Thakur Dalip Singh
ठाकुर दलीप सिंह

ठाकुर दलीप सिंह जी (6 अगस्त 1953-) का जन्म भैणी साहिब, जिला लुधियाना में हुआ। इनके पिता महाराज बीर सिंह जी (नामधारी सतगुरु जगजीत सिंह जी के भ्राता) महान विद्वान् व संत और माता बेबे दलीप कौर जी सेवा, सिमरन की मूरत थीं। आप का बचपन अपने दादा सतगुरु प्रताप सिंह जी और ताया पिता सतगुरु जगजीत सिंह जी के सान्निध्य में बीता। इनकी रहनुमाई में आपने सहज भाव से ही सम्पूर्ण गुरु वाणी के साथ-साथ भारतीय दर्शन शास्त्र, शास्त्रीय संगीत, फोटोग्राफी की बारीकियां तथा अन्य विद्या भी सीख लीं। आप फोटोग्राफी में 150 नैशनल और इंटरनैशनल अवार्ड हासिल कर चुके हैं। जैसे कि 'आर्टिस्ट ऑफ़ द ईयर' 1993 कन्सेप्ट चंडीगढ़ की तरफ से और 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' अकैडमी ऑफ़ विजुअल मीडिया की ओर से 2004 में देकर सम्मानित किया गया। आप की प्रमुख रचनाएँ "गुरबाणी दर्शन", "नानक सायर एव कहित है" और "रस भरी वाणी नानक की" हैं। आप पंजाबी साहित्य अकैडमी लुधियाना के सरंक्षक, इंडिया इंटरनैशनल फोटोग्राफिक सोसायटी के प्रमुख सदस्य के अलावा अकैडमी ऑफ़ विजुअल मीडिया के ट्रस्टी और लैन्जमेन क्लब लुधियाना के प्रमुख व पहले प्रधान भी हैं। आप गुरु वाणी के अनुसार जीवन यापन करने वाले, समाज सुधार के लिए प्रयासरत एवं समूचे सिक्ख पंथ के लिए प्रगतिशील सोच रखने वाले हैं। आप ने सारे गुरुनानक नाम लेवा के मध्य आपसी दूरियों तथा मतभेदों को दूर करने, आपसी एकता और भ्रातृत्व की भावना बढ़ाने के लिए 21 अप्रैल 2014 को दिल्ली में गुरु नानक नाम लेवा कान्फ्रेंस और 16 अगस्त 2016 को चंडीगढ़ में हिन्दू - सिक्ख एकता सम्मेलन करवा भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों को एक मंच पर एकत्रित किया। आप गुरु वाणी के अनुसार परस्पर प्रेम, एकता और सांझीवालता कायम करने के लिए निरंतर यत्नशील हैं।-राजपाल कौर

ठाकुर दलीप सिंह हिन्दी निबंध