करामाती भेंटें : कैनेडा की लोक-कथा

Karamati Bhenten : Lok-Katha (Canada)

एक समय की बात है कि एक आदमी ने अपना भूसा काट कर घर ले जाने के लिये रखा कि इतने में बड़ी तेज़ हवा आयी और उसका सारा भूसा उड़ा कर ले गयी।

जब उस आदमी ने यह देखा तो उसको बहुत गुस्सा आया और वह हवाओं के देवता के पास पहुँचा और उनसे कहा — “तुमने मेरा भूसा उडा,या है इसलिये उसके बदले में तुम्हें मुझे कुछ न कुछ जरूर देना पड़ेगा।”

हवाओं के देवता ने कहा — “यह तो न्याय की बात है। मैं तुमको तुम्हारे भूसे के बदले में कुछ न कुछ जरूर दूँगा।

लो यह बतख लो। तुम्हें जब भी पैसों की जरूरत पड़े तो इस बतख को बस ज़रा सा दबा देना और तुम्हें इसमें से एक सोने का सिक्का मिल जायेगा।”

वह आदमी बतख पा कर बहुत खुश हुआ और उसको ले कर अपने घर की तरफ चल पड़ा। रास्ते में उसे रात हो गयी तो उसको एक सराय में रुकना पड़ा।

वहाँ लोगों ने उससे बतख के बारे में पूछा तो उसने उनको सब सच सच बता दिया। सुबह जब वह सो कर उठा तो उसने देखा कि उसकी बतख तो चोरी हो गयी थी।

जब उसने सराय के चौकीदार से अपनी बतख के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह तो रात को ही कहीं उड़ गयी थी। वह आदमी बहुत दुखी हुआ और वापस अपने घर की तरफ चल दिया। जब वह अपने घर वापस जा रहा था तो वह फिर से अपने भूसे के बारे में ही सोचता जा रहा था कि वह तो फिर बिना भूसे के और बिना बतख के ही रह गया। उसने दोबारा हवाओं के देवता के पास जाने की सोची।

वह दोबारा हवाओं के देवता के पास गया और उनको अपनी बतख की कहानी सुनायी।

हवाओं के देवता ने अब की बार उसको एक चक्की दी और कहा — “जब भी तुमको पैसों की जरूरत हो तो इस चक्की की मूँठ एक बार घुमा देना और यह चक्की तुमको सोना दे देगी।”

वह आदमी चक्की ले कर लौटा तो रात बिताने के लिये फिर से उसी सराय में रुका। फिर उसके साथ वही हुआ। सुबह को जब वह सो कर उठा तो उसकी चक्की चोरी हो चुकी थी। वह बहुत दुखी हुआ पर क्या करता।

वह तीसरी बार हवाओं के देवता के पास पहुँचा और जा कर उनको बताया कि उसकी तो वह चक्की भी खो गयी थी। इस बार हवाओं के देवता ने उससे पूछा कि तुम रात कहाँ गुजारते हो?

उस आदमी ने सारी कहानी सुना दी तो हवाओं के देवता बोले — “उन्होंने तुम्हारी बतख और चक्की दोनों ही चुरा लिये हैं इस लिये अब की बार तुम यह डंडा ले जाओ। उन लोगों के पूछने पर कहना कि मैं इससे कहता हूँ, “मुझे बाँध दो, मुझे बाँध दो।”

आदमी ने वह डंडा उठाया और चल दिया। रात होने पर वह फिर उसी सराय में रुका। लोगों के पूछने पर उसने उनको वही कहा जो हवाओं के देवता ने उससे कहने के लिये कहा था।

रात को चौकीदार उसे चुराने के लिये आया तो उसने डंडे से कहा — “मुझे बाँध दो, मुझे बाँध दो।”

अब क्या था वह डंडा उठा और उसने उस कमरे में रखी सब चीज़ें बाँधनी शुरू कर दीं। अब क्योंकि चौकीदार भी उसी कमरे में था सो उसने उसको भी बाँध दिया। फिर वह डंडा बाहर निकला और उसने और दूसरी चीज़ों और दूसरे लोगों को भी बाँधना शुरू कर दिया।

चौकीदार को पता ही नहीं था कि वह उसके इस काम को कैसे रोके इसलिये उसने शोर मचाना शुरू कर किया।

उस शोर से उस आदमी की आँख खुल गयी। उसने डंडे को सँभाला और सब आदमियों को खोला।

चौकीदार ने अपनी चोरी मान ली और उसकी बतख और चक्की दोनों ला कर उसको दे दीं। वह आदमी अपनी सब चीजें, ले कर खुशी खुशी घर वापस आ गया।

अब वह बतख और चक्की को अपने पास रखता था और उससे सोना निकालता था और वह डंडा उसने अपने घर के एक कोने में खड़ा कर दिया था क्योंकि अब उसको उसकी जरूरत ही नहीं पड़ती थी।

(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)

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