बिना हाथों वाली लड़की : परी कहानी

Bina Hathon Wali Ladki : Fairy Tale

गहूँ पीसनेवाली एक चक्की का मालिक अब अपने बुरे दिनों के कारण बड़ी ही गरीबी की जिंदगी बिता रहा था, क्योंकि अब उसकी चक्की पर कोई भी गेहूँ पिसवाने नहीं आता था। गरीबी के कारण वह अपनी पत्नी और बच्ची के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाता था। आटे की चक्की के पीछे एक सेब का पेड़ था और उसके साथ ही उसका टूटा-फूटा घर। अपने दो वक्त की रोटी के लिए उसे जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटनी पड़ती थीं। उन्हीं लकड़ियों को बेचने पर जो पैसे मिलते, उसीसे उसका घर चलता था। वह अपनी जिंदगी से बहुत दुःखी होकर एक बार जंगल से लकड़ियाँ काटने गया, तो वहाँ उसे एक बूढ़ा आदमी मिला, जिसे उसने पहले कभी इस जंगल में नहीं देखा था। वह बूढ़ा आदमी उस चक्की के मालिक के पास आया और उससे बोला, 'तू अपनी गरीबी से इतना दुःखी क्यों है? मैं तुझे बहुत अमीर बना सकता हूँ, अगर तू मुझे वह चीज देने का वायदा करे, जो मैं तुझसे माँगूं।'

चक्की के मालिक ने सोचा, 'मेरे पास इस बूढ़े को देने के लिए है ही क्या। यह मुझसे कौन सी मेरी जायदाद ले जाएगा।' वह पहले ही अपनी गरीबी से बहुत दुःखी था। उसने अमीर बनने के लालच में बिना कुछ सोचे-समझे बूढ़े की बात मान ली और उसे वह चीज देने का वायदा भी कर लिया, जो वह माँगेगा। बूढ़ा आदमी एक रहस्यात्मक हँसी हँसकर बोला, 'अब मैं तीन साल बाद तुम्हारे पास अपनी चीज लेने आऊँगा।' इतना कहकर वह बूढ़ा आदमी वहाँ से चला गया।

जब लकड़ियाँ काटकर चक्की का मालिक अपने घर पहुँचा तो उसकी पत्नी दौड़कर उसके पास आई और बोली, 'तुम मुझे सच-सच बताओ कि हमारे घर में अचानक यह इतना सारा धन कहाँ से आया। हमारे घर के सारे बरतन धन से भर गए। यह सबकुछ एकदम कैसे हो गया? कोई आदमी बाहर से धन लेकर हमारे घर नहीं आया है। मैं तुमसे पूछती हूँ, ये सब क्या है?' उसका पति बोला, 'शायद यह सब उस बूढ़े आदमी की दया है, जो मुझे आज पहली बार जंगल में मिला था। उसने मुझसे केवल एक चीज की माँग की थी और उसके बदले में बहुत सारा धन देने का वायदा किया था।'
उसकी पत्नी ने पूछा, 'वह बूढ़ा आदमी इतने सारे धन के बदले में कौन सी चीज माँग रहा था?'

चक्की का मालिक बोला, 'चक्की के पीछे जो सेब का पेड़ है, शायद वह उसे लेना चाहता होगा।' पत्नी तुरंत जान गई कि वह बूढ़ा आदमी शैतान था। वह सेब का पेड़ नहीं, बल्कि उस सेब के पेड़ से सेव तोड़ती हुई उसकी बेटी को उनसे छीनना चाहता है। यह सोचकर वह बहुत डर गई और साथ ही उसे अपने पति पर भी बहुत गुस्सा आया, जिसने धन लेने के लालच में बिना कुछ सोचे-समझे 'हाँ' कर दी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बच्ची को शैतान के चंगुल से कैसे बचाए। चक्की के मालिक की बेटी बहुत ही सुंदर और सुशील थी। साथ ही ईश्वर की बड़ी भक्त भी। रोज सुबह नहाधोकर वह ईश्वर की प्रार्थना करती थी।

