता ने उनको इवान को ढूँढ लाने के लिये भेजा था।

उन्होंने अन्दाज लगाया कि वह शायद यहीं नीचे होगा सो वे वहाँ घंटों खड़े खड़े इस बात की हिम्मत बटोर रहे थे कि वे वहाँ नीचे कैसे उतरें।

बाद में जब उनकी हिम्मत नहीं पड़ी तो उन्होंने एक दूसरे को यह कह कर बहला लिया कि शायद इवान मर गया।

वे लोग वहाँ से जाने ही वाले थे कि ताँबे के राज्य वाली ज़ारेवना उस चमड़े की कुरसी में चढ़ गयी और उसकी रस्सी को एक हल्का सा झटका दिया।

इवान के भाइयों ने रस्सी हिलती देखी तो उनको लगा कि कोई उनसे नीचे से कुछ कहना चाहता है सो उन्होंने वह रस्सी खींचनी शुरू कर दी।

जब वह चमड़े की कुरसी ऊपर आयी तो उसमें तो ताँबे के राज्य की ज़ारेवना बैठी हुई थी। ऊपर आ कर उसने वह कुरसी फिर से नीचे भेज दी। इस बार चाँदी के राज्य की ज़ारेवना ऊपर आयी और फिर सोने के राज्य की ज़ारेवना ऊपर आयी।

आखीर में इवान उस चमड़े की कुरसी में बैठा। उसके भाइयों ने उसे खींचा पर अब तक वे उस रस्सी को खींचते खींचते थक चुके थे सो वे बहुत धीरे धीरे रस्सी खींच रहे थे।

पर जब उनको यह पता चला कि उस कुरसी में इवान था तो उनको उससे जलन होने लगी कि इवान वहाँ सफल हो गया था जहाँ वे बुरी तरह फेल हो गये थे।

ग्रेगरी बोला कि “हम उसकी सहायता क्यों करें।”

मीशा भी बोला “इस तरह से तो सारे गाँव में लोग हमारी हँसी उड़ायेंगे और हम बदनाम हो जायेंगे।”

सो जब तक इवान आधे रास्ते तक भी नहीं आया था कि उसके आने से पहले ही ग्रिगोरी नीचे झुका और इससे पहले कि ज़ारेवनाऐं उसे रोक सकतीं उसने उस चमड़े की कुरसी की रस्सी काट दी।

तीनों ज़ारेवनाऐं इवान के लिये बहुत ज़ोर ज़ोर से रो पड़ीं। उन्होंने इवान के भाइयों से बहुत प्रार्थना की कि वे उसको बचा लें पर वे तो उसकी सुनने वाले थे नहीं।

ज़ारेवनाऐं तो बस अब इसी से सन्तुष्ट थीं कि इवान उनकी दी हुई अँगूठियाँ अभी तक पहने था।

इवान का पाताल से बाहर निकलना

उधर रस्सी के कटते ही इवान उस अँधेरे खोखली नली में नीचे गिर पड़ा। वह दो दिन तक तो वहाँ से हिल भी नहीं सका। जब वह हिलने डुलने लायक हो गया तो वह बहुत ही नाउम्मीद सा बैठ गया कि अब वह बाहर जाने का रास्ता कैसे पायेगा।

उसकी आँखों में आँसू आ गये। वह यही समझ नहीं पा रहा था कि वह वहाँ से बाहर जाने के लिये किससे पूछे और अब कौन सी सुरंग ले। फिर यह सोच कर उसने एक दूसरी ही सुरंग ली कि शायद यही सुरंग उसको वहाँ से बाहर ले जायेगी।

वह सुरंग धीरे धीरे नीची होती जा रही थी। कहीं कहीं तो उस सुरंग की छत इतनी नीची थी कि उसको बहुत झुक कर चलना पड़ रहा था और कभी कभी तो उसको पत्थरों पर घुटनों के बल भी चलना पड़ रहा था।

