मिस्टर. बिल्ला : यूक्रेन लोक-कथा

Mister Billa : Lok-Katha (Ukraine)

क़िस्सा बड़ा पुराना है । कहीं कोई आदमी रहता था। उसके घर में एक बिल्ला था, वह भी इतना बूढ़ा कि अब चूहे न पकड़ पाता था । एक दिन मालिक ने सोचा : "ऐसा बेकार बिल्ला किस काम का ? मैं इसे जंगल में छोड़ आता हूं । वह बिल्ले को पकड़कर जंगल में छोड़ आया ।"

जंगल में बूढ़ा बिल्ला फ़र वृक्ष के नीचे बैठकर रोने लगा। तभी एक लोमड़ी दौड़ती हुई उधर से गुजरी ।

"तुम कौन हो ?"लोमड़ी ने पूछा ।

बिल्ले ने गुस्से से बाल खड़े करते हुए कहा :

"फ़ू-फ़ू ! मेरा नाम मिस्टर बिल्ला है !"

लोमड़ी इस महिमावान मिस्टर बिल्ले से मिलकर फूली न समाई। फिर क्या था ? उसने मिस्टर बिल्ले के समक्ष झटपट यह प्रस्ताव भी रख दिया:

"मिस्टर बिल्ला, आप मुझसे शादी कर लें। आपकी योग्य पत्नी बनकर रहूंगी। खाना बनाकर खिलाऊंगी।"

"ठीक है, तुम्हारा प्रस्ताव मुझे मंजूर है ।"

फिर बिल्ला और लोमड़ी साथ-साथ रहने लगे ।

लोमड़ी बिल्ले की टहल करते हुए उसे हर तरह से खुश रखती । कभी मुर्गी पकड़ लाती, तो कभी कोई छोटा-मोटा जंगली जानवर उठा लाती। खुद चाहे खाए न खाए, बिल्ले का पेट जरूर भरती ।

एक दिन लोमड़ी के यहां खरगोश आकर बोला :

"लोमड़ी, लोमड़ी, मैं तुम से सगाई करना चाहता हूं। जल्द ही रस्म लेकर आऊंगा,!”

"नहीं, मत आना ! मेरे घर में मिस्टर बिल्ला विराजमान हैं। अगर मेरे यहां आओगे, तो पछताओगे - वह तुम्हें फाड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे ।"

उधर बिल्ला बाहर निकल आया। उसके सारे रोएं खड़े थे । छाती फुलाकर वह डरावनी आवाज़ में फुफकारने लगा :

"फ़ू-फ़ू !"

बेचारे खरगोश का डर के मारे दम ही निकल गया । वह तुरन्त वहां से जंगल की तरफ़ तेजी से भागा। वहां जाकर उसने भेड़िये, भालू और जंगली सूअर से यह सारा क़िस्सा कह सुनाया कि कैसे उसने मिस्टर बिल्ला नामक एक खौफ़नाक जीव को लोमड़ी के घर में देखा । बस किसी तरह जान बचाकर भागता चला आया है ।

उन सभी ने मिलकर बिल्ले को खुशामद करने की एक तरकीब निकाली - उसे लोमड़ी के साथ अपने यहां दावत पर बुलाने का फ़ैसला किया ।

फिर क्या था ? मेहमान बिल्ले के स्वागत के लिए बढ़िया-बढ़िया खाने की लिस्ट बनाई जाने लगी ।

भेड़िये ने कहा :

मैं मांस का इन्तजाम करूंगा, ताकि बढ़िया शोरबा बनाया जा सके।"

जंगली सूअर ने कहा :

मैं चुकन्दर और आलू लेने जा रहा हूं।"

भालू ने कहा :

"भाइयो, मैं जायकेदार शहद लाऊंगा ।"

और ख़रगोश पत्तागोभी लाने के लिए भागा ।

इस तरह सबने मिलकर खाना पकाया, खाना मेज़ पर लगा दिया गया और फिर वे आपस में बहस करने लगे कि लोमड़ी और मिस्टर बिल्ले को दावत के लिए बुलाने कौन जाए ?