इधर धीरे-धीरे तीन साल कैसे बीत गए, किसीको पता ही नहीं चला। तभी एक दिन अचानक वह बूढ़ा आदमी उस चक्की के मालिक के सामने आकर खड़ा हो गया और उससे बेटी देने की माँग उससे की। चक्की का मालिक उसकी मांग सुनकर घबरा गया। उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि वह बूढ़ा इस पैसे के बदले में उससे उसकी बेटी की माँग करेगा। जब वह अपनी बेटी को बुलाने पहुँचा तो वह ईश्वर की पूजा कर रही थी। अत: अपनी बेटी से बिना कुछ कहे वह शैतान के पास वापस आकर बोला, 'मेरी बेटी अभी पूजा कर रही है। तुम कल आकर उसे ले जाना।'

बूढ़ा बिना कुछ जवाब दिए चला गया। अगले दिन सुबह वह बुड्डा फिर पहुँच गया, पर आज भी वह लड़की पूजा में व्यस्त थी। अब तो बूढ़े को चक्की के मालिक पर बहुत गुस्सा आया। वह बोला, 'जिन हाथों से वह पूजा कर रही है, तू उन्हीं हाथों को काटकर मेरे पास लेकर आ।'

चक्की का मालिक घबराकर बोला, 'बाबा, कैसी बातें करते हो? मैं अपनी ही बेटी के हाथ कैसे काट सकता हूँ?' बूढ़ा आदमी बोला, 'ठीक है, अगर तू मेरे कहे अनुसार अपनी बेटी के हाथ नहीं काटेगा तो मैं तेरी ही गरदन मरोड़ दूंगा और अपने साथ ले जाऊँगा।'

बूढ़े की यह बात सुनकर चक्की का मालिक बहुत डर गया, क्योंकि वह मरना नहीं चाहता था। वह घबराकर अपनी बेटी के पास पहुँचा। उसने अपनी बेटी को सारी बात सुना दी और फिर बोला, 'मैं तेरे हाथ नहीं काटता तो बूढ़ा मेरी जान ले लेगा और बाप होने के नाते मैं अपनी बच्ची के हाथ नहीं काटना चाहता।'

लड़की ने अपने पिता को तसल्ली दी और ईश्वर की इच्छा मानकर अपने दोनों हाथ अपने पिता के सामने कर दिए। पिता ने आँखें बंद करके अपनी बेटी के दोनों हाथों पर तेज चाकू से ऐसा वार किया कि हाथ कट गए। हाथ लेकर वह बूढ़े के पास पहुँचा। बूढ़े ने दोनों हाथ उससे ले लिये और बोला, 'अब तेरी यह लड़की तेरे किसी काम की नहीं है। अब तू इसे मेरे हवाले कर देना। मैं कुछ दिन बाद इसे लेने आयूँगा।'

चक्की का मालिक अपने इस पाप के लिए बहुत दुःखी था, पर वह अब उस शैतान से छुटकारा भी नहीं पा सकता था, क्योंकि उसने बिना सोचे-समझे पैसों के लालच में उसकी माँग स्वीकार कर ली थी। वह अपने इस कुकर्म के लिए अपनी बेटी से बार-बार माफी माँगने लगा, पर उसकी बेटी अब अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी, क्योंकि शैतान से पैसा लेने के बाद उसके पिता का दिमाग ही बदल गया था। ईश्वर में विश्वास रखनेवाली वह लड़की इस घर से कहीं दूर चली जाना चाहती थी, ताकि वह शैतान कोई नया गुनाह करने के लिए फिर उसके पिता को मजबूर न करे। माता-पिता के लाख समझाने पर भी वह अगले दिन अपने घर से निकल पड़ी। चलते-चलते शाम को वह एक सुंदर और बड़े बगीचे में पहुँची। दिन भर चलते रहने के कारण वह बहुत थक चुकी थी और साथ ही उसे बड़ी भूख भी लगी थी। बगीचे में नाशपाती के पेड़ों पर दो-चार पकी नाशपातियाँ लटक रही थीं। उन्हें देखकर उस लड़की की भूख और बढ़ गई, पर उन तक पहुँचना उसके बस का नहीं था, क्योंकि एक तो फल बड़ी ऊँचाई पर लगे थे और दूसरे, उसके हाथ ही नहीं थे। वह अपनी लाचारी पर बहुत दुःखी हुई और वहीं जमीन पर बैठकर ईश्वर का ध्यान करने लगी। तभी सफेद कपड़े पहने एक सुंदर सी लड़की उसके सामने आ खड़ी हुई और बोली, 'मैं तुम्हारी मदद करने आई हूँ। तुम्हें भूख लगी है और तुम सामनेवाले पेड़ की पकी हुई नाशपातियाँ खाकर अपनी भूख मिटाना चाहती हो। मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ पकी हुई नाशपातियाँ तोड़कर लाती हूँ।'