कुछ देर इस तरह चलने के बाद इवान को लगा कि वह सुरंग कुछ चौड़ी और ऊँची हो गयी है। जल्दी ही वह एक बहुत ही बड़ी गुफा में खड़ा था। यह गुफा तो उसको किसी दूसरी दुनियाँ का ही हिस्सा लग रही थी।

हालाँकि वहा काफी अँधेरा था पर फिर भी वह वहाँ ठीक से देख पा रहा था। वहाँ आसमान में बादल बहुत नीचे थे सो वह यह नहीं जान सका कि उस राज्य के आसमान में चाँद या तारे थे या नहीं।

वह वहाँ एक जंगल में दलदल के किनारे खड़ा था। सीलन की गन्ध चारों तरफ उड़ रही थी, हवा ठंडी थी सो वह इधर उधर किसी ऐसी गरम जगह की तलाश में था जहाँ वह उस ठंड से बच सके। सारे में वहाँ कई रंगों के और कई शक्लों के मुशरूम उगे हुए थे।

सुबह होने के कुछ देर बाद ही इवान को एक बहुत ही छोटा सा बूढ़ा मिला। उसकी बहुत लम्बी सफेद दाढ़ी थी और वह एक पेड़ की अजीब सी शक्ल की जड़ पर बैठा हुआ था।

उसने उस बूढ़े को अपनी सारी कहानी बतायी और पूछा कि वह कैसे माँ रूस की नम जमीन पर वापस जा सकता है। उस बूढ़े ने अपनी एक उँगली से पास में लगे ओक के पेड़ों के एक झुंड की तरफ इशारा किया और बोला — “क्या तुम उन ओक के पेड़ों के पीछे खड़ी गोल मीनार देख रहे हो?”

इवान ने उधर देखा जिधर वह बूढ़ा इशारा कर रहा था तो पेड़ों के पीछे उसको एक पतली सी मीनार का ऊपर का हिस्सा वहाँ से झाँकता हुआ दिखायी दे गया। वह बोला “हाँ। मुझे वह मीनार दिखायी दे रही है।”

बूढ़ा आगे बोला — “उस मीनार में एक बहुत ही लम्बा जादूगर रहता है। वह इतना लम्बा है कि उसका सिर तो छत को छूता है। तुम वहाँ चले जाओ वह तुमको बतायेगा कि तुम वापस रूस कैसे पहुँच सकते हो।”

इवान ने उस बूढ़े को धन्यवाद दिया और उस लम्बी मीनार की तरफ चल दिया जिसमें वह लम्बा जादूगर रहता था। जब वह उस मीनार के पास पहुँचा तो उसको लगा कि जो कुछ वह सोच रहा था वह वह नहीं था बल्कि वहाँ तो एक मुलायम सा धुआँ था जो उस मीनार की एक बहुत ही छोटी सी खिड़की से बाहर निकल रहा था। वह मीनार के और पास गया और वहाँ जा कर उसका दरवाजा खोला तो चाँदी के जाले के कुछ टुकड़े उसके चेहरे पर आ कर पड़े। इससे उसको लगा कि जैसे वह मकड़ियों के हजारों जालों के बीच चल कर आ रहा हो।

उसने अपने चेहरे से जितने अच्छी तरह से वह साफ कर सकता था वे छोटे छोटे रेशमी जाले के टुकड़े साफ किये और अन्दर जाने से पहले उसने अपनी बहुत ज़ोर से आती हुई छींक को भी रोका जो उन जालों की वजह से उसको आने वाली थी।

खुशकिस्मती से दरवाजा बाहर की तरफ खुला वरना उसको उस मीनार में घुसने में भी बहुत मुश्किल होती। क्योंकि हालाँकि वह मीनार बहुत ऊँची थी पर साथ में वह तंग भी बहुत थी। उसमें घुसने के लिये भी इवान को अपने आपको उसकी दीवार से सट कर ही उसके अन्दर घुसना पड़ा।

