खाली घर का रहस्य (कहानी) : आर्थर कॉनन डॉयल

The Adventure of the Empty House (English Story in Hindi) : Arthur Conan Doyle

सन् 1894 के वसंत का समय था, परंतु सारे लंदन की फैशनपरस्त दुनिया माननीय रोनाल्ड एडेयर की असामान्य और विचित्र सी परिस्थितियों में हुई मौत से दुःखी थी और इसमें पर्याप्त रुचि भी ले रही थी। पुलिस की छानबीन में इस अपराध के जो भी ब्योरे सामने आए, जनता उनको पहले से ही जान चुकी थी। इसमें से बहुत कुछ दबाया भी जा चुका था, चूँकि अभियोजन का मुकदमा इतना मजबूत था कि सभी तथ्यों को सामने लाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। अब केवल दस सालों के बाद, मैं उन खोई हुई कडि़यों को ला रहा हूँ, जिनसे मिलकर एक बेहतरीन शृंखला बनेगी। यह अपराध अपने आप में ही रोचक था, मगर मेरे लिए यह रोचकता उस अविश्वसनीय परिणाम की तुलना में कुछ भी नहीं थी। इस घटनाचक्र ने मेरे साहसिक जीवन में मुझे एक गहरा धक्का और अचरज से भर दिया। अभी भी इतना समय बीत जाने के बाद जब से भर मैं इसके बारे में सोचता हूँ तो मुझे प्रसन्नता, आश्चर्य और अविश्वास की एक बाढ़ सी नजर आती है, जिसमें मेरा मन डूब जाता है। मुझे लोगों को यह बताना है कि जिस अद्भुत व्यक्ति के कामों और विचारों को मैंने प्रस्तुत किया है, लोगों ने उनमें रुचि दिखाई है, वे मुझे इस बात के लिए दोषी नहीं ठहराएँगे कि मैंने उनको अपनी जानकारियों में हिस्सेदार नहीं बनाया, क्योंकि यह मेरा पहला कर्तव्य था और ऐसा करने के लिए मुझे होम्स ने स्वयं ही मना किया था। अभी पिछले महीने की तीसरी तारीख को ही उन्होंने मुझे इस बंधन से आजाद किया है।

इस चीज की कल्पना की जा सकती है कि शेरलॉक होम्स के साथ मेरी अति घनिष्ठता ने अपराध के क्षेत्र में मेरी गहरी रुचि जगा दी थी। उनकी गैर-मौजूदगी में लोगों के सामने आनेवाली कई तरह की समस्याओं को ध्यानपूर्वक समझने में मैं कभी भी असफल नहीं हुआ। यहाँ तक कि कई बार अपने खुद के संतोष और उसके समाधान के लिए मैंने उन तरीकों का इस्तेमाल भी किया; हालाँकि मैं सफलता से तटस्थ ही रहा, परंतु एडेयर की त्रासदी के अलावा उनमें से ऐसी कोई भी चीज नहीं थी, जिसने मुझे प्रभावित किया। इनकी जाँच के प्रमाण मुझे किसी ऐसे व्यक्ति या अनजाने व्यक्तियों के खिलाफ ले गए, जिन्होंने जान-बूझकर हत्या की थी। शेरलॉक होम्स की मौत से समाज को जो नुकसान हुआ था, उसे मैंने इतनी शिद्दत से महसूस किया, जितना कि पहले कभी नहीं किया था। इस विचित्र से मामले में इस तरह के बिंदु थे, जिनका मुझे यकीन था कि वे उन्हें खासतौर से लुभाते और वे पुलिस की सहायता भी कर रहे होते या जहाँ तक भी मुमकिन है, यूरोप के प्रथम प्रशिक्षित अपराध एजेंट के सजग दिमाग का पूर्वानुमान भी पाते। जब मैं सारे दिन घूम रहा था, तब मेरे दिमाग में वह केस भी चक्कर काट रहा था, परंतु मुझे इसका कोई भी उचित समाधान नहीं मिला। कहानी की पुनरावृत्ति के जोखिम से बचने के लिए मैं इसके तथ्यों को संक्षेप में ही दुहराऊँगा, क्योंकि वे लोगों को जाँच के परिणाम के रूप में पहले से ही पता हैं।

माननीय रोनाल्ड एडेयर मैनूथ के अर्ल के दूसरे बेटे थे, जो कि उस समय ऑस्ट्रेलिया के उपनिवेशों में से किसी एक के गर्वनर थे। एडेयर की माँ को ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटना पड़ा, क्योंकि उन्हें मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना था। वे अपने बेटे रोनाल्ड और बेटी हिल्डा के साथ 427, पार्क लेन में ही रहती थीं। ये युवा समाज के संभ्रांत लोगों के बीच उठते-बैठते थे और इनकी न तो किसी के साथ दुश्मनी थी और न ही इनमें कोई खास गंदी आदतें थीं। इनकी सगाई क्रस्टेयर्स की मिस एडिथ वुडले के साथ हुई थी, मगर कुछ ही महीने पहले उनके आपसी समझौते से यह सगाई टूट गई। इस घटना ने अपने पीछे किसी तरह के भावनात्मक चिह्न भी नहीं छोड़े थे। चूँकि इनकी आदतें और स्वभाव भावुकताविहीन थीं, इसीलिए इनका बचा हुआ जीवन संकीर्ण और रूढि़गत सामाजिकता में ही गुजरता था। ऐसा होने पर भी इस अभिजात वर्गीय आराम से जिंदगी जीनेवाले व्यक्ति की विचित्र और आकस्मिक मौत 30 मार्च, 1894 को रात दस और ग्यारह बजकर बीस मिनट के बीच हो गई।

रोनाल्ड एडेयर को ताश खेलने का शौक था, पर वह ऐसे दाँव नहीं लगाता था, जिससे उसे नुकसान हो। वह बाल्डविन, कैवेंडिश और बैग्टेल ताश क्लबों का सदस्य था। यह पता चला था कि अपनी मौत वाले दिन खाना खाने के बाद उसने अंतिम वाले क्लब में ताश भी खेला था। वहीं पर उसने दोपहर में भी ताश खेला था। इसके गवाह वही लोग थे, जिन्होंने उसके साथ ताश खेले, जैसे मि. मरे, सर जान हार्डी और कर्नल मोरान। इन्होंने बताया कि खेल बराबरी पर ही छूटा था। एडेयर अधिक नहीं, शायद पाँच ही पाउंड हारे थे। उसकी तकदीर ने उसका साथ दिया और इतने नुकसान से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। वह करीब-करीब हर रोज किसी एक या दूसरे क्लब में ताश जरूर खेलता था और अकसर जीतकर ही उठता था। सबूतों से यह भी जानकारी मिली थी कि कर्नल मोरान का पार्टनर बनकर उसने कुछ ही हफ्ते पहले एक ही बैठक में चार सौ बीस पाउंड गाडफ्रे मिलनर और लार्ड वालमोर से जीते थे। उसकी मौत के बाद की छानबीन से उसका इतना ही इतिहास पता चला।

