नाक कटी चिड़िया : कैनेडा की लोक-कथा

Naak Kati Chidiya : Lok-Katha (Canada)

(1875 में आइसलैंड देश के जो लोग कैनेडा के पूर्वी हिस्से में आ कर बस गये थे वे भी बाद में पश्चिम में विनीपेग झील की तरफ चले गये। और ये पहली बस्तियाँ थीं जो न्यू आइसलैंड के नाम से जानी गयीं। आगे लिखी कहानी उन्हीं लोगों में कही सुनी जाने वाली कहानियों में से एक है।)

एक बार एक किसान पत्थर से मछली पीस रहा था कि इतने में एक छोटी सी चिड़िया उसके पास आ बैठी और बोली — “ओ किसान, मुझे बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दे।”

किसान कुछ बोला नहीं और पास पड़े चाकू से उसकी नाक काट ली।

चिड़िया बोली — किसान किसान, तूने मेरी नाक काटी है अब इसे बाँधने के लिये तू मुझे लाल धागा भी दे।”

किसान बोला — “जा और जा कर उस बुढ़िया से ले ले।” चिड़िया बुढ़िया के पास गयी और बोली — “बुढ़िया बुढ़िया, किसान ने मेरी नाक काट ली है, इसे बाँधने के लिये लाल धागा दे।”

बुढ़िया बोली — “मैं क्यों दूँ तुझे लाल धागा? मैंने तो तेरी नाक नहीं काटी।”

चिड़िया बोली — “अगर तू मुझे लाल धागा नहीं देगी तो मौथ आ कर तेरा कपड़ा खा जायेगी। आ मौथ आ और आ कर बुढ़िया का कपड़ा खा जा। बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

मौथ बोली — “मैं तो नहीं खाती बुढ़िया का कपड़ा।”

चिड़िया बोली — “तो चुहिया आ कर तुझे खा जायेगी। ओ चुहिया आ और आ कर मौथ को खा जा। क्योंकि मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

चुहिया बोली — “मैं तो नहीं खाती मौथ को। मौथ ने मेरा कुछ नहीं बिगाड़ा।”

चिड़िया बोली — “तो बिल्ली आ कर तुझे खा लेगी। आ बिल्ली आ और आ कर चुहिया को खा ले। क्योंकि चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

बिल्ली बोली — “मैं तो नहीं खाती चुहिया को। चुहिया ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

इस पर चिड़िया बोली — “तो कुत्ता आ कर तुझे खा लेगा। आ कुत्ते आ और आ कर इस बिल्ली को खा ले। क्योंकि यह बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

कुत्ता बोला — “मैं तो नहीं खाता बिल्ली को, बिल्ली ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

इस पर चिड़िया बोली — “तो डंडा आ कर तुझे मारेगा। आ रे डंडे आ और इस कुत्ते को मार क्योंकि कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता, बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

डंडा बोला — “मैं क्यों मारूँ कुत्ते को? कुत्ते ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

चिड़िया बोली — “तब आग आ कर तुझे जला देगी। आ री आग आ और इस डंडे को जला क्योंकि डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

आग बोली — “मैं क्यों जलाऊँ डंडे को? डंडे ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

चिड़िया बोली — “तब पानी आ कर तुझे बुझा देगा। आ रे पानी आ और इस आग को बुझा क्योंकि आग डंडे को नहीं जलाती, डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

पानी बोला — “मैं क्यों बुझाऊँ आग? आग ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

चिड़िया बोली — “तब बैल आ कर तुझे पी जायेगा।आ रे बैल आ और इस पानी को पी जा क्योंकि पानी आग को नहीं बुझाता, आग डंडे को नहीं जलाती, डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

बैल बोला — “मैं क्यों पियूँ पानी? पानी ने मेरा क्या बिगाड़ा है?”

इस पर चिड़िया बोली — “तो जूआ तुम्हारे ऊपर रखा जायेगा। आ रे जूए आ और बैल के ऊपर बैठ जा क्योंकि बैल पानी नहीं पीता, पानी आग को नहीं बुझाता, आग डंडे को नहीं जलाती, डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

जूआ बोला — “ओ चिड़िया रानी, मैं बैल के ऊपर क्यों बैठूँ? बैल से मेरी क्या दुश्मनी है?”

इस पर चिड़िया बोली — “तो कुल्हाड़ी आ कर तुझे काट देगी। आ री आ कुल्हाड़ी आ और बैल के जूए को काट, क्योंकि बैल पानी नहीं पीता, पानी आग को नहीं बुझाता, आग डंडे को नहीं जलाती, डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

कुल्हाड़ी बोली — “मैं तो जूए को नहीं काटती। जूए का कोई कुसूर नहीं है।”

इस पर चिड़िया बहुत नाराज हुई। वह बोली — “तो पत्थर आ कर तुझ पर धार रखेगा। आ रे आ पत्थर आ और कुल्हाड़ी पर धार रख़ क्योंकि कुल्हाड़ी जूए को नहीं काटती, जूआ बैल पर नहीं बैठता, बैल पानी नहीं पीता, पानी आग को नहीं बुझाता, आग डंडे को नहीं जलाती, डंडा कु,त्ते को नहीं मारता, कुत्ता बिल्ली को नहीं खाता। बिल्ली चुहिया को नहीं खाती, चुहिया मौथ को नहीं खाती, मौथ बुढ़िया का कपड़ा नहीं खाती, बुढ़िया मेरी नाक बाँधने के लिये लाल धागा नहीं देती क्योंकि किसान ने मेरी नाक काट ली है।”

पत्थर बोला — “हाँ हाँ चिड़िया रानी, क्यों नहीं? तुमने एक बार मेरी जान बचायी थी। आज मैं तुम्हारा यह काम जरूर करूँगा। बताओ कहाँ है कुल्हाड़ी?”

कुल्हाड़ी यह सुन कर बहुत डर गयी। डर के मारे वह जूआ काटने दौड़ी, कुल्हाड़ी को आता देख जूआ बैल पर बैठने दौड़ा, जूए को आता देख बैल पानी पीने दौड़ा। बैल को आता देख पानी आग बुझाने दौड़ा, पानी को आता देख आग डंडा जलाने दौड़ी, आग को आता देख डंडा कुत्ते को मारने दौड़ा और डंडा आता देख कुत्ता बिल्ली खाने दौड़ा। कुत्ते को आता देख बिल्ली चूहा खाने दौड़ी, बिल्ली को आता देख चुहिया मौथ खाने भागी, चुहिया को आता देख मौथ कपड़ा खाने के लिये उड़ी, तब बुढ़िया ने चिड़िया को उसकी नाक बाँधने के लिये लाल धागा दे दिया।

और इस तरह चिड़िया ने अपनी नाक वापस पायी।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)

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