जैसे ही वह उस मीनार के अन्दर घुसा तो उसको वहाँ वह जादूगर खड़ा दिखायी दे गया।

उसके अन्दर वह लम्बा जादूगर खड़ा खड़ा अपनी चाँदी जैसी दाढ़ी के बालों को हाथीदाँत की कंघी से कंघी कर रहा था। उसके सिर के बाल उसकी दाढ़ी जितने ही लम्बे थे पर उसकी खोपड़ी पर गंजेपन का एक चमकदार चकत्ता था। शायद यह चकत्ता वहाँ इसलिये था कि उस जगह वह उस मीनार की छत से छूता था। उसने कत्थई रंग की एक थैले जैसी पोशाक पहन रखी थी जिस पर सारे में चाँदी के बाल लगे हुए थे।

जब उसने इवान को देखा तो उसने अपनी दाढ़ी के बालों में कंघी करना रोक दिया और कंघी को साफ करना शुरू कर दिया। इससे उसके बालों के कई सारे छोटे छोटे बादल खिड़की के बाहर उड़ गये। और बहुत सारे बाल उसके कमरे में भी इधर उधर उड़ने लगे।

कुछ बाल उसके चेहरे के चारों तरफ भी उड़ने लगे जिससे उसके चेहरे का काफी हिस्सा ढक गया। इससे इवान उसका पूरा चेहरा भी एक बार में नहीं देख सका।

इवान से बात करने से पहले जादूगर को अपना गला साफ करने में कई मिनट लग गये। तब कहीं जा कर वह इवान से बड़ी ऊँची आवाज में बोला — “किसी ने रूसी हड्डियों को यहाँ आने के लिये नहीं कहा। वे तो यहाँ अपने आप ही आयी हैं।”

यह सुन कर इवान ने थोड़ा इन्तजार किया कि शायद वह जादूगर कुछ और बोले पर वह और कुछ भी नहीं बोला क्योंकि बदकिस्मती से उसके सिर के सामने जादूगर के बालों का एक बहुत बड़ा बादल आ गया था सो न तो वह कुछ देख ही सका और न ही कुछ बता सका कि वह जादूगर क्या सोच रहा था।

इवान ने उस जादूगर को हँसाने की बहुत कोशिश की जैसे अपनी गरदन टेढ़ी करके और उसके चेहरे की तरफ देख कर वह बोला — “हाँ वे अपने आप ही आयी हैं।”

उस लम्बे जादूगर ने उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और फिर से अपनी दाढ़ी में कंघी करने लग गया।

इवान आगे बोला — “ओ ताकतवर जादूगर। क्या तुम मुझे बता सकते हो कि मैं वापस अपनी माँ रूस की नम जमीन पर कैसे पहुँच सकता हूँ?”

पर वह जादूगर फिर से अपनी कंघी साफ करने लग गया। उसकी कंघी से निकले बालों का बादल काफी तो खिड़की से बाहर उड़ गया पर काफी फिर भी कमरे में भी उड़ता रहा।

कई मिनटों बाद उसने फिर अपना गला साफ किया और अपनी उसी ऊँची आवाज में बोला — “माँ रूस की नम जमीन पर पहुँचने के लिये तुमको यहाँ से दाँयी तरफ करीब करीब तीस गहरी झील जाना चाहिये।

वहाँ दूर जा कर तुमको एक झोंपड़ी मिलेगी जो मुर्गे की टाँगों पर खड़ी होगी। उस झोंपड़ी में एक बूढ़ी जादूगरनी बाबा यागा रहती है।

उस झोंपड़ी में घुसने से पहले तुमको जादू के कुछ शब्द बोलने होंगे। इस बुढ़िया के पास एक गरुड़ चिड़ा है जो तुमको माँ रूस की नम जमीन तक ले जा सकता है।”

इवान ने पूछा — “और वे जादू के शब्द क्या हैं?” ऊपर से आवाज आयी — “वे तुम्हें पता चल जायेंगे।”

और उस जादूगर ने फिर से अपना गला साफ करना शुरू कर दिया। उसको अपना गला साफ करते करते फिर मिनटों लग गये और इवान बड़ी उत्सुकता से उन जादू के शब्दों को सुनने का इन्तजार करता रहा।