जिस दिन यह हत्या हुई, उस दिन वह क्लब से रात को दस बजे ही लौट आया था। उसकी माँ और बहन उस शाम किसी संबंधी के घर गई हुई थीं। वहाँ मौजूद नौकरानी ने बताया कि उसने एडेयर को दूसरी मंजिल पर सामने वाले कमरे में घुसते हुए देखा, जिसको सामान्यतया वह अपने बैठक-कक्ष के रूप में ही इस्तेमाल करता था। उस नौकरानी ने आतिशदान के जलाए जाने की आवाज भी सुनी और धुआँ होने पर उसने खिड़की खोल दी। ग्यारह बजकर बीस मिनट तक, जब तक कि मैडम मैनूथ और उनकी बेटी वापस नहीं आ गईं, उसने कोई भी आवाज नहीं सुनी थी। ‘शुभ रात्रि’ कहने की चाहत से उसने उनके बेटे के कमरे में घुसने की कोशिश की, पर कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था और उसके आवाज देने और थपथपाने पर भी भीतर से कोई जवाब नहीं आया। दूसरों की सहायता लेकर दरवाजा जबरदस्ती खोला गया। वह बेचारा युवक टेबल के पास पड़ा हुआ था, रिवॉल्वर की गोली से उसके सिर के चिथड़े उड़ गए थे, परंतु कमरे में किसी तरह का हथियार नहीं मिला। टेबल पर दस पाउंड और सत्रह पाउंड के सोने व चाँदी की कीमत वाले बैंक नोट पड़े हुए थे और यह सारा धन छोटी-छोटी गड्डियों में था। वहाँ कागज पर भी कुछ अंक लिखे थे और उनके सामने उसके क्लब के कुछ मित्रों के नाम भी थे। इन सबसे यह अनुमान लगाया जा सकता था कि अपनी मौत से पहले वह ताश के खेल में हुई अपनी हार या जीत का हिसाब लगा रहा था।

परिस्थितियों को देखने के बाद यह मामला कुछ अधिक ही जटिल लगता था। सबसे पहले तो इस बात का कोई कारण नहीं मिला कि इस युवक ने कमरा अंदर से बंद क्यों कर रखा था। यह भी मुमकिन था कि शायद हत्यारे ने ही ऐसा किया हो और फिर खिड़की से भाग गया हो। कूदने के लिए यह ऊँचाई करीब बीस फीट की थी और नीचे केसर की क्यारियों के मसले जाने तथा घर से सड़क तक की घास की पतली पट्टी पर भी कोई चिह्न नहीं थे। इसका मतलब यह था कि इस युवक ने खुद ही दरवाजा भीतर से बंद किया था। मगर उसकी मौत कैसे हुई? बिना कोई निशान छोड़े कोई भी खिड़की तक नहीं पहुँच सकता था। मान लें किसी आदमी ने खिड़की से गोली चलाई, तब वह गोली असाधारण ढंग से चली होगी, तभी इसने इतनी घातक चोट की। हालाँकि पार्क लेन एक बहुत ही चहल-पहल वाली जगह है और इस मकान से सौ गज की ही दूरी पर घोड़ागाड़ी का एक स्टैंड भी है। किसी ने भी गोली चलने की आवाज नहीं सुनी। फिर भी एक आदमी तो मरा ही था और रिवॉल्वर से एक गोली भी निकली थी। यह गोली इतनी नुकीली और घातक थी कि इससे कोई भी तुरंत ही मर सकता था। यही था पार्क लेन का रहस्य, जिसमें किसी भी कारण का अभाव नजर आ रहा था, क्योंकि जैसा कि मैं पहले ही बता चुका हूँ, युवक एडेयर की किसी से भी दुश्मनी नहीं थी और इस कमरे से धन और कीमती चीजें हटाने की भी कोशिश नहीं की गई थी। सारे दिन मैं इन्हीं तथ्यों को अपने दिमाग में उलटता-पलटता रहा और किसी ऐसे विचार पर पहुँचने का प्रयास करता रहा, जो कि उन्हें आपस में मिला सके।

साथ-ही-साथ मैं कम-से-कम रुकावटवाली दिशा भी ढूँढ़ता रहा, जिसे मेरा साथी प्रत्येक छानबीन का शुरुआती बिंदु बताता था। मैं यह मानता हूँ कि मैंने इस मामले में बहुत ही कम प्रगति की है। शाम को छह बजे मैं टहलता हुआ पार्क लेन के आखिर में ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट तक आ पहुँचा। वहीं फुटपाथ पर कुछ निठल्ले लोग खड़े थे और मुझे वह मकान दिखाकर उस खिड़की की ओर इशारा कर रहे थे। यह वही मकान था, जिसे मैं देखने पहले भी आ चुका था। एक लंबा पतला सा आदमी, जिसने रंगीन चश्मा लगा रखा था, मेरे अनुमान से वह सादे कपड़ों में कोई जासूस ही था और अपनी ही कोई कहानी सुना रहा था। वह जो कुछ भी कह रहा था, वहाँ खड़ी भीड़ उसे सुन रही थी। मैंने उसके पास पहुँचकर उसे सुना, पर उसका आकलन मुझे बिलकुल बेहूदा लगा। इसीलिए मैं कुछ निराश होकर वापस मुड़ा। जैसे ही मैं वापस मुड़ा, में ठीक मेरे पीछे खड़े एक बुजुर्ग विकलांग आदमी से टकरा गया और उसकी कई किताबें जमीन पर बिखर गईं, जिन्हें लेकर वह कहीं जा रहा था। मुझे याद है कि जब मैं उन किताबों को उठा रहा था, तभी मैंने उनमें से एक का शीर्षक देखा, ‘वृक्ष पूजन का मूल’, और इसने मुझे थोड़ा सा अचंभित किया कि या तो यह बेचारा पुस्तकप्रेमी है या व्यापारी या शायद शौकिया ही ऐसी दुर्बोध पुस्तकें इकट्ठा कर रहा है। मैंने इस दुर्घटना के लिए उससे माफी माँगी, पर ऐसा लग रहा था कि जिन किताबों के साथ मैंने दुर्व्यवहार किया था, वे उसके लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण थीं। गुस्से में गुर्राता हुआ वह दूसरी ओर मुड़ गया और मैंने देखा कि उसकी सफेद गलमुच्छें लोगों की भीड़ में कहीं खो गईं।

427, पार्क लेन की मेरी छानबीन, जिसमें कि मेरी भी रुचि थी, ने अब मेरी समस्या को थोड़ा स्पष्ट कर दिया था। इस मकान के चारों ओर एक दीवार और रेलिंग थी, इसकी ऊँचाई पाँच फीट से अधिक नहीं थी। किसी भी आदमी के लिए इसे फाँदकर बगीचे में जाना कोई मुश्किल नहीं था, पर खिड़की तक पहुँचना आसान नहीं था, क्योंकि वहाँ पानी का पाईप तक नहीं था, जिससे कि किसी बहुत तेज आदमी को चढ़ने में सहायता मिल सकती। सबसे अधिक आश्चर्य की बात तो तब हुई जब मैं वापस केनसिंग्टन पहुँचा। मुझे अपने अध्ययन-कक्ष में पहुँचे अभी पाँच मिनट भी नहीं बीते थे कि मेरी नौकरानी यह बताने के लिए आई कि कोई आदमी मुझसे मिलने आया है। तब मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि वह और कोई नहीं, बल्कि वही बूढ़ा है, जो किताबें इकट्ठी कर रहा था और उसके दाहिने हाथ में कम-से-कम एक दर्जन किताबें थीं।

उसने अपनी टूटती हुई, अपरिचित आवाज में पूछा, ‘‘आप मुझे देखकर चकित हैं, सर!’’

