Gurmukh Singh Musafir
गुरमुख सिंह 'मुसाफिर'

ज्ञानी गुरमुख सिंह 'मुसाफिर' (15 जनवरी 1889 - 18 जनवरी 1976) एक कर्मठ राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ पंजाबी के बड़े साहित्याकार भी थे। उनके नौ कविता संग्रह और आठ कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ज्ञानी जी की कहानियों का क्षेत्र बहुत व्यापक था। उनकी कहानियों में आज़ादी की जंग, समाज की समस्याएं, हिन्दु-मुसलमान भाईचारा, विभाजन का दर्द, शरणार्थियों की दुख-तकलीफों से जुड़े विषय हमें देखने को मिलते हैं, जिन्हें वह बेहद मनोवैज्ञानिक ढंग से कहानियों में उठाते हैं। ज्ञानी जी की प्रारंभिक कहानियाँ ''सभ हच्छा'', ''बागी दी धी'', ''रेशमी लीड़ा'' बहुत कामयाब कहानियाँ हैं। ''इक नवां पैसा'',''बल्हड़वाल'', ''अजायब'', और ''दुचित्त नंद'' उनकी अधिक चर्चित कहानियाँ रही हैं।