भालू बोला :

"मैं मोटा हूं, जल्दी हांफने लग जाऊंगा ।"

जंगली सूअर बोला :

"मेरी चाल बड़ी धीमी है, ऐसी चाल से भला क्या चल पाऊंगा ।"

भेड़िया बोला :

"मैं बूढ़ा हूं और सुनता भी ऊंचा हूं ।"

मजबूर होकर खरगोश को ही निमंत्रण लेकर जाना पड़ा।

खरगोश लोमड़ी के घर की ओर दौड़ पड़ा और वहां पहुंचकर उसने खिड़की पर तीन बार दस्तक दी, "खट-खट-खट !"

लोमड़ी झट से उछलकर बाहर आई, देखती क्या है कि खरगोश अपने पिछले पंजों पर खड़ा है।

"क्या चाहिए ?" लोमड़ी ने पूछा ।

"भेड़िये, भालू, जंगली सूअर और खुद अपनी ओर से मैं यह निमंत्रण लेकर आया हूं कि आप दोनों, यानी कि आप, श्रीमती लोमड़ी और मिस्टर बिल्ला आज हमारे यहाँ दावत पर आएं।"

खरगोश यह कहकर तुरन्त भाग गया। घर लौटा तो भालू ने उससे पूछा :

"चम्मच लाने के लिए कहना तो नहीं भूला ?"

"अरे, यह तो मैं भूल ही गया !" खरगोश ने कहा । और फिर से लोमड़ी के घर जा पहुंचा। उसने खिड़की पर दस्तक दी।

"हमारे यहां आते समय चम्मच लाना न भूलिएगा," खरगोश ने कहा ।

"अच्छा अच्छा, भूलेंगे नहीं !" लोमड़ी सज-धजकर तैयार हो गई और मिस्टर बिल्ले के हाथ में हाथ डालकर दावत खाने चल दी। मिस्टर बिल्ले ने फिर से अपने बाल खड़े कर लिए और फुफकारने लगा। उसकी आंखें ऐसे चमक रही थीं जैसे जलते हुए दो हरे-हरे बल्ब हों ।

उसका यह रौब- दौब देखकर भेड़िया डर के मारे झाड़ी के पीछे दुबक गया, जंगली सूअर खाने की मेज के नीचे घुसकर बैठ गया, भालू किसी तरह पेड़ पर चढ़ गया और खरगोश अपनी मांद में जा छिपा ।

बिल्ले को जब मेज़ पर परोसे हुए मांस की महक लगी, तो झट से उधर झपटा और 'म्याऊ म्याऊं' करने लगा ।

दूसरे जानवरों को लगा कि यह मेहमान "कम है, कम है, कम है !" की रट लगा रहा है ।

"बड़ा पेटू मेहमान है ! इतनी सारी चीजें उसे कम लग रही है !"

मिस्टर बिल्ले ने छककर खाया, जमकर पिया और वहीं मेज पर खरटि लेकर सोने लगा ।

उधर मेज के नीचे दुबके जंगली सूअर की दुम हिल रही थी। बिल्ले को लगा कि यह कोई चूहा है । वह उधर झपटा और जब देखा कि नीचे जंगली सूअर बैठा है, तो डरकर पेड़ पर चढ़ गया, जहां भालू बैठा हुआ था ।

भालू ने सोचा कि बिल्ला लड़ने आ रहा है, वह और ऊपर चढ़ गया। ऊपर की डाल टूट गई और भालू जमीन पर गिर पड़ा।

वह गिरा भी तो उसी झाड़ी पर जिसके पीछे भेड़िया छिपा बैठा था । भेड़िये ने सोचा कि अब उसका अन्त आ गया और अपनी जान लेकर भागा। भालू और भेड़िया इतनी तेजी से भागे कि फुर्तीला खरगोश भी क्या उनका पीछा करता ।

बिल्ले ने फिर से मेज पर चढ़कर मांस और शहद पर हाथ साफ़ करना शुरू कर दिया। इस तरह मिस्टर बिल्ले और लोमड़ी ने मिलकर सारा खाना चटकर डाला और घर चले गए ।

भेड़िया, भालू, जंगली सूअर और खरगोश जब लौटकर वहां आए तो बोले :

"कैसा जानवर है ! इतना छोटा और ऐसा पेटू कि हम सबको ही खा डालता !"

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