उसको जादूगर के ये शब्द सुन कर बड़ी नाउम्मीदी हुई — “यहाँ बहुत ही खुश्की है।”

यह सुन कर तो इवान का अपना गला भी खुश्क होने लगा था। वह बोला “हाँ यह तो है।” और कुछ ताजा हवा लेने के लिये वह उस मीनार के बाहर निकल आया।

उसकी समझ में यही नहीं आया कि जादूगर के उन “जादू के शब्दों” से उसका क्या मतलब था। शायद उसको कुछ गलती लग गयी होगी क्योंकि वह यह सब कैसे जान सकता था।

फिर उसने सामने की तरफ देखा तो उसको सामने कुछ झीलें दिखायी दीं सो वह वहीं उनके आस पास चक्कर काटता रहा। उसको वहाँ उनके आस पास चक्कर काटते हुए और यह गिनते हुए कि वे वाकई में तीस झीलें थीं कई दिन बीत गये क्योंकि दूर उसको कई और भी झीलें दिखायी दे रही थीं।

उसको यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि उसने उन झीलों को ठीक से गिन लिया था या नहीं।

पर हाँ उसको तीस झीलें गिनने के बाद जब तीसवीं झील के किनारे एक झोंपड़ी दिखायी दे गयी जो मुर्गे की टाँगों पर खड़ी थी तो उसको लगा कि उसने उन झीलों को ठीक ही गिना था। जब वह उस झोंपड़ी के पास पहुँचा तो उसने देखा कि वह झोंपड़ी तो घूमे जा रही है घूमे जा रही है। और वह तो बहुत तेज़ी से घूम रही है।

और वह केवल तेज़ी से घूम ही नहीं रही है बल्कि बहुत ज़ोर की चीं चीं की आवाज भी कर रही है। उस चीं चीं की आवाज से तो उसके कान ही फटे जा रहे थे।

उसके घूमने की आवाज और इस चीं की आवाज दोनों ने मिल कर तो उसका सिर बहुत भारी सा कर दिया।

फिर पता नहीं कहाँ से उसके दिमाग में वे जादू के शब्द आ गये जिनको उसे उस झोंपड़ी में घुसने से पहले बोलना था और उसने उनको गाना शुरू कर दिया —

ओ छोटी झोंपड़ी ओ छोटी झोंपड़ी तुम अपना दरवाजा मेरी तरफ करो और मुझे अन्दर आने दो अचानक घूमती हुई झोंपड़ी रुक गयी। उसकी आवाज भी धीरे धीरे कम होती गयी और वह एक लम्बी सी चीं की आवाज करके रुक गयी। उसकी टाँगें इतनी नीचे को झुक गयीं कि वह झोंपड़ी जमीन से आ कर लग गयी।

अब उसका दरवाजा इवान के सामने था। अचानक एक लम्बी सी उसाँस के साथ उस झोंपड़ी का दरवाजा खुला। इवान सोचने लगा “यह मैंने कैसे किया?” पर फिर उस झोंपड़ी में घुस गया। अन्दर पहुँच कर उसने देखा कि बाबा यागा अपनी पुराने ढंग की ईंटों की अँगीठी पर लेटी हुई है। वह खर्रा टे मार रही थी।

उसकी लम्बी नाक छत को छू रही है। पर फिर एक पल में ही उसने अपनी लम्बी नाक इवान की तरफ की और बोली — “मुझे यहाँ किसी रूसी हड्डी की खुशबू आ रही है। तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

इवान ने डर से काँपते हुए इधर उधर देखा कि वह यह किससे पूछ रही थी। फिर यह समझते हुए कि वह यह उसी से कह रही थी वह हकलाते हुए बोला — “लम्बे जादूगर ने मुझे आपके पास इसलिये भेजा है ताकि मैं आपके गरुड़ पर सवार हो कर अपनी माँ रूस की नम जमीन पर जा सकूँ।”