मैंने स्वीकार कर लिया कि मैं वाकई चकित हूँ।

‘‘मेरे पास भी दिमाग है और जब मैंने आपको इस घर में घुसते हुए देखा, तब मैं आपके पीछे लँगड़ाता हुआ आ गया। मैंने सोचा कि मैं अंदर आ जाऊँ और उस भले आदमी को देखूँ और बताऊँ कि यदि मेरा व्यवहार थोड़ा रूखा था, तब भी मेरा आशय आपको नुकसान पहुँचाने का नहीं था, और आपने जो किताबें उठाकर मुझे दी थीं, मैं उसके लिए आपका एहसानमंद हूँ।’’

मैंने कहा, ‘‘आपने बहुत तकलीफ उठाई, क्या मैं जान सकता हूँ कि आपको कैसे पता चला कि मैं कौन हूँ?’’

‘‘जी हाँ, सर! मैं आपका ही पड़ोसी हूँ। चर्च स्ट्रीट के कोने पर मेरी किताबों की एक छोटी सी दुकान है और मुझे यकीन है कि आपको वहाँ देखकर मुझे बहुत ही खुशी होगी। आपको वहाँ बड़ा सुकून मिलेगा, सर। यहाँ मेरे पास कुछ किताबें हैं, जैसे ब्रिटिश बर्ड्स, द होली वार, कैटल्स। आप इन्हें रख सकते हैं, केवल पाँच खंडों में ही आपकी आलमारी का दूसरा खाना भर जाएगा। पर यह बहुत ही अस्त-व्यस्त है, क्यों है न?’’

मैंने अपना सिर पीछे की ओर घुमाया और आलमारी की ओर देखा। जैसे ही मैं वापस मुड़ा, मैंने देखा कि शेरलॉक होम्स मेरी पढ़नेवाली टेबल के बगल में खड़े होकर मुसकरा रहा था। मैं तुरंत ही खड़ा हो गया और आश्चर्य से उनकी तरफ कुछ सेकेंड तक देखता ही रहा और मुझे ऐसा लगा कि मैं बेहोश हो जाऊँगा। ऐसा अनुभव मुझे जीवन में पहली और आखिरी बार हुआ था। वाकई मेरी आँखों के सामने धुँधलका सा छा गया और जब यह साफ हुआ, तब मैंने महसूस किया कि मेरे कॉलर के बटन खोले जा चुके थे और ब्रांडी के बादवाला तीखा स्वाद मेरे होंठों पर पड़ा हुआ था। होम्स मेरी कुरसी पर झुका हुआ था और उनके हाथ में उनका मुखौटा॒था।

जो आवाज मुझे अच्छी तरह से याद थी, उसी आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘प्रिय वाटसन! मैं तुमसे हजार बार माफी माँगता हूँ, मुझे इस बात का अंदाज नहीं था कि तुम पर इतना अधिक असर होगा।’’

मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया। मैं रो पड़ा। ‘‘होम्स, क्या वाकई आप हैं? क्या आप सचमुच जिंदा हैं? क्या यह वाकई मुमकिन था कि आप उस भयानक खाई से बाहर निकल आए?’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक मिनट रुको। क्या तुम इन बातों को सुन सकते की हालत में हो? मैंने तुम्हें अचानक प्रकट होकर बड़ा धक्का पहुँचाया है।’’

‘‘मैं बिलकुल ठीक हूँ, पर होम्स! मुझे अपनी आँखों पर मुश्किल से ही विश्वास हो रहा है। हे भगवान्! मैं सोच नहीं पा रहा हूँ कि आप मेरे कमरे में खड़े हैं।’’

मैंने उनकी बाँह को कसकर पकड़ा और अपने हाथ के नीचे उनकी पतली पर हट्टी-कट्टी बाँह को महसूस किया।

मैंने कहा, ‘‘तुम कोई रूह नहीं हो और मैं तुम्हें देखकर बहुत ही खुश हूँ। बैठ जाओ और मुझे बताओ कि तुम उस भयानक खाई से कैसे बाहर निकले?’’

वे ठीक मेरे सामने बैठ गए और अपने उसी पुराने आराम-आराम वाले तरीके से सिगरेट सुलगाई। उसने किताबों के दुकानदार की तरह ही फ्रॉकवाला कोट पहन रखा था, पर उनके बाल सफेद थे और मेज पर पुरानी किताबों का ढेर लगा हुआ था। होम्स एक बूढ़े से कहीं अधिक सजग और पतला दिख रहा था, पर उसकी गरुड़ सरीखी आकृति पर एक सफेदी सी झलक रही थी, जिससे पता चलता था कि उसका हाल का जीवन स्वस्थ नहीं था।

होम्स ने कहा, ‘‘वाटसन! मुझे अपने आपको सीधा करने में बहुत मजा आ रहा है। एक लंबे आदमी के लिए अपने शरीर को घंटों तक झुकाए रखना कोई मजाक बात नहीं है। हाँ तो मेरे प्यारे दोस्त, अपने इस सारे किस्से के साथ क्या अब मैं अपने सामने आनेवाली एक कठिन व खतरनाक रात के काम के लिए तुम्हारा सहयोग प्राप्त कर सकता हूँ? उस काम को पूरा करने के लिए शायद यह अच्छा होगा कि मैं तुम्हें सारी स्थिति से परिचित करा दूँ।’’

‘‘मैं बहुत ही उत्सुक हूँ और इसे तुरंत सुनना भी पसंद करूँगा।’’

‘‘आज रात तुम मेरे साथ चलोगे?’’

‘‘तुम जब भी चाहो और जहाँ भी चाहो।’’

‘‘यह तो वाकई उन पुराने दिनों की ही तरह है। चलने से पहले हमारे पास भरपेट खाना खाने का समय है। और उस खाईवाले झरने से मुझे बाहर निकलने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि इसका कारण बहुत ही सीधा है, मैं इसमें गिरा ही नहीं था।’’

‘‘आप इसमें गिरे ही नहीं?’’

