भूखा भेड़िया : लातविया की लोक-कथा

The Hungry Wolf : Latvia Folktale/Folklore

एक बार एक भेड़िया बहुत भूखा था सो वह अपना खाना ढूँढने निकला। जब वह अपना खाना ढूँढता ढूँढता जा रहा था तो उसको एक बड़ा मोटा सा बकरा दिखायी दे गया।

वह बोला — “मिस्टर बकरे, मुझे बहुत भूख लगी है मैं तुमको खाना चाहता हूँ।”

बकरा बोला — “मगर तुम हो कौन? अगर तुम मुझको खाना ही चाहते हो तो पहले मुझे यह तो जानना ही चाहिये न कि तुम हो कौन।”

“मैं भेड़िया हूँ, बहुत भूखा भेड़िया। मैं तुमको खाना चाहता हूँ।”

बकरा बोला — “नहीं, तुम भेड़िये नहीं हो, तुम तो कुत्ते हो।”

भेड़िया बोला — “नहीं, मैं कुत्ता नहीं हूँ, मैं भेड़िया हूँ, और मैं तुमको खाना चाहता हूँ।”

बकरा बोला — “ठीक़ अगर तुम भेड़िये हो तब मैं तुमको अपने आपको खाने दूँगा। तुम उस पहाड़ी के नीचे अपना मुँह बड़ा सा खोल कर खड़े हो जाओ। मैं उस पहाड़ी के नीचे की तरफ भागता हुआ आऊँगा और तुम्हारे मुँह में आ कर कूद जाऊँगा।”

भेड़िया पहाड़ी के नीचे जा कर खड़ा हो गया और अपना मुँह खोल लिया। उधर बकरा पहाड़ी पर चढ़ गया और वहाँ से जितनी तेज़ी से दौड़ सकता था दौड़ कर नीचे आया।

उसने अपने सींग नीचे कर रखे थे सो उनके भेड़िये से टकराने की वजह से वह भेड़िया तो नीचे गिर पड़ा और वह खुद दूर भागता चला गया।

भेड़िया उठा और सोचने लगा — “मुझे नहीं लगता कि मैं इस बकरे के लिये भूखा हूँ। मुझे अपने शिकार के लिये कहीं और चलना चाहिये।” सो वह कोई और शिकार ढूँढने के लिये चल दिया। तभी उसको एक घोड़ा दिखायी दिया।

वह बोला — “मिस्टर घोड़े, मैं बहुत भूखा हूँ मैं तुमको खाऊँगा।”

घोड़ा बोला — “मगर तुम हो कौन? इससे पहले कि तुम मुझे खाओ मैं यह जानना चाहूँगा कि तुम हो कौन?”

भेड़िया बोला — “मैं भेड़िया हूँ।”

घोड़ा बोला — “नहीं, तुम मुझे भेड़िये नहीं लगते, तुम तो मुझे कुत्ता लगते हो।”

“नहीं मैं कुत्ता नहीं हूँ मैं भेड़िया हूँ और मैं तुमको खाने वाला हूँ क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी है।”

घोड़ा बोला — “ठीक है। अगर तुम भेड़िया हो तो मैं तुमको अपने आपको खाने दूँगा। पर मैं बहुत पतला सा हूँ। तुम मुझे मेरी पूँछ से खाना शुरू करो। जब तुम मुझे खा रहे होगे तो मैं अपने आपको मोटा करने के लिये घास खाता रहूँगा।”

सो भेड़िया घोड़े को उसकी पूँछ से खाने के लिये उसके पीछे पहुँच गया। उसने पहला कौर खाने के लिये अपना मुँह खोला ही था कि घोड़े ने अपने पिछले पैरों से उसके मुँह पर मारा।

बेचारा भेड़िया पहाड़ से नीचे की तरफ लुढ़कता ही चला गया। काफी नीचे पहुँचने पर वह उठा और सोचने लगा — “मुझे नहीं लगता कि मैं इस घोड़े के लिये भूखा हूँ। मुझे अपने शिकार के लिये कहीं और जाना चाहिये।”

सो वह फिर से किसी और शिकार को ढूँढने के लिये चल दिया। आगे चलने पर उसको एक सूअर दिखायी दिया। वह बोला — “मिस्टर सूअर, मैं तुमको खाऊँगा क्योंकि मुझे बहुत भूख लगी है।”

सूअर बोला — “मगर तुम हो कौन? इससे पहले कि तुम मुझे खाओ मैं यह जानना चाहूँगा कि तुम हो कौन?”

भेड़िया बोला — “मैं भेड़िया हूँ।”

सूअर बोला — “नहीं, तुम भेड़िया नहीं हो तुम तो कुत्ता हो।”

भेड़िया बोला — “नहीं मैं कुत्ता नहीं हूँ मैं भूखा भेड़िया हूँ और मैं तुमको खाने वाला हूँ।”

सूअर बोला — “ठीक है। अगर तुम भेड़िया हो तो मैं तुम्हें अपने आपको खाने दूँगा। पर मैं पहले तुमको अपने ऊपर चढ़ा कर घुमाना चाहूँगा तब तुम मुझको खा लेना। आओ मेरे ऊपर बैठ जाओ।”

भेड़िये ने पहले कभी सूअर की सवारी नहीं की थी सो उसको लगा कि इसकी सवारी करने में तो बड़ा मजा आयेगा। भेड़िया तुरन्त ही सूअर की पीठ पर कूद कर चढ़ कर बैठ गया।

भेड़िये को अपनी पीठ पर चढ़ा कर सूअर एक बाड़ के नीचे से भागा। भेड़िया उस बाड़ से ज़ोर से टकरा गया और उसकी पीठ से नीचे गिर गया।

तभी वहाँ शहर के कुत्ते आ गये। भेड़िया बोला — “मुझे नहीं लगता कि मैं इस सूअर के लिये भूखा हूँ। हर कोई देखो, मैं कुत्ता नहीं हूँ, मैं तो भेड़िया हूँ, कुत्ते तो वे रहे।”

यह कह कर भेड़िया वहाँ से भाग गया और कुत्ते उसके पीछे लग गये। बेचारा भूखा भेड़िया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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