बाबा यागा वहीं से चिल्लायी — “ओ रूसी हड्डी। बाहर बागीचे में जाओ और वहाँ जा कर उस स्त्री को ढूँढो जो सात दरवाजों की चौकीदार है।

उससे चाभी लो और उन सातों दरवाजों को खोलो। जब तुम आखिरी दरवाजा खोलोगे तो वह गरुड़ अपने पंख फड़फड़ायेगा। अगर तुम उससे डर नहीं गये तो तुम उसकी पीठ पर बैठ कर उड़ कर वहाँ जा सकते हो। और हाँ मेरे उस पालतू चिड़े के लिये काफी सारा माँस ले जाना मत भूलना।”

इवान सोच रहा था “कौन सा बागीचा? यह किस बागीचे की बात कर रही है?” क्योंकि वह जानता था कि उसके घर के बाहर तो कोई बागीचा था ही नहीं वहाँ तो केवल जंगल था।

पर यही सोचते सोचते जब वह बाहर निकला तो यह देख कर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि वहाँ से सारी झीलें गायब हो चुकी थीं और वहाँ अब एक बहुत सुन्दर बागीचा था और वह उसमें खड़ा था।

उस बागीचे के चारों तरफ एक बहुत पुरानी दीवार थी जिसमें सात ठोस ओक की लकड़ी के दरवाजे लगे थे। एक बहुत ही भयानक शक्ल वाली स्त्री उन सातों दरवाजों की चौकीदाारी कर रही थी।

हालाँकि उसका तो यह सब देख कर ही दिल डूबने लगा पर फिर उसने सोचा कि अगर मेंने बाबा यागा से बात कर ली और मुझे कुछ नहीं हुआ तो यह स्त्री उससे ज़्यादा बुरी तो नहीं हो सकती। पर जब वह उसके कुछ फीट पास तक आ गया तो अचानक ही उसने एक बड़ी सी तलवार निकाल ली। उसकी आँखों में वहशीपना छा गया। यह देख कर इवान का तो जैसे खून ही जम गया।

वह वहीं से चिल्लाया — “बाबा यागा ने मुझसे तुमसे चाभी लेने के लिये कहा है।”

यह सुन कर उस स्त्री ने अपने हाथ से तलवार छोड़ दी और उसका स्वागत किया। वह उसके यात्रा के लिये कुछ खाना पीना और कुछ और सामान ले कर आयी।

इवान ने बाबा यागा का कहा माना सो वह निडर हो कर गरुड़ की पीठ पर बैठ गया और उससे जितना भी माँस लिया जा सका उतना माँस उसके लिये उसने ले लिया।

कुछ समय बाद इवान को भूख लगने लगी तो उसने सोचा कि “मैं उस माँस में से थोड़ा सा माँस खा लेता हूँ। हमारे पास तो हम दोनों के लिये जितना माँस चाहिये उससे कहीं ज़्यादा माँस है।” सो उसने उसमें से थोड़ा सा माँस खा लिया।

जब वे लोग कुछ देर तक उड़ चुके तो गरुड़ ने अपनी बटन जैसी पीली पीली आँखें इवान की तरफ घुमायीं तो इवान ने उसको काँपते हाथों से माँस का एक टुकड़ा खिला दिया। गरुड़ ने भी उसे इवान के हाथों से छीन कर एक ही बार में खा लिया।

उस उड़ान के दौरान ऐसा कई बार हुआ कि जब भी गरुड़ ने उसकी तरफ देखा तभी उसने उसको माँस खिलाया पर हर बार उसे लगा कि वह गरुड़ तो अपनी तेज़ चोंच से उसका हाथ ही काट लेगा परन्तु ऐसा हुआ नहीं।

जल्दी ही सारा माँस खत्म हो गया पर रास्ता तो अभी बाकी था। गरुड़ ने फिर इवान की तरफ देखना शुरू किया। अब इवान को तो मालूम था कि उसके पास जितना माँस था वह सब खत्म हो गया था सो वह उस पर चिल्लाया — “घूम कर देखो अब सारा माँस खत्म हो गया। तुम्हारे लिये अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा।”

