Bhuvneshwar Prasad Shrivastav
भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव

भुवनेश्वर हिंदी के प्रसिद्ध एकांकीकार, लेखक एवं कवि थे। उन्होंने अपने छोटे से जीवन काल में लीक से अलग किस्म का साहित्य सृजन किया।उनका जन्म शाहजहांपुर के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन में ही उनकी माँ का देहान्त हो गया। इसके कारण उनको घर में घोर उपेक्षा झेलनी पड़ी। कम उम्र में घर छोड़कर जब इलाहबाद आये तो शाहजहांपुर में महज इंटरमीडिएट तक पढ़े इस लेखक के अंग्रेजी ज्ञान और बौद्धिकता का वहां के लेखकों पर आतंक छा गया। आदर्श और यथार्थवाद के उस दौर में इनकी रचनाओं ने दोनों के सीमान्तों को इस प्रकार उद्घाटित किया कि उनके बारे में तरह-तरह की किवदंतियां फैलने लगी। उन्हें आधुनिक एकांकियों के जनक होने का गौरव भी हासिल है। एकांकी, कहानी, कविता, समीक्षा जैसी कई विधाओं में भुवनेश्वर ने साहित्य को नए तेवर वाली रचनाएं दीं। उनकी रचनाएं भूतकाल से न जुड़ कर भविष्य के साथ ज्यादा प्रासंगिक नज़र आती हैं। कहानियाँ : आजादी : एक पत्र, एक रात, जीवन की झलक, डाकमुंशी, भेड़िये, भविष्य के गर्भ में, माँ-बेटे, मास्टरनी, मौसी, लड़ाई, सूर्यपूजा, हाय रे, मानव हृदय!, नाटक और एकांकी, ताम्बे के कीड़े, एक साम्यहीन साम्यवादी, एकाकी के भाव, पतित (शैतान), प्रतिभा का विवाह, श्यामा : एक वैवाहिक विडंबना (१९३३), और कारवां (एकांकी संग्रह) स्ट्राइक (एकांकी) 'ऊसर' के नामहीन चरित्र (एकांकी)।