ग्वाले का जवाब : कर्नाटक की लोक-कथा

Gwale Ka Jawab : Lok-Katha (Karnataka)

एक गाँव, जहाँ तिम्भा-बोम्भा नामक दो लड़के रहते थे। उन दोनों ने एक जोड़ी तोते पाल रखे थे। एक बार उन दोनों ने एक जुआ खेला।

वह इस प्रकार था। तिम्भा ने तोते का गला पकड़ा और बोम्भा से पूछा कि बता, यह तोता अब मरेगा कि जीएगा?

यह मामूली-सा प्रश्न नहीं था। काफी जटिल प्रश्न सामने था, जवाब में बोम्भा यदि यह कहता कि तोता बचेगा, संभावना यह थी कि तिम्भा तुरंत उसका गला दबा देता और जवाब में बोम्भा यह कहता कि तोता जीएगा, तब भी तिम्भा कुछ ऐसा कर सकता था कि तोते को उड़ने देता। दोनों तरफ से समस्या थी। इसलिए बोम्भा ने तिम्भा से जवाब देने के लिए कुछ समय माँगा।

अब बोम्भा अपनी इस स्पर्धा में विजयी होने के लिए अनुभवी लोगों के पास गया। गाँव-गाँव घूमा। इस एक सरल सी समस्या की पूर्ति के लिए उसने सैकड़ों लोगों से जवाब माँगा। कहीं पर भी उसकी समस्यापूर्ति न हुई।

अंत में उसे रोना आ गया।

निराश होकर वह कहीं जंगल की तरफ निकल गया। वहाँ पर घास चराने के लिए एक ग्वाला गौओं को ले आया था। तब बोम्भा एक पेड़ तले रुआँसा चेहरा लिये सुस्ता रहा था। उसको इस अवस्था में देखकर ग्वाले को दया आई। उसने लड़के से पूछा, "बेटा, यह रुआँसा चेहरा लिये यहाँ क्यों बैठे हो?"

बोम्भा का उससे, उससे ही क्यों, किसी से बोलने का मन नहीं था, मगर ग्वाला भी अपने प्रश्न का जवाब मिले बिना हटने को तैयार नहीं था।

फिर उदास अंदाज में ही बोम्भा ने जवाब दिया कि जब बड़े-बड़े लोग मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दे सके तो तुम क्या मेरी समस्या को दूर कैसे करोगे?

ग्वाले ने कहा, "यह नहीं कि मैं तुम्हारी समस्या का हल निकालूँगा, मगर इतना तो सच है, मुझसे अपनी बात कहकर तुम्हारा मन हलका जरूर होगा। बताओ तो क्या बात है !"

फिर बोम्भा ने सारी बात दिल खोलकर उसके सामने रख दी।

ग्वाले ने कहा, "फिर भी मैं तुम्हारे साथ चलूँगा। मुझे जो लगता है, वह मैं कहकर देखूँगा।" इस पर बोम्भा ग्वाले के साथ अपने गाँव लौटा।

चौपाल में पंचायत शुरू हुई। गाँव के सब लोग वहाँ आकर जमा हुए थे। कुछ लोग कौतूहलवश तो कुछ लोग दिलचस्पी से वहाँ पर इकट्ठा हुए थे।

ग्वाला तिम्भा के करीब आकर बैठा था।

पंचायत शुरू हुई। तिम्भा ने ग्वाले के आगे भी अपना प्रश्न उसी तरह दोहराया।

अब ग्वाला भी एक तरह से पंचों का अंग बन गया था। चर्चा में उसकी भागीदारी शुरू हुई।

ग्वाला अपने साथ भेड़ चरानेवालों का एक डंडा लेकर आया था। ग्वाले ने वह डंडा तिम्भा के सिर पर रखकर पूछा, “तिम्भा, पहले यह बता कि यह डंडा अब तुम्हारे सिर की खबर लेगा या चुप ही रह जाएगा?"

तिम्भा उसका क्या जवाब देता? वह पानी-पानी हो गया। उसकी भी वही हालत बननी थी, जो कि तोते की थी।

अब ग्वाले ने कहा, "तुम्हारे प्रश्न का यही जवाब है।" बोम्भा ही नहीं, सारा गाँव ग्वाले की बुद्धिमत्ता का प्रशंसक बन गया था।

(साभार : प्रो. बी.वै. ललितांबा)

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