Ravuri Bharadwaja
रावुरी भारद्वाज

रावुरी भारद्वाज (1927 – 18 अक्टूबर 2013) ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता तेलुगू उपन्यासकार, लघु-कथा लेखक, कवि एवं समीक्षक थे। उन्होंने 40 लघुकथा संग्रह, 20 उपन्यास, तीन निबंध संग्रह और 8 नाटक एवं पाँच रेडियो रूपान्तरण प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने बच्चों के लिए 6 लघु उपन्यास कादंबरी, पकुदुराल्लू, जीवन समारम, इनुपू तेरा वेनुका, कौमुदी और 5 लघुकथा संग्रह, लिखे।उनके अधिकांश रचनाकर्म का प्रमुख भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। डॉ रावुरी का जन्म तत्कालीन हैदराबाद स्टेट के मोगुलूरू गांव में हुआ था, जहां से वे आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में ताडीकोंडा गांव चले गए। आठवीं तक औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने वाले डॉ रावुरी भारद्वाज को तीन विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की। रावुरी ने १८ अक्टूबर २०१३ को हैदराबाद के बंजारा हिल्स अस्पताल की देखरेख में अन्तिम साँसे ली। डॉ. भारद्वाज को साहित्य अकादमी पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में तकनीशियन, कारखाने और प्रिंटिंग प्रेस के अलावा साप्ताहिक पत्रिका जामीन रायतु एवं दीनबंधु के संपादकीय विभाग में कार्य किया।
सामान्य परिस्थितियों में जन्म लेकर, अभाव और दारिद्रय जैसे प्रतिकूल वातावरण में पलकर, अनेकानेक बाधाओं-कठिनाइयों का सामना कर, अनन्यतम स्तर तक पहुँचने वाले इने-गिने साहित्य-सर्जकों में कलाप्रपूर्ण डॉ. रावूरी भरद्वाज अग्रगण्य हैं। कई विश्वविद्यालयों और साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं ने उन्हें मानद उपाधियों से सम्मानित कर अपने आपको गौरवान्वित किया है।