अमेरिकन पेट्रोमैक्स (बांग्ला कहानी) : नवारुण भट्टाचार्य

American Petromax (Bangla Story) : Navarun Bhattacharya

कोने से दिख रहा है, फ़्लाईओवर के उपर से तरह-तरह के मॉडल और साईज़ की गाड़ियाँ जा रही हैं, जिनके बीच कभी-कभी कोई शव-वाहन और पुलिस वैन भी जाता हुआ दिख रहा है। नॉन-स्टॉप देखते रहने के बीच, अचानक घट्ट-घट्ट करती हुई एक मोपेड गुज़री। वैसे दूसरी गाड़ियों के मुक़ाबले उसकी रफ़्तार कम थी। बदरंगा हेलमेट, पछाड़ खाया विंडचीटर, एक आदमी का स्थूलकाय गठन – कहा नहीं जा सकता, शायद वो पारिजात हो। पारिजात अपनी बीवी, घर-परिवार को छोड़छाड़ कर बेबी आर, यानि बेबी रंडी के साथ लिव-टुगेदर कर रहा है। गरचा (कलकत्ता के बालीगंज जंक्शन के पास का एक इलाक़ा, जहाँ के देसी शराब के ठेके पर निम्नवर्ग के लोग और चुनिंदा बुद्धिजीवी, साहित्यकार और कलाकार शराब पीने जाते हैं) के देसी ठेके के दोस्त, फ़ायरमैन के सद्उपदेश भी उसे रोक नहीं पाए। पारिजात की स्नायु और नसों में तरह-तरह की पतली, मोटी नलियों से पेट्रोल घुस गया है। उसके हाथ-पैर-बदन जलते रहते हैं। डॉक्टर ने कहा था, देखिएगा, लिव-टुगेदर की रगड़ाई में डाई-टुगेदर न हो जाए। पारिजात ने इस पर कान नहीं दिया। वो जेरिकेन लेकर पेट्रोल पम्प से पेट्रोल ख़रीद कर लाता है। पेट्रोल की क़ीमत बढ़ती जा रही है। बेबी रंडी दिन में तीन बार, एक-एक बार में पाँच लीटर पेट्रोल पीती है। पारिजात कभी रईस के होटल पर चला जाता है, तो कभी कहीं दाल-तड़का रोटी खाता है। पेट्रोल की गैस से घर भभकता रहता है। आग जलाना असंभव है।

पारिजात जब गरचा के ठेके पर शाम ढलने के वक़्त, आख़री बार फ़ायरमैन के साथ तख़्त पर बैठकर बास मारता शराब पी रहा था, तब अचानक घप्प से लोडशेडिंग हो गई। शाम की रोशनी के ढल जाने से पहले फ़ायरमैन ने कहा था,

- घरबार, बीवी-बच्चे, यहाँ तक कि माँ के पोसे हए बिल्ले तक को तुमने अपनी बेबी रंडी के लिए बर्बाद कर दिया! इतना समझाया, पर तुम नहीं माने।

पारिजात चुप था। थोबड़े पर त्रासदी की परछाई, वो सिकुड़ कर गठरी बना बैठा रहा; फ़ायरमैन के सिगरेट जलाने जाने पर वो घबरा गया।

- घबराओ नहीं। मैं फ़ायरमैन हूँ, मेरा काम आग बुझाना है, जलाना नहीं।

- जानता हूँ फिर भी डर लगता है। जानते हो, कोई-कोई माचिस की तीली को डिब्बी पर रगड़ते ही उसका जलता बारुद छिटक जाता है। मान लो अगर एक भी चिंगारी छिटक कर साँस को छू जाए तो बस आग पकड़ लेगी।

- इसलिए तो तीली जलाने से पहले हाथ का एंगेल बाहर की तरफ़ किया है। मैं कोई और बात सोच रहा था।

- क्या?

- भूल गया। थोड़ा और लोगे? और एक पाईंट ले आऊँ?