इतना कहकर वह सुंदर सी लड़की तीन-चार नाशपातियाँ तोड़कर लाई और अपने हाथों से खिलाने लगी। उस बाग का माली यह सबकुछ देखकर भी डर के मारे चुप रहा। उसे लगा कि यह जरूर कोई भूत है, जो सफेद कपड़ों में उनके बाग में घुस आया है। लड़की की भूख जब शांत हुई तो उसने उस देवी को हृदय से धन्यवाद दिया और वहाँ से उठकर झाड़ियों में छुपकर सोने के लिए चली गई।

अगले दिन जब उस बाग का मालिक एक सुंदर सा राजकुमार उस माली के पास पहुँचा तो माली ने उसे यह अनहोनी घटना सुनाई, पर उस राजकुमार को विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि आज तक उसके बाग में कोई भूत-प्रेत नहीं आया था। उसे लगा कि उसके माली ने जरूर कोई सपना देखा होगा, पर माली अपनी बात पर डटा रहा। उसने अपनी दोनों आँखों से सबकुछ देखा था। राजकुमार बोला, 'ठीक है, आज रात मैं भी तुम्हारे साथ इसी बगीचे में छुपकर देखूगा कि सचमुच वह कोई भूत तो नहीं है।'

सारे दिन चुपचाप वह लड़की घनी झाड़ियों में छुपकर बैठी रही, पर जैसे ही थोड़ा अँधेरा होना शुरू हुआ, वह झाड़ियों से निकलकर नाशपातियों के पेड़ के पास पहुँची और ईश्वर से प्रार्थना करने लगी। ईश्वर ने उसकी प्रार्थना सुन ली। कल वाली सुंदर सी लड़की तीन-चार नाशपातियाँ लेकर उसके पास पहुँची और उसे अपने हाथों से खिलाने लगी। जैसे ही नाशपातियाँ खत्म हुई वैसे ही राजकुमार, जो अपने माली के साथ एक बड़े से पेड़ के पीछे छुपा हुआ था, झट से बाहर आया और बोला, 'तुम लोग कौन हो? तुम इस दुनिया के लोग हो या किसी और दुनिया के?'

बिना हाथों वाली लड़की उस अजनबी को देखकर डर गई; गिड़गिड़ाते हुए बोली, 'मैं इसी दुनिया की अभागी लड़की हूँ। आज ईश्वर के अलावा सभी ने मुझे इस संसार में अकेला छोड़ दिया है।'

राजकुमार जब उस लड़की के नजदीक पहुँचा तो सफेद कपड़ों वाली लड़की वहाँ नहीं थी। केवल बिना हाथों वाली लड़की घुटनों के बल वहाँ पर बैठी थी। राजकुमार ने देखा कि उस लड़की के दोनों हाथ कटे हुए थे, पर वह बहुत ही सुंदर थी। राजकुमार को उसपर बहुत दया आई। वह उसे अपने साथ राजमहल ले गया और उसके लिए चाँदी के हाथ बनवाए और अपनी माता के कहने पर उससे विवाह कर लिया। ईश्वर पर अटूट विश्वास रखनेवाली लड़की के जीवन में फिर से खुशियाँ आ गई।