‘‘नहीं, वाटसन! मैं इसमें कभी गिरा ही नहीं था। मैंने तुमको जो नोट लिखा था, वह बिलकुल सच था। मुझे इस बात का शक हो गया था कि मैं अपने पेशे की समाप्ति पर पहुँच चुका हूँ, तभी मैंने उस बद्शक्ल स्वर्गीय प्रोफेसर मोरिआर्टी की आकृति देखी, जो कि उस सँकरे रास्ते पर खड़ी थी और यह रास्ता सीधा सुरक्षा की तरफ जाता है। मैंने उसकी स्लेटी आँखों में एक दृढ़ उद्देश्य देखा। मैंने उसके साथ कुछ बातचीत भी की और उसकी सहज अनुमति से एक आदेश भी लिखा, जो कि बाद में तुमको मिला, जिसे मैंने अपनी सिगरेट की डिब्बी और छड़ी के साथ छोड़ दिया था। मैं फिर सँकरे रास्ते पर चल दिया, मोरिआर्टी अभी भी मेरे पीछे आ रहा था और जब मैं अंतिम छोर पर पहुँचा तो देखा कि मैं एक घाटी पर खड़ा हूँ। उसने कोई हथियार नहीं निकाला, पर वह मेरी तरफ दौड़ा और मुझे अपनी लंबी बाँहों में जकड़ लिया। वह जानता था कि उसका खेल खत्म हो चुका था और वह केवल मुझसे बदला लेना चाहता था। हम ऊपर झरने के किनारे एक साथ गुँथे हुए लड़खड़ा रहे थे। मुझे जापानी कुश्ती की कुछ जानकारी है, जो कि कई बार मेरे काम भी आ चुकी है। मैं किसी तरह उसकी पकड़ से बाहर आ चुका था, पर वह एक तेज चीख के साथ मुझ पर पागलों की तरह कुछ देर तक ठोकर मारता रहा और हवा में अपने पंजे लहराता रहा। उसके इन सारे प्रयासों के दौरान वह अपना संतुलन न बना सका और नीचे खाई में गिर गया। ऊपर किनारे से मैंने देखा कि वह काफी नीचे तक गिरता चला गया और फिर एक चट्टान से टकराया, उछला और नीचे गहरे पानी में गिर गया।’’

मैंने इस कहानी को आश्चर्य के साथ सुना, जो कि होम्स ने अपनी सिगरेट के कश लेते हुए मुझे सुनाई।

मैं जोर से चीखा, ‘‘पर वे पैरों के निशान, जिन्हें मैंने अपनी आँखों से देखा था, जो कि रास्ते पर सिर्फ जाने के ही थे, वे वापस नहीं लौटे।’’

यह इस प्रकार हुआ कि जब प्रोफेसर गायब हो गया, तब मैंने सोचा कि भाग्य ने मुझे कितना अद्भुत अवसर दिया है। मैं जानता था कि मोरीआर्टी ही वह अकेला शख्स नहीं था, जिसने मेरी मौत की कसम खाई थी। वहाँ कम-से-कम तीन और भी लोग थे, जिनकी मुझसे बदला लेने की चाहत और भी बढ़ जाएगी, जब वे जानेंगे कि उनके नेता की मौत हो चुकी है। वे सब बहुत ही खतरनाक आदमी हैं। उनमें से कोई एक मुझे जरूर ढूँढ़ लेगा और दूसरी तरफ दुनिया मान चुकी है कि मेरी मौत हो गई। इस तरह वे निश्चिंत हो जाएँगे। वे लोग खुद ही सामने आ जाएँगे और कभी-न-कभी मैं उन्हें नष्ट कर दूँगा। तभी उस घोषणा का समय आएगा कि मैं अभी जीवित हूँ। इसीलिए मेरे दिमाग ने तेजी से काम किया और मुझे लगता है कि जब तक प्रोफेसर मोरिआर्टी नीचे रेंचबाख झरने में पहुँचा होगा, इतनी ही देर में मैंने इस पर सोच लिया था।

‘‘मैं खड़ा हुआ और अपने पीछे उस चट्टानवाली दीवार को देखा। तुम्हारे उस सजीव चित्रण के साथ वह विवरण जिसे मैंने कुछ महीनों बाद पढ़ा था और जिसमें तुमने इस बात पर जोर दिया था कि वह दीवाल बिलकुल ही सीधी- सपाट थी, पर वह बात पूरी तरह से सही नहीं थी। दीवाल पर कहीं-कहीं पैर टिकाने के लिए अपने आप छोटे-छोटे खाँचे बन गए थे। वह चट्टानी चढ़ाई बिलकुल असंभव सी मालूम पड़ती थी और इसीलिए गीले रास्ते के बगल से गुजरते हुए मेरे पैरों के निशान का मिलना भी असंभव था। यह हो सकता था कि वापसी के मेरे जूतों के निशान तुम्हें मिल जाते, पर तीन-तीन जोड़ी पैरों के एक ही दिशा में जाते निशानों ने वाकई एक धोखा पैदा कर दिया होगा। एक चीज और सबसे अच्छी हुई कि मैंने ऊपर चढ़ने का जोखिम उठाया। वाटसन! इस काम में कोई मजा नहीं आ रहा था। नीचे झरने के गरजने की आवाज आ रही थी। मैं कोई कल्पनाशील व्यक्ति नहीं हूँ, मगर मैं तुमको बताना चाहता हूँ कि मुझे उस खाई में मोरिआर्टी की मुझ पर चीखने की आवाज महसूस हो रही थी। एक छोटी सी भी गलती मेरे लिए खतरा बन सकती थी। कई बार मेरे हाथों में घास का गुच्छा आया या मेरा पाँव भीगे हुए चट्टानी खाँचों से फिसला और मुझे लगा कि मैं गया, पर मैंने ऊपर चढ़ने के लिए संघर्ष किया और कई फीट नीचे की चट्टान पर पहुँच गया, जो कि मुलायम हरी काई से भरी हुई थी और जहाँ मैं दिखाई न देकर बहुत ही आराम की हालत में लेट सकता था। मैं वहीं लेटा हुआ था, जहाँ प्रिय वाटसन, तुम और तुम्हारे सहयोगी बहुत ही दयनीय तरीके से मेरी मौत की स्थितियों की छानबीन कर रहे थे।

