जीवन परिचय और रचना संसार : सरोजिनी साहू

Biography : Sarojini Sahu

सरोजिनी साहू ओड़िया भाषा की प्रमुख साहित्यकार हैं। वे स्त्री विमर्श से जुड़ी कृतियों के लिए विशेष रूप से चर्चित रही हैं। सरोजिनी चेन्नई स्थित अंग्रेजी पत्रिका इंडियन एज (Indian Age) की सहयोगी संपादक हैं। कोलकाता की अंग्रेजी पत्रिका “किंडल” ने उन्हे भारत की 25 असाधारण महिलाओं में शुमार किया है।

जीवन वृत

उनका जन्म १९५६ में उड़ीसा के धेंकनाल में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री इश्वर चन्द्र साहू तथा माता का श्रीमती नलिनी देवी था। उनका विवाह ओड़िया साहित्य के प्रमुख लेखक जगदीश मोहंती के साथ हुआ है। आपकी दो संतानें हैं। उन्होंने विधि में स्नातक और ओड़िया साहित्य में स्नातकोत्तर तथा पीएचडी तक शिक्षा प्राप्त की है। वे सम्प्रति में बेलपहाड़ कॉलेज में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।

रचनाएँ

अब तक उनकी अठारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमे दस कहानी संग्रह और आठ उपन्यास शामिल हैं।

कहानी संग्रह

सुखर मुहामुहीं ‘‘ (1981), निजगाहिरारेनिजे (1989), अमृतर प्रतिक्षारे ‘‘(1992), चौकठ (1994), तरली जाउथिबा दुर्ग (1995), देशंतरी (1999), दुख अप्रमित (2006), सरोजिनी साहू शॉर्ट स्टोरी़ज़ (Sarojini Sahoo short stories), सृजनी सरोजिनी (2008) वेटिंग फॉर मन्ना (Waiting for Manna)

उपन्यास

उपनिबेश (1998), प्रतिबंदी (1999), स्वप्न खोजाली माने (2000), महाजात्रा (2001), गम्भिरी घर (2005), बिषाद इश्वरी (2006), पक्षिवास (2007), असमाजिक (2008)

उनका चर्चित उपन्यास गम्भिरी घर का बांग्ला अनुवाद "मिथ्या गेरोस्थाली" शीर्षक से बांग्लादेश के मूर्धन्य प्रकाशक अनुपम प्रकाशनी ने प्रकाशित किया है। इस उपन्यास के अनुवादक मोर्शेद शफीउल हसन तथा दिलावर हुसैन, बांग्लादेश के चर्चित लेखक हैं। प्रमिला के.पी. ने इस उपन्यास का मलयालम में अनुवाद किया है और चिंता पब्लीशर्ज़, तिरुवनन्तपुरम ने इसे द्वारा "इरुन्दा कूदरम" के शीर्षक से प्रकाशित किया है। डॉ॰ विश्वनाथ बीते इसके मराठी, मार्टिना फुक्स जर्मन अनुवाद पर काम कर रहे हैं। एक और उपन्यास “पक्षीवास” को 2009 में इसी शीर्षक से बांग्ला में बांग्लादेश से प्रकाशित किया है। इस उपन्यास का हिन्दी अनुवाद दिनेश कुमार माली ने किया है और इसे एक वि-पुस्तक (ई-बुक) के रूप में रचनाकार द्वारा प्रकाशित किया गया है।दिनेश कुमार माली के सरोजिनी साहू की श्रेष्ठ कहानियां के अनुवाद 'रेप तथा अन्य कहानियाँ' राजपाल एण्ड्सन्स पब्लिकेशन्स,नई दिल्ली से और उनका ओडिया उपन्यास "गंभीरी घर" का हिन्दी अनुवाद 'बंद कमरा' भी इसी प्रकाशन हाऊस से प्रकाशित हुआ है, इसके साथ ही उनकी 'सरोजिनी साहू की ओड़िया दलित कहानियाँ'एवं उपन्यास 'विषादेश्वरी' 'पक्षीवास' का हिन्दी अनुवाद यश पब्लिकेशन्स,नई दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं।

रचनात्मक विशेषताएँ

उनकी रचनाएँ उड़िया साहित्य में नारीवादी धारा का प्रमुख स्तंभ हैं। इस कारण उन्हें शिमोन दबउआ भी कहा जाता है। पर वे हेगेलीय तत्व "अन्यान्य" (Others) के स्तर पर सिमोन से अलग हैं। जुडिथ बटलर (Judith Buttler) या वर्जीनिया वूल्फ़ (Virginia Woolf) की सोच से भी उनका नारीवाद थोड़ा अलग है। नारीवाद को लिंग समस्या (जेंडर प्रॉब्लम) से आगे पितृसतात्मक समाज के प्रति विरोध से परे नारियों की समूचे दुनिया का अलग ढंग से अवलोकन करना उनकी रचनाओं की विशेषता है। उनकी रचनाओं में यौनता को नया आयाम देने की कोशिश की गई है। वे यौनता को केवल दैहिक वासनाओं से जोड़कर देखने के बजाय उससे आगे लैंगिक समस्या, लैंगिक भूमिका, लैंगिक समता, लैंगिक पहचान से जोड़ कर देखती हैं। उनका उपन्यास "उपनिवेश " ओड़िया साहित्य का प्रथम उपन्यास माना जाता है जिसमे नारी की यौन भावनाओं को मुक्त रूप से स्वीकारा गया है। उपन्यास की नायिका मेधा बोहेमियन नारी है और सारा जीवन एक पुरुष के साथ बिताने में ऊब जाती है। उनका सबसे चर्चित उपन्यास "गम्भिरी घर" एक पाकिस्तानी कलाकार और भारतीय गृह वधु की प्रेम कहानी है। इसमें आतंकवाद, राष्ट्र और व्यक्ति में चल रहे संघर्षों तथा पाप, पुण्य की भावनाओं के द्वंद्व का बखूबी चित्रण किया गया है। ओड़िया साहित्य में नारीवादी स्वर को प्रखर करने की दृष्टि से "गम्भिरी घर" की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

पुरस्कार

उड़ीसा साहित्य अकादमी पुरस्कार, (1993), झंकार पुरस्कार, (1992), भुवनेश्वर पुस्तक मेला पुरस्कार, (1993), प्रजातंत्र पुरस्कार, (1981,1993)

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