एक बार राजकुमार को किसी जरूरी काम से दूसरे देश जाना पड़ा। वह अपनी पत्नी को अपनी माँ की देखरेख में छोड़कर चला गया। कुछ दिनों बाद उस लड़की ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया। राजकुमार की माँ ने एक दूत के हाथों यह खुशखबरी लिखकर अपने बेटे के पास भेजी, पर रास्ते में जब वह दूत थककर आराम करने लगा तो उस शैतान ने आकर चुपचाप खत बदल दिया और लिख दिया कि उसकी पत्नी ने अपंग को जन्म दिया है। राजकुमार ने जब वह खत पढ़ा तो उसे खुशी की जगह बहुत दुःख हुआ, पर उसने सोचा कि कोई बात नहीं। वह बाद में इस बच्चे का इलाज करवाकर उसे ठीक कर लेगा। उसने अपनी माँ को खत लिखा कि घबराने की कोई बात नहीं। वह तब तक उन दोनों की सेहत का पूरा ध्यान रखे, जब तक वह वापस घर नहीं पहुँच जाता है, पर जब दूत लौटते समय अपने पहलेवाले स्थान पर आराम करने बैठा तो उसे नींद आ गई। इसी बीच शैतान ने दूसरा खत उसकी जगह रख दिया। इस खत में लिखा था कि माँ-बेटे दोनों को जान से मार डालो। जब अगले दिन दूत ने यह पत्र राजमाता को दिया तो वह इसे पढ़कर हैरान रह गई कि उसका बेटा कितना बड़ा निर्दयी है कि अपने बेटे और अपनी पत्नी को मारने के लिए लिख रहा है। वह अपनी बहू को बहुत प्यार करती थी तथा उसकी और उसके बेटे की जान बचाना चाहती थी। इसलिए उसने यह बात अपनी बहू को सुनाई। लड़की को इस खत पर विश्वास नहीं हो रहा था। फिर भी वह राजमाता के कहे अनुसार अपने बच्चे को लेकर राजमहल से निकल गई। राजमाता ने उसके साथ किसी नौकर या नौकरानी को भी नहीं भेजा, ताकि कहीं उसके बेटे को पता न चल जाए कि उसने उन दोनों को भागने में मदद की है। चलते-चलते जब वह लड़की थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गई तो उसे ईश्वर की याद आई, क्योंकि अब वह ही उन दोनों का एकमात्र सहारा था। वह सच्चे दिल से ईश्वर की प्रार्थना करने लगी। जैसे ही उसने आँखें खोलीं, तो अपने सामने एक सफेद कपड़े पहने सुंदर सी स्त्री को देखकर हैरान रह गई। वह स्त्री बोली, 'तुम घबराओ नहीं, बेटी। साथ में ही एक छोटा सा घर है। मैं तुम्हें वहीं ले चलती हूँ।'

उसने लड़की से उस बच्चे को अपनी गोद में ले लिया और उस छोटे से घर की ओर चल दी। जैसे ही वे तीनों उस घर के सामने पहुंची तो एक अधेड़ उम्र की औरत, जिसका चेहरा बहुत चमक रहा था, उस लड़की को पकड़कर घर के अंदर ले गई। उस औरत ने जैसे ही उसके हाथ छुए, उसके हाथ सचमुच के हो गए और चाँदीवाले हाथ जमीन पर गिर पड़े। लड़की यह सब देखकर हैरान होकर उस औरत के पैरों पर गिर पड़ी। तब वह औरत उसे उठाती हुई बोली, 'घबराओ मत, बेटी। ईश्वर ने तेरी सहायता के लिए मुझे भेजा है। तूने आज तक पूरी श्रद्धा से ईश्वर की पूजा की है। इसीसे खुश होकर उसने मुझे तेरे पास भेजा है। अब तुझे कोई दुःख नहीं होगा।'