‘‘अंत में जब तुम सभी ने अपनी कभी न बदलनेवाली गलत धारणा को बना लिया और तुम वापस होटल चले आए, तब भी मैं वहीं अकेला पड़ा रहा। मैंने सोचा कि मैं अपने रोमांचकारी कारनामों की समाप्ति पर पहुँच चुका हूँ, परंतु एक बिना उम्मीदवाली घटना ने मुझे दिखाया कि अभी भी मेरे लिए कुछ आश्चर्यजनक चीजें बची हुई हैं। तभी एक बड़ी सी चट्टान ऊपर से गिरी, मेरे पीछे जोर की आवाज करते हुए रास्ते पर टकराई और फिर उछलकर झरने में गिर गई। एक मिनट के लिए तो मुझे लगा कि यह एक दुर्घटना थी, पर अगले ही पल मुझे अँधेरे आसमान की तरफ एक आदमी का सिर दिखाई पड़ा और फिर एक दूसरा पत्थर वहीं पर गिरा, जहाँ मैं लेटा हुआ था। इस पत्थर से मेरे सिर की दूरी सिर्फ एक फीट की ही थी। इसका मतलब बिलकुल साफ था। मोरिआर्टी अकेला नहीं था, इसका पूरा गिरोह था और यहाँ तक कि एक झलक ने ही मुझे दिखा दिया कि इस आदमी का गिरोह कितना खतरनाक है। जब प्रोफेसर मुझ पर आक्रमण कर रहा था तो उसकी सुरक्षा के लिए उसके साथ एक गार्ड भी था। बहुत दूर से वह मुझे दिख नहीं रहा था, पर वह अपने साथी की मौत और मेरे बचे रहने का भी गवाह था। उसने थोड़ा इंतजार किया और फिर ऊपर चट्टान का चक्कर लगाने की भी कोशिश की, जो कि उसका साथी नहीं कर सका था।

‘‘वाटसन! मैंने इस बारे में बहुत देर तक नहीं सोचा, फिर मैंने ऊपर पहाड़ी पर उस कठोर चेहरेवाले को देखा। मैं समझ गया कि वह दूसरा पत्थर उठाने ही वाला था। मैं रास्ते पर रेंगता हुआ आगे बढ़ा। मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं यह कठिन काम होशो-हवास में कर रहा था। मेरे लिए उठ पाना काफी कठिन था, पर मेरे पास खतरे की बात सोचने का भी वक्त नहीं था कि तभी एक दूसरा पत्थर मेरे पीछे गिरा और मैं उस खाँचे को पकड़ किनारे की तरफ हाथों के बल लटक गया। आधी दूरी तक मैं फिसलता रहा, पर ईश्वर की कृपा से मैं रास्ते पर आ गया। मेरे शरीर से खून बह रहा था और मेरे कपड़े भी फट गए थे। मैं पहाड़ में करीब दस मील तक अँधेरे में भागता रहा और एक हफ्ते के बाद मैं इस विश्वास के साथ फ्लोरेंस पहुँचा कि दुनिया में अब कोई भी यह नहीं जान पाएगा कि मेरे साथ क्या हुआ था।

‘‘मुझे केवल अपने भाई माइक्राफ्ट पर ही भरोसा था। प्रिय वाटसन, तुम मुझे माफ कर दो, परंतु यह इतना जरूरी था कि इस बात का दुनिया को पता चल जाए कि मैं मर गया हूँ। यह बात बिलकुल ही तय थी कि यदि तुम यह न सोचते कि मेरी मौत की बात सच है, तब तुमने इतने यकीन से मेरी मौत के बारे में उस दुःखद अंत को न लिखा होता। पिछले तीन सालों में तुमको लिखने के लिए मैं हमेशा डरता था कि तुम मुझसे अपने लगाव की वजह से कुछ असावधानी न कर बैठो, जिससे मेरी यह गोपनीयता भंग हो जाए। इसीलिए मैं आज शाम को भी तुमसे मिलकर वापस चला गया, जबकि तुमने मेरी किताबें गिरा दी थीं। मैं उस समय भी खतरे में था और तुम्हारी थोड़ी सी भी जिज्ञासा और भावना मेरी पहचान पर लोगों का ध्यान खींच लेती, जिसका बहुत ही दुःखद और न सुधरनेवाला परिणाम सामने आता। जहाँ तक माइक्राफ्ट का सवाल है, मुझे उसे इसलिए बताना पड़ा कि जब भी मुझे जरूरत हो तो मैं उससे धन ले सकूँ। लंदन के हालात इस समय ठीक नहीं हैं और मारिआर्टी गिरोह के दो बहुत ही खतरनाक आदमी जेल जाने से अभी बचे हुए हैं। मुझसे बदला लेनेवाले मेरे दो दुश्मन भी आजाद हैं। मैं दो सालों तक तिब्बत में घूमता रहा और ल्हासा में आनंद लेते हुए मैंने कुछ दिन प्रमुख लामा के साथ भी बिताए। तुमने नॉर्वे के सिगरसन की असाधारण खोजों के बारे में पढ़ा, पर मुझे पक्का यकीन है कि तुमने अपने साथी की शायद ही कोई खबर पढ़ी होगी। इसके बाद मैं पर्शिया से होकर मक्का पहुँचा और थोड़ा ही, पर रोचक समय खलीफा के साथ खार्टोम में गुजारा, जिसका परिणाम यह हुआ कि मैंने विदेश कार्यालय में भी बात कर ली। फ्रांस के लिए वापस आते समय मैंने कुछ महीने कोलतार निकासी के अनुसंधान में भी बिताए और जिसका संचालन मैंने दक्षिण फ्रांस के मांटपेलियर की एक प्रयोगशाला में भी किया था। अपने खुद के संतोष और यह जानकर कि मेरा एक दुश्मन लंदन में है, मैं वापस जाने ही वाला था कि तभी पार्क लेन के इस खास रहस्य की खबर ने मुझे जल्दबाजी के लिए मजबूर कर दिया। इस खबर ने अपनी खासियत से मुझे लुभाया ही नहीं, बल्कि इसने मुझे कुछ खास निजी अवसरों के लिए भी आमंत्रित किया। मैं तुरंत ही लंदन आ गया और बैकर स्ट्रीट में मैंने अपने लोगों से संपर्क किया, जिसमें मिसेज हडसन पर तो दौरा ही पड़ गया। माइक्राफ्ट ने मेरा कमरा और मेरे कागज बिलकुल उसी हालत में रखे थे जैसे कि वे पहले रखे जाते थे। प्रिय वाटसन, देखो, आज ठीक दो बजे मैं अपने उसी पुरानी कुरसी पर बैठा हूँ और केवल यही चाहता हूँ कि मैं अपने पुराने साथी वाटसन को दूसरी कुरसी पर बैठा देखूँ, जिसकी वह अकसर शोभा बढ़ाता है।’’

यही वह अद्भुत विवेचना थी, जिसे मैंने अप्रैल की उस शाम को सुना था। यदि यह विवेचना उस लंबे, अलग तरह के शरीर, सजग व जिज्ञासु शक्लवाले व्यक्ति के द्वारा नहीं सुनाई जाती, जिसे मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं फिर से देखूँगा, तब यह एक ऐसी विवेचना होती, जो कि मेरे लिए बिलकुल ही अविश्वसनीय होती। होम्स के व्यवहार से यह मालूम पड़ता था कि उसने मेरी पीड़ा को समझ लिया था और उसकी करुणा शब्दों से अधिक उनके व्यवहार में झलक रही थी।