इस पर गरुड़ ने उसको अपनी तेज़ निगाहों से घूरा। इवान ने भी उसको घूरा पर उसका तो एक एक जोड़ काँप रहा था। इवान को लगा कि यह गरुड़ तो पता नहीं कब तक उसको इस तरह से घूरता रहेगा पर उसने देखा कि जल्दी ही उसने अपना मुँह फिरा लिया और इवान ने शान्ति की साँस ली।

अचानक एक चीं की आवाज के साथ जिससे इवान का खून तो बस जम सा ही गया गरुड़ ने एक बार फिर अपना सिर घुमा कर इवान की तरफ देखा और उसकी गरदन से माँस का एक टुकड़ा काट लिया।

इवान ने देखा कि वे उस समय एक खोखली नली में से ऊपर की तरफ उड़ रहे थे। इवान तो इस सबसे इतना डर गया और उसे इतना धक्का लगा कि उसे अपनी गरदन में से माँस निकाले जाने का जरा भी दर्द महसूस नहीं हुआ।

अब उसको यह लगने लगा कि यह गरुड़ तो उसको ही टुकड़े टुकड़े करके खा जायेगा। सो उसने तय किया कि अबकी बार अगर उसने उसकी तरफ देखा तो वह उसके ऊपर से कूद नीचे पड़ेगा।

उसको सपने में लगा कि वे उस खोखली नली में से दूर बहुत दूर किसी रोशनी की तरफ उड़े जा रहे हैं।

उसने देखा कि जब वे उस नली के आखिरी सिरे पर पहुँचे तो वह गरुड़ काले संगमरमर की चट्टान के पास उतर रहा था।

इवान तुरन्त ही उसकी पीठ से नीचे लुढ़क गया। वह नम घास पर लेट गया और सोचने लगा कि अब तो यह गरुड़ बस उसको खा ही जायेगा।

पर यह देख कर उसे बड़ा आश्चय हुआ जब उसको खाने की बजाय वह उसके गले के माँस का टुकड़ा जो उसने खा लिया था वापस लाया और इवान से कहा कि वह उसको अपने घाव के ऊपर रख ले। इससे उसका घाव भर जायेगा। इसके बाद वह उस खोखली नली से हो कर वहाँ से चला गया।

इवान ने ऐसा ही किया। उसका घाव कुछ पलों में ही भर गया।

सूरज की किरनों की गरमी से इवान के शरीर में कुछ जान सी आयी और उसने अपने अन्दर ताकत महसूस की। जब वह वहाँ लेटा हुआ था तो सूरज की एक किरन उसकी एक अँगूठी पर पड़ी तब उसे याद आया कि वह कहाँ था और अब कहाँ है।

उसने झुक कर माँ रूस की नम जमीन को चूमा और देखा कि उसकी खाल और उसके कपड़े सब कुछ सामान्य रंग के हो गये हैं। भगवान की प्रार्थना कह कर वह अपने घर को वापस चल दिया। घर आ कर उसने देखा कि तीनों ज़ारेवना उसके माता पिता के घर में उसका इन्तजार कर रही थीं। क्योंकि वह ऊपर की दुनियाँ में आ गयी थीं इसलिये उनके ऊपर पड़ा जादू भी टूट गया था।

इवान के माता पिता को बता दिया गया था कि उसके बड़े भाइयों ने उसके साथ क्या किया था। उन्होंने उनको घर से बाहर निकाल दिया।

इवान ने उनसे प्रार्थना की कि वे उसके भाइयों को माफ कर दें और उनको फिर से घर में बुला लें। उसके माता पिता ने उसकी प्रार्थना पर उनको घर वापस बुला लिया।

इवान ने सोने के राज्य वाली ज़ारेवना से शादी कर ली और फिर उनके कई बच्चे हुए। दूसरी ज़ारेवनाओं ने भी शादियाँ कर लीं पर इवान के भाइयों के साथ नहीं।

इवान के भाई भी अपने माता पिता के साथ खुशी खुशी रहे।

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