इधर अपना काम खत्म करने के बाद जब राजकुमार वापस अपने महल में आया तो उसने अपनी माँ से अपनी पत्नी और अपने बच्चे के बारे में पूछा। राजकुमार की माँ अपने बेटे से पहले ही बहुत नाराज थी। उसने भी उसे खूब खरी-खोटी सुनाई, पर राजकुमार ने तो ऐसा कोई खत दूत को नहीं दिया था, जिसमें उसने दोनों को मारने की बात लिखी हो। वह यह जानकर बहुत दुःखी हुआ कि उसकी माँ ने उन दोनों को मरवा डाला है। उसने इस दु:ख के कारण खाना-पीना भी छोड़ दिया। जब राजकुमार की माँ को विश्वास हो गया कि उसने उन दोनों को मरवाने के लिए नहीं लिखा था, तो उसने अपने बेटे को सारी बातें सच-सच बता दी। राजकुमार बिना अन्न-जल ग्रहण किए अपनी पत्नी और बच्चे को ढूँढ़ने निकल पड़ा। उन दोनों को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते साल भी खत्म होने को आया, कहीं भी पता नहीं चला। शहर-शहर भटकने के बाद राजकुमार एक बार उसी जंगल में पहुँच गया, जहाँ वह लड़की अपने बच्चे के साथ रह रही थी। इतने बड़े जंगल में एक छोटा सा घर देखकर वह बड़ा हैरान हुआ। उसने डरते-डरते उस घर के दरवाजे को खटखटाया, तो एक अधेड़ उम्र की औरत ने दरवाजा खोला। उसे देखते ही बोली, 'आइए राजकुमार, इस छोटे से घर में आपका स्वागत है। आपने यहाँ आने का कष्ट कैसे किया?'

राजकुमार बोला, 'मैं काफी दिनों से अपनी पत्नी और बच्चे को ढूँढ़ रहा हूँ, पर उनका आज तक कहीं पता नहीं चला।'

उस औरत ने राजकुमार के सामने खाने-पीने की कई चीजें रखीं, पर राजकुमार ने कुछ नहीं खाया। वह बोला, 'कुछ भी खाने की इच्छा मुझे नहीं है। मैं यहाँ पर कुछ देर आराम करना चाहता हूँ अगर आप आज्ञा दें तो।'
वह औरत बोली, 'क्यों नहीं राजकुमार, आप इसी बिस्तर पर आराम कीजिए।'

राजकुमार उस औरत की आज्ञा पाकर वहीं उसी बिस्तर पर आँखें बंद करके लेट गया। तभी उसे अंदर से कुछ बातें करने की आवाजें सुनाई दीं। वह औरत कह रही थी, 'बाहर जाकर देख, तेरा पति और इस बच्चे का पिता तुम दोनों को ढूँढ़ता हुआ यहाँ आ पहुंचा है। तू बाहर जाकर उससे मिल।'

तभी उसे किसीके बाहर आने की आहट सुनाई दी। राजकुमार ने झट से अपनी आँखों पर हाथ रख लिया, ताकि वह चुपके से उस औरत का चेहरा देख सके। उस लड़की ने धीरे से उस राजकुमार के पास आकर उसे पहचानने की कोशिश की, पर उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी से वह उसे नहीं पहचान पाई, पर राजकुमार झट से अपनी पत्नी को पहचान गया। जब उसने उस लड़की के हाथों में बच्चे को देखा तो उसे लगा कि यह कोई और औरत होगी, क्योंकि उसकी पत्नी के हाथ तो सचमुच के नहीं, बल्कि चाँदी के थे। वह बात की सच्चाई जानने के लिए एकदम उठकर बैठ गया। उसे नजदीक से देखकर उसकी पत्नी उसे पहचान गई और बोली, 'मैं आपकी अभागी पत्नी और यह आपका अभागा बेटा है।'

राजकुमार को उस औरत की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सचमुच के हाथों वाली औरत उसकी पत्नी है। तभी वही अधेड़ उम्र की औरत चाँदी के दो हाथ लिये तेजी से बाहर आई। वह उन दोनों हाथों को राजा के सामने रखती हुई बोली, 'ईश्वर ने इसकी पूजा और भक्ति से खुश होकर इसे इसके असली हाथ वापस कर दिए हैं। यही आपकी पत्नी है।'

राजकुमार यह सुनकर खुशी से उछल पड़ा। उसने उस स्त्री तथा ईश्वर को धन्यवाद दिया और अपने बेटे एवं अपनी पत्नी को लेकर अपने महल में वापस आया, जहाँ पर राजमाता ने बड़ी धूम-धाम से सबका स्वागत किया। अंत में शैतान को उस लड़की का पीछा छोड़ना पड़ा।

(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)