होम्स ने कहा, ‘‘वाटसन! काम ही दुःख की सबसे बड़ी ओषधि है और आज की रात हम दोनों के पास एक छोटा सा काम है, जिसे यदि हम सफलता के परिणाम तक पहुँचा देते हैं, तब यह कार्य हमारे जीवन को पृथ्वी पर पूरी तरह चरितार्थ कर देगा।’’

मैं कुछ समझ नहीं सका और मैंने उससे खुलकर बताने के लिए कहा।

होम्स ने कहा, ‘‘तुम सुबह से पहले काफी कुछ देख और सुन पाओगे। हमारे पास बातचीत करने के लिए अतीत के तीन साल हैं। साढ़े नौ बजने दो, तभी हम खाली मकान के रहस्य पर बातें शुरू करेंगे।’’

जब मैंने खुद को घोड़ागाड़ी में उसके पीछे बैठा हुआ पाया, मेरी रिवॉल्वर जेब में थी और दिल में उत्साह भरा हुआ था, तब यह समय वाकई उन पुराने दिनों की तरह ही लग रहा था। होम्स बिलकुल शांत और स्थिर बैठे हुए थे। जैसे ही सड़क पर लगे खंभों की रोशनी उनके गंभीर चेहरे पर पड़ी, तभी मैंने देखा कि विचार में डूबे होने की वजह से उनकी भौंहें सिकुड़ गई हैं और उनके पतले होंठ भिंचे हुए हैं। मैं यह तो नहीं जानता था कि लंदन में अपराधियों के घने जंगल में हम किस जंगली जानवर का शिकार करनेवाले हैं, पर मुझे अपने शिकारी की स्थिति से इस बात का पक्का यकीन था कि मामला काफी गंभीर है। उनकी अर्थपूर्ण मुसकराहट कभी-कभी उनके चेहरे पर हमारी खोज के लिए एक अच्छे शकुन की तरह दिखती थी।

मैंने सोचा कि हम बेकर स्ट्रीट जा रहे हैं, पर होम्स ने घोड़ागाड़ी कैवेंडिश स्क्वायर के कोने पर ही रोक दी। मैंने देखा कि जैसे ही वे उतरे, उन्होंने अपने दाहिने व बाईं ओर एक खोजी निगाह डाली और फिर पास की गलियों की तरफ भी देखा। उन्होंने यह जानने के लिए थोड़ी कोशिश भी की कि कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा है। हमारा रास्ता एकदम सुनसान था। लंदन के छोटे-छोटे रास्तों के बारे में होम्स की जानकारी अद्भुत थी और ऐसे मौके पर तो वे छोटे-छोटे घुड़सालों और अस्तबलों के जाल के बीच से होकर गुजर जाते थे, जिनकी मौजूदगी के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था। हम अब एक पतली सी सड़क पर आ गए, जहाँ किनारे पुराने और बदरंग से घर कतार में बने हुए थे। यह रास्ता हमें मेनचेस्टर स्ट्रीट और फिर ब्लैंडफोर्ड स्ट्रीट की तरफ ले जाता था। यहीं पर वे एक सँकरे से रास्ते की तरफ मुड़े और हम खुले मैदान से होकर एक लकड़ी के मकान के भीतर पहुँचे। यहाँ पहुँचकर उन्होंने चाभी से उस मकान के पीछे का दरवाजा खोला। हम मकान के भीतर साथ-साथ ही घुसे और घुसते ही होम्स ने दरवाजा बंद कर दिया।

यहाँ बहुत अँधेरा था, पर मुझे ऐसा लग रहा था कि यह मकान बिलकुल ही खाली था। नंगे फर्श पर हमारे जूतों से चलने की आवाज आ रही थी और हमारे फैले हाथों ने तभी दीवार को छुआ, जिस पर कागज के फीते लटके हुए थे। होम्स की पतली और ठंडी उँगलियों ने मेरी कलाई को जकड़ रखा था। वह मुझे एक बड़े से हॉल की तरफ ले गया, जहाँ दरवाजे के ऊपर रोशनदान से आती धुँधली रोशनी दिखाई पड़ रही थी। ठीक यहीं पर होम्स अचानक दाहिनी तरफ मुड़ा और हम एक बड़े चौकोर कमरे में आ गए, जिसके कोनों में काफी अँधेरा था, पर दूर सड़क से आती धुँधली रोशनी बीच में पड़ रही थी। खिड़कियों पर मोटी धूल जमी हुई थी और वहाँ लैंप भी नहीं था। हम आपस में एक-दूसरे को उँगलियों के सहारे ही पहचान सकते थे। मेरे साथी ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और अपने होंठों को मेरे कान के पास ले आए और फुसफुसाते हुए बोले, ‘‘क्या तुम्हें पता है कि हम कहाँ हैं?’’

उस धुँधली खिड़की की तरफ घूरते हुए मैंने कहा, ‘‘यह जगह पक्के तौर पर बेकर स्ट्रीट ही है।’’

‘‘बिलकुल ठीक! हम अपने पुराने क्वार्टर के ठीक सामने कैंडेन हाउस में हैं।’’

‘‘पर हम यहाँ क्यों हैं?’’

‘‘क्योंकि यहाँ से बहुत ही अच्छा दृश्य दिखाई पड़ता है। प्रिय वाटसन, थोड़ी सी तकलीफ उठाओ और इस खिड़की के पास आओ, पर इस बात का ध्यान रखो कि तुम बाहर न दिखाई पड़ो। अब अपने पुराने कमरे की तरफ देखो, बिलकुल परियों की कहानी की तरह लगेगा। हम देखेंगे कि तीन सालों की मेरी गैर-मौजूदगी ने मेरी तुमको चौंका देनेवाली शक्ति पूरी तरह से खो दी है क्या?’’

मैं धीरे से आगे सरक आया और जैसे ही मेरी आँखें अपनी उस जानी-पहचानी खिड़की पर पड़ी, मैंने एक गहरी साँस ली और आश्चर्य से चीख पड़ा। खिड़की खुली हुई थी और कमरे में एक तेज रोशनी जल रही थी। खिड़की के परदे पर एक व्यक्ति की आकृति की परछाईं दिख रही थी, जो कि कुरसी पर बैठा हुआ था। उसके सिर का संतुलन, कंधों की चौड़ाई और चेहरे के तीखेपन में कोई भी गलती नहीं थी। उसका चेहरा आधा झुका हुआ था, जिसका प्रभाव उस छाया पर पड़ रहा था। यह छाया ठीक वैसी ही थी, जैसी कि मेरे दादाजी फोटो फ्रेम में पसंद करते थे। यह होम्स की बिलकुल हू-ब-हू मूर्ति थी। मैं इतना आश्चर्यचकित था कि मैंने अपना हाथ अपने पीछे खड़े आदमी की तरफ बढ़ाकर अपना यकीन पक्का कर लिया। वे धीमे से हँसते हुए हिल रहे थे।

‘‘देखा?’’