- लाओ। भीतर एक अजीब तरह का केस चल रहा है। दिमाग़ में बवाल मचा हुआ है।

- मग्ज़ में पेट्रोल और एल्काहॉल एक साथ होने से बवाल तो मचेगा ही।

लोडशेडिंग के अंधेरे से थोड़ा अभ्यस्त हो जाने के बाद एक नेपाली लड़का पेट्रोमैक्स जलाने लगा। पारिजात उसे ही देख रहा था। पम्प के चलाते ही पेट्रोमैक्स की लपट बाहर निकलती और फिर अंदर सिमट जाती थी। पाईंट लेकर दीर्घकाय फ़ायरमैन वापस आ गया। एक तो उसकी विशाल देह, रोशनी और साए में और भी बड़ी लग रही थी। पेट्रोमैक्स की रोशनी स्थिर होते ही फ़ायरमैन ने देखा, पारिजात हल्का-हल्का सुबक रहा है। पारिजात ने सोचा फ़ायरमैन कुछ कहेगा। फ़ायरमैन ने दो ग्लासों में आधा-आधा पाईंट उड़ेला। पानी मिलाया। दो-एक मूँगफली के दाने मुँह में डाले। इन सब के बीच वह लाल्टेन के भीतर से बार-बार फुफकारती हुई आग की लपट की ओर देखता रहा।

- क्या हुआ? चुप मार गए?

फ़ायरमैन ने पारिजात की ओर देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान, बाक़ी विश्रांती थी।

- पेट्रोमैक्स को देख मुझे एक बात याद आ गई। बचपन में मामा के घर के आँगन में कालीपूजा हो रही थी। मँझले मामा उकड़ु बैठे पेट्रोमैक्स जला रहे थे और मुझे गोद में लेकर शराब की महक से भभकते मुँह से नाना कह रहे थे, ‘ये लाल्टेन अमरीकी आर्मी का माल है। ऐसा-वैसा नहीं है। युद्ध के बाज़ार में आया है। एकदम ख़ालिस अमेरिकन पेट्रोमैक्स। रोशनी का रुतबा देखा, क्या शानदार है!’

वैसे पारिजात और बेबी आर की कहानी, दूसरे विश्वयुद्ध के कलकत्ते की लगभग एक अंजान-सी घटना की ऐतिहासिक पुनरवृत्ति होकर लिपिबद्ध हो गई है। इसमें कौन सी घटना ट्रैजेडी, कौन सी फ़ार्स है, उसको लेकर कोई मंतव्य नहीं करूँगा। दोनों घटनाओं का अंत भी एक जैसा नहीं है। पहली घटना यूँ थी – दूसरे विश्वयुद्ध के एक कालाबाज़ारी की शाम को, एक क्षीण बंगाली कवि अपनी पत्नी के साथ चौरंगी के फ़ुटपाथ पर घूम रहा था। उसकी बीवी छोटे से क़द की थी। इतने में कुछ अमेरिकन फ़ौजी, काले या गोरे पता नहीं, उसकी बीवी को गोद में उठा किसी अंधी गली के अंदर घुस गए। बंगाली कवि चीख़ने-चिल्लाने लगा, क़िस्मत अच्छी थी, यू एस आर्मी के ही कुछ एम पी, यानि मिलिट्री पुलिस ढूँढ़-ढाँढ़कर उसकी कुम्भलाई बीवी को रेस्क्यु कर लाए। अगर घटना किसी और रूप में घटती तो बंग्ला कविता का इतिहास कुछ और ही होता, इसके बारे में अभिज्ञ मंडल बेशुबहा है। हूबहू न होते हुए भी, वैसी ही एक घटना 2007/8/9 को घटी। ईरान और उत्तर कोरिया की ओर जाते हुए, रास्ते में यू एस आर्मी के कुछ फ़ौजी कुछ दिन कलकत्ते में रुके। चौरंगी इलाक़े के शराबख़ाने व दूसरे मौज-मस्ती के अड्डे स्वाभाविक रुप से उनकी हुड़दंग के चपेट में आ गए।

उस ज़िद्दी शाम को चौरंगी का पूरा इलाक़ा एक कामोत्तेजक आभा से रमरमा रहा था। और पारिजात और बेबी आर, एक हाफ़ पैंट और सैंडो बनियान पहने, कानी आँख वाले चीनी आदमी की दुकान से मोमो खाकर, बड़ी मस्ती के साथ मेट्रो स्टेशन की ओर बढ़ रहे थे। फुटपाथ पर यू एस आर्मी के ख़ाकी जांघिए, डिल्डो, छोटे-छोटे बड़े क्यूट डाईनोसोर के बच्चे और क़तार से बँधे रोडोडेन्ड्रौन के गुच्छे बिक रहे थे। आसमान में चाँद को पकड़ने के लिए बावले बादल छाए हुए थे, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट प्लेन की भारी आवाज़ें और बूढ़े चमगादड़ों की आड़ी-तिरछी उड़ान। बेबी आर से पारिजात ने पूछा,

- मोमो कैसे लगे?

