Sripada Subrahmanya Shastri
श्रीपाद सुब्रह्मण्य शास्त्री

श्रीपाद सुब्रह्मण्य शास्त्री का जन्म जिला पूर्व गोदावरी में रामचंद्रपुरम तहसील के अंतर्गत स्थित पालभूरु गाँव में 25 अप्रैल, 1891 को हुआ। उन्होंने वर्तमान समाज की विकृतियों, विद्रूपताओं तथा विशेषताओं को इतिवृत्त बनाकर व्यक्ति तथा सामाजिक व्यवस्था के बीच के द्वंद्व के साथ। कतिपय प्रमुख समस्याओं को कथ्य बनाकर रोचक कहानियाँ लिखी हैं। ये कहानियाँ पाठकों के हृदयों को टटोलकर उनमें जागृति पैदा करने में सफल सिद्ध हुई हैं। उनकी कहानियाँ निरर्थक आचारों पर कठोर प्रहार करके पाठकों को सोचने व समझने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। साथ ही व्यर्थ आडंबरों का तिरस्कार कर समकालीन समाज के साथ कदम-से-कदम मिलाकर आगे चलने की प्रेरणा देती हैं और अंधविश्वासों तथा कुरीतियों में ग्रस्त जनसमुदाय में चेतना जाग्रत् कर उनको सही मार्ग पर ले जाने के लिए उत्साहित करती हैं उनकी आँखें खोलने के लिए ये कहानियाँ प्रेरणादायक बन पड़ी हैं। उनकी रचनाएँ सर्वसाधारण मानव के निकट ले जाकर उन्हें सचेत करने में सक्षम हैं।

शास्त्रीजी न केवल तेलुगु के सुप्रसिद्ध कथाकार हैं, अपितु वे एक लोकप्रिय उपन्यासकार तथा उच्च कोटि के नाटककार भी हैं। उन्होंने 'अनुभवालु-ज्ञापकालु' (अनुभव एवं स्मृतियां) नाम से अपनी आत्मकथा भी रची है। | शास्त्रीजी तेलुगुभाषी कथाकारों में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त कथाकार हैं। आंध्र जनता ने उनकी रचनाओं पर मुग्ध हो, उनका स्वर्णाभिषेक भी किया था। उन्होंने सामाजिक एवं ऐतिहासिक कहानियों की रचना प्रचुर संख्या में की है। उनके द्वारा रचित लघु कथाएँ–'वड्ल गिंजलु', 'गुलाबी अत्तर', 'अरि काल्क किंद मंदलु, 'इलांटि तीर्पल वस्ते', 'मार्गदर्शी', 'कलुपु मोक्कलु' पाठक वर्ग में विशेष लोकप्रिय हुई हैं। अंग्रेजी भाषा की गंध से दूर विशुद्ध एवं लोक समुदाय की तेलुगु भाषा में उन्होंने अपनी कहानियाँ रची हैं। लोक-भाषा के शब्दों के उच्चारण के साथ उनके पात्र भारतीय ग्रामीण समाज की आशा-आकांक्षाओं का परिचय देते हैं। श्री शास्त्रीजी ने नाटक और उपन्यास भी लिखे, जिनमें 'राराजु', 'कलमपोटु', 'मिगक बंधनम् आदि नाटक तथा 'आत्मबलि' और 'नीला सुंदरी' उपन्यास स्मरणीय हैं। वे एक कुशल संपादक भी रहे। 'प्रबुद्धांध्र' नामक एक पाक्षिक पत्रिका का भी उन्होंने कुशल संपादन किया है। अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण श्री शास्त्रीजी तेलुगु साहित्य के इतिहासप्रसिद्ध रचनाकार बनकर रहे।।

श्रीपाद सुब्रह्मण्य शास्त्री : तेलुगु कहानियाँ हिन्दी में

Sripada Subrahmanya Shastri : Telugu Stories in Hindi