मैंने जोर से कहा, ‘‘हे भगवान्! यह तो अद्भुत है।’’

होम्स ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि उम्र मुझे न तो बुढ़ा सकेगी और न ही मेरी अनंत विविधताओं की परंपरा को बासी होने देगी।’’

मैंने उसकी आवाज में वही खुशी और गर्व महसूस किया, जो कि किसी कलाकार को अपनी रचना पर होता है।

‘‘यह वाकई मेरी ही तरह है न?’’

‘‘मैं इस बात को कसम खाकर कह सकता था कि यह तुम ही हो।’’

‘‘इसे बनाने का श्रेय ग्रीनोबल के मौंसीयर ऑस्कर म्युनियर को जाता है, जिन्होंने इसको बनाने में अपने कुछ दिन लगाए थे। यह मूर्ति मोम की है। बाकी सबकुछ मैंने आज दोपहर में बेकर स्ट्रीट पहुँचकर किया है।’’

‘‘पर, क्यों?’’

‘‘क्योंकि, प्रिय वाटसन! मेरे पास इस बात के पक्के कारण हैं कि मैं यह चाहता हूँ, जब भी मैं यहाँ न रहूँ तब कुछ लोग यह सोचें कि मैं यहीं हूँ।’’

‘‘तुम्हें लगता है कि तुम्हारे कमरों पर निगरानी रखी जाती है?’’

‘‘मैं जानता था कि वे निगरानी रख रहे हैं।’’

‘‘कौन लोग?’’

‘‘मेरे पुराने दुश्मन, वाटसन! वही गिरोह, जिसका नेता रेंचबाख झरने में डूबकर मर गया था। तुम्हें याद होगा कि केवल वही लोग जानते थे कि मैं जिंदा बच गया हूँ। उनको यह विश्वास होगा कि मैं कभी-न-कभी अपने कमरे में वापस लौटूँगा। उन्होंने लगातार निगरानी रखी और आज सुबह उन्होंने मुझे आते हुए देखा था।’’

‘‘तुम्हें कैसे पता चला?’’

‘‘जब मैंने अपनी खिड़की से बाहर झाँका तब मुझे उनका संतरी दिखाई पड़ा, जिसे मैं पहचानता था। वह कम घातक आदमी था। उसका नाम पार्कर है, उसका पेशा गला घोंटना है और इस काम को वह तार से बखूबी अंजाम देता है। मुझे उसकी कोई परवाह नहीं है। मुझे अधिक डर उस भयानक आदमी से है जो कि इसके पीछे है। वह आदमी मोरिआर्टी का पक्का मित्र है और यह वही आदमी है, जिसने ऊपर पहाड़ी से मुझ पर पत्थर बरसाए थे। यह आदमी लंदन का सबसे खतरनाक और चालाक अपराधी है। यही वह आदमी है, जो कि आज की रात मेरे पीछे पड़ा है, वाटसन। और यही वह आदमी है, जो कि इस बात से अनजान है कि हम उसके पीछे हैं।’’

मेरे साथी की योजनाएँ अब धीरे-धीरे खुद ही खुलती जा रही थीं। इसी सुविधाजनक एकांत जगह से देखनेवाले देखे जा रहे थे और रास्ता चलनेवालों पर ध्यान रखा जा रहा था। उधर से आती हुई एक पतली सी छाया हमें लुभा रही थी और हम इसके शिकारी थे। हम अँधेरे में चुपचाप खड़े थे और जल्दी-जल्दी आती-जाती आकृति, जो कि हमारे सामने से कई बार गुजरी, उसे हम ध्यान से देख रहे थे। होम्स बिलकुल ही शांत और स्थिर थे, पर मैं कह सकता हूँ कि वे बहुत ही सजग थे और उनकी आँखें हर आने-जाने वाले आदमी पर टिकी हुई थीं। आज की रात बहुत ही ठंडी थी और नीचे सड़क पर तेज हवा सीटी की आवाज के साथ बह रही थी। बहुत से लोग सड़क पर आ-जा रहे थे; उनमें से ज्यादातर ने कोट और गले में मफलर जैसी चीज पहन रखी थी। एक बार मुझे ऐसा लगा कि मैंने एक ही चेहरे को दो बार देखा है, खासतौर से उन दो आदमियों पर ध्यान दिया, जो कि हवा से बचने के लिए उस मकान के छोटे से बरामदे पर रुके थे। मैंने अपने साथी का ध्यान उन दोनों की ओर दिलाया, परंतु उसने बहुत ही कम अधीरता दिखाई और सड़क पर ध्यान से देखता रहा। उन्होंने कई बार अपने पैर बदले और दीवाल पर अपनी उँगलियाँ तबले की तरह थपथपाईं। मुझे ऐसा लग रहा था कि वह अब बेचैन हो रहा था, क्योंकि उनकी योजना उसकी उम्मीद के अनुसार नहीं काम कर रही थी। धीमे-धीमे जब रात आधी बीत गई और सड़क पर लोग भी आने-जाने बंद हो गए तब वे कमरे में बेचैन होकर इधर-उधर टहलने लगे। मैं उन्हें कुछ कहने ही वाला था कि तभी मैंने उस रोशनी वाली खिड़की की तरफ देखा और मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ। मैंने होम्स की बाँहें पकड़ीं और उन्हें उस ओर देखने का इशारा किया।

मैंने जोर से कहा, ‘‘वह परछाईं वहाँ से हट गई है। वहाँ कोई आकृति नहीं दिखाई पड़ रही है, बल्कि उसका पीछे का हिस्सा हमारी तरफ हो गया है। पिछले तीन साल वाकई उनके स्वभाव की कठोरता को कम नहीं कर पाए या यह उनके खुद की तुलना में उनकी कम बुद्धिमानीवाली सक्रियता की ही अधीरता थी।’’

होम्स बोले, ‘‘वाकई इसे हटा लिया गया है। वाटसन, मैं कितना बेवकूफ हूँ कि मैंने एक मूर्ति खड़ी कर दी और सोचा कि यूरोप के इतने खूँखार अपराधी इससे धोखा खा जाएँगे। हम इस कमरे में दो घंटे से हैं और मिसेज हडसन ने इस आकृति को आठ बार हटाया-बढ़ाया है, यानी हर चौथाई घंटे में एक बार। वह सामने से ऐसा करती रहीं, इसीलिए उनकी परछाईं नहीं पड़ीं।’’

होम्स ने एक ठंडी साँस खींची। अँधेरे कमरे की मद्धिम रोशनी में मैंने उनका सिर झुका हुआ देखा और उनकी पूरी मुद्रा में एक दृढ़ सजगता थी। बाहर सड़क बिलकुल सुनसान थी। वे दोनों आदमी शायद अभी भी उस मकान के छोटे से बरामदे में दुबके हुए थे, परंतु अब मैंने उनको नहीं देखा। चारों तरफ शांति और अँधेरा था, सामने के उस पीले परदे पर काली आकृति की छाया पड़ रही थी। तभी उस सुनसान चुप्पी में मैंने फुसफुसाने की महीन सी आवाज सुनी, जिसमें एक खास तरह की उत्तेजना थी। होम्स ने तुरंत ही मुझे कमरे के अँधेरे कोने की तरफ खींच लिया और मुझे चुप रहने की चेतावनी भी दी। उनकी जकड़ी हुई उँगलियों में एक कंपन था। हमारे सामने की सड़क बिलकुल सुनसान थी।