- टेस्टी!

- चाय पिओगी?

- नहीं।

- मैं पिऊँगा।

- वो तुम पिओ। मैं तो पेट्रोल पिऊँगी।

डायलॉग में एक वायलेंट ब्रेक आ गया क्यूँकि उसी समय दो काले और एक गोरा जी आई – तीनों ही जाएंट साईज़ के – ने बास्केट बॉल खेलने के स्टाईल में पारिजात को एक टक्कर मारी, पारिजात उलट कर सड़क पर फैल गया और वे लोग बेबी आर को गोद में उठाकर पास की एक अंधी गली में, जहाँ एक गलीज़ सा बार था, ग़ायब हो गए। उन्होंने अंदर घुसते ही बार का दरवाज़ा घड़ाम से बंद कर दिया। पारिजात दरवाज़ा पीटने लगा। भारी दरवाज़े के दूसरी तरफ़ आवाज़ गई भी या नहीं, पता नहीं। पारिजात चीख़-चिल्लाकर लोगों को बुलाने लगा। किसी ने ध्यान नहीं दिया। पारिजात का आर्तनाद यू एस आर्मी की हम्वी गाड़ी की आवाज़ में दब गया।

तबतक भीतर बेबी आर को वे तीन प्लस चौंतीस और यू एस आर्मी के फ़ौजियों ने व्हिस्की पिलाकर टेबिल के उपर खड़ा कर दिया। उद्दाम संगीत चल रहा था। टेबिल के उपर बेबी आर नाच रही थी, नीचे सैंतीस सैनिक भी नाच रहे थे, तालियाँ बजा रहे थे – फ़क् हर! फ़क् हर! कहकर चिल्ला रहे थे – बहुत कुछ जुम्मा चुम्मा दे दे, जुम्मा चुम्मा दे दे चुम्मा की तरह। ये सब ऐसा ही चलता रहता लेकिन अचानक एक सोल्जर ने तड़ाक से टेबिल पर चढ़कर, बेबी आर के होंठो पे एक किंग साईज़ मार्लबोरो सिगरेट लगा दी। नाच में मगन बेबी आर के सातों रंध्रों से तब पेट्रोल की नीली गैस हिस्स-हिस्स करती हुई बाहर निकल रही थी। उपर से मोमो का ताप। फ़ौजी ने लाईटर निकाल कर बेबी आर के मुँह की सिगरेट जला दी।

बाद में उस बार से, जलकर ख़ाक हो चुके सैंतीस फ़ौजी, तीन वेटर और जलकर सिकुड़ी हुई एक पिगमी फ़ीमेल बॉडी - कुल इकतालीस तंदूरी मुर्दे मिले। तहक़ीकात कर यू एस आर्मी की मिलिट्री फ़ॉरेंसिक ब्युरो रिपोर्ट में बताया कि विस्फ़ोट चार-पाँच मॉल्टोव कॉकटेल के समान था।

पूरा घर धूं-धूं कर जल रहा था। मुँह में मोमो की गंध लिए, पारिजात मुँह फाड़े फुटपाथ पर बहुतों की भीड़ के बीच खड़ा हुआ था। आँसूओं से धुँधलाई आँखों से वो आग के भीषण लपटों को देख रहा था।

घंटी बजाती हुई फ़ायरब्रिगेड की गाड़ी आई। गाड़ी से उतरते ही फ़ायरमैन, आग की रोशनी में पारिजात को देखकर उसकी ओर बढ़ा……पारिजात बिलख पड़ा,

- बेबी आर चली गई।

फ़ायरमैन ने संवेदना जताते हुए पारिजात के कंधे को दो बार थपथपाया, उसके बाद आग की तरफ़ देखकर मन ही मन कहा,

- अमेरिकन पेट्रोमैक्स।

(अनुवाद : अमृता बेरा)