Gopinath Mohanty
गोपीनाथ मोहंती

गोपीनाथ मोहंती एक ओड़िया साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अमृतरसंतान के लिये उन्हें सन् १९५५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (ओड़िया) से सम्मानित किया गया। इन्हें १९७३ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्हें भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। गोपीनाथ महान्ती ने 24 उपन्यास, 10 कहानी संग्रह, 3 नाटक तथा 2 बायोग्राफी एवं कंध, गडाबा, शौंरा आदिवासियों की भाषाओं पर पाँच पुस्तकें लिखने के साथ-साथ लिओ तोल्स्तोय के उपन्यास 'वार एंड पीस' तथा टैगोर के उपन्यास 'जोगजोग'का ओडिया में अनुवाद किया। आपके उपन्यास 'मन गहिरा चास'(1940), 'दादी बूढा'(1944), 'परजा' (1945), 'दानापानी'(1955), 'हरिजन'(1948), 'अमृत संतान'(1947), इत्यादि है उनके उपन्यास 'दानापानी', 'लय-विलय', 'दादी-बूढ़ा' का अँगरेजी-भाषा में अनुवाद क्रमशः 'The Survivor,High Tide-Ebb Tide,The Ancestor के नाम से फेबर एंड फेबर यूके; ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया, मैकमिलन इंडिया लिमिटेड,लार्क बुक्स इत्यादि से प्रकाशित हुए। तथा कहानी-संग्रह 'घासर फूल' (1951), 'पोड़ा कपाल' (1951), 'नववधू'(1952), 'छाई आलुअ'(1956), 'रण धन्दोल' (1963), 'गुप्त-गंगा'(1967), 'नाम मने नाहीं'(1968), 'उदंता खई'(1977), 'मनर निया'(1979), 'सात-पांच'(1989), 'शरशय्या'(1991), 'तिनिकाल' (1993), 'वघेई'(1995), 'गोपीनाथ मोहन्ती के श्रेष्ठ गल्प (1996)इत्यादि। आपकी भाषा काव्यमयी होने के साथ-साथ स्वतस्फूर्त भी थी।