तभी अचानक मुझे कुछ ऐसा एहसास हुआ, जिसको उसकी तेज समझ ने पहले ही भाँप लिया था। एक धीमी सी पर रहस्यमयी आवाज मेरे कानों में पड़ी। यह आवाज बेकर स्ट्रीट की तरफ से नहीं आ रही थी, बल्कि उसी मकान के पीछे से आ रही थी, जहाँ हम छिपे हुए थे। एक दरवाजा खुला और फिर बंद हो गया। अगले ही पल गलियारे में पैरों की आवाज सुनाई पड़ी और इसकी प्रतिध्वनि खाली मकान में गूँज रही थी। होम्स दीवाल के पास दुबक गए और मैंने भी वही किया। मेरा हाथ रिवॉल्वर की मूठ पर कस गया। उस अँधेरे में झाँकते हुए मैंने एक आदमी की धुँधली सी आकृति देखी, जो कि खुले हुए दरवाजे के अँधेरे से भी अधिक काली थी। वह आदमी एक पल के लिए रुका और फिर आगे की तरफ रेंगता हुआ, हमारे मन में एक डर सा पैदा करता हुआ आगे की ओर बढ़ा। वह मुझसे केवल तीन गज की ही दूरी पर था और इसे वहाँ पर मेरी मौजूदगी का अंदाज भी नहीं था। मैंने उससे खुद को टकराने से बचा लिया। वह बिलकुल ही मेरे पास से गुजर गया और बिना आवाज किए ही उसने खिड़की का परदा आधा फुट ऊपर उठा दिया। जैसे ही वह उस खुली खिड़की के सामने बैठा और बाहर सड़क से उस गंदे शीशे से होकर आती धुँधली रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी, जो कि बहुत कम भी नहीं थी।

वह आदमी काफी उत्तेजित दिख रहा था। उसकी आँखें दो तारों की तरह चमक रही थीं और उसका जबड़ा भिंचा हुआ था। वह आदमी एक अच्छी-खासी उम्र का था, उसकी नाक पतली, माथा ऊँचा और सिर आगे से गंजा एवं अधपकी बड़ी-बड़ी मूँछें थीं। उसने अपना हैट पीछे की तरफ कर रखा था और खुले ओवरकोट से उसकी कमीज बाहर की तरफ झाँक रही थी। उसका चेहरा रूखा व कठोर था और इसमें कई जगह गहरे कटे निशान थे। उसके हाथ में एक छड़ी जैसी चीज दिख रही थी, परंतु जैसे ही उसने इसे जमीन पर रखा एक धातु के टकराने की आवाज आई। फिर उसने अपने ओवरकोट की जेब से एक बड़े आकार की चीज निकाली और उनको आपस में जोड़ने में व्यस्त हो गया। एक तेज क्लिक की आवाज के साथ उसने अपना काम खत्म किया, यह आवाज किसी स्प्रिंग या बोल्ट की अपनी जगह पर लगने जैसी थी। अभी भी वह आदमी जमीन पर ही झुका हुआ था और किसी लीवर जैसी चीज को खींच रहा था, जिसका परिणाम एक तेज चरखी की आवाज जैसा था, यह भी एक शक्तिशाली क्लिक पर ही खत्म हुई। अब वह खड़ा हो गया और मैंने देखा कि उसके हाथ में एक राइफल जैसी चीज थी, जिसका हत्था अजीब सा था। इसने इसकी नाल को बीच में से खोलकर इसमें कुछ डाला और फिर बंद कर दिया। उसने अपनी राइफल की नाल खुली खिड़की से बाहर की ओर कर दी और मैंने देखा कि उसकी लंबी मूँछें इस पर झुकी हुई हैं। उसकी चमकती आँखें बाहर की तरफ देख रही थीं। जैसे ही मैंने उसके कंधे पर राइफल की बट को टिके देखा, मैंने राहत की साँस ली। जब उसकी निगाह के अंतिम हिस्से पर मेरी निगाह पड़ी तो मैंने उस चकित कर देनेवाले लक्ष्य को देखा, जो कि पीली पृष्ठभूमि पर एक काली आकृति थी। एक पल के लिए वह आदमी बिलकुल स्थिर हो गया और उसकी उँगली राइफल के ट्रिगर पर कस गई। तभी सनसनाती हुई तेज, देर तक और अजीब सी आवाज के साथ चमकीला शीशा टूटने की आवाज आई। ठीक उसी समय होम्स उस आदमी की पीठ पर चीते की तरह झपटे और उसे चेहरे के बल जमीन पर गिरा दिया। वह आदमी अगले ही पल उठा और उसने अपनी पूरी ताकत के साथ होम्स का गला पकड़ लिया, पर उसी समय मैंने अपने रिवॉल्वर की मूठ से उसके सिर पर चोट की और वह फिर से जमीन पर गिर पड़ा। मैं भी उस पर झपट पड़ा, तभी मेरे साथी ने एक तेज सीटी बजाई, जिसे सुनते ही कुछ दौड़ते हुए कदमों की आवाज और सामने दो वरदीधारी पुलिस के जवान आते दिखे। जिनके पास सादे कपड़ों में एक जासूस भी था। ये सभी सामने के दरवाजे से होते हुए कमरे में घुसे थे।

होम्स ने कहा, ‘‘अरे लेस्ट्रेड तुम?’’

‘‘जी हाँ, मि. होम्स! मैंने इस काम को अपने हाथ में ले लिया था। आपको फिर से लंदन में देखकर बहुत खुशी हो रही है।’’

‘‘मेरे खयाल से तुम्हें थोड़ी गैर-सरकारी सहायता की जरूरत है। पिछले एक साल में हुई तीन-तीन हत्याएँ, जिनका अपराधी नहीं मिला, क्या ये यह नहीं दिखाती हैं? किंतु तुमने मौलसे रहस्य को लग सकनेवाले समय से पहले ही पता लगा लिया था, इसीलिए मैं कहता हूँ कि तुमने बहुत ही अच्छा काम किया।’’

हम सभी खड़े थे और हमारा कैदी, जिसे उन कांस्टेबिलों ने दोनों तरफ से पकड़ रखा था, वह लंबी-लंबी साँसें ले रहा था। सड़क पर पहले से ही कुछ लोग इकट्ठे होने शुरू हो गए थे। होम्स खिड़की की तरफ आगे बढ़े और इसे बंद करके इसका परदा गिरा दिया। लेस्ट्रेड ने दो मोमबत्तियाँ जला दीं और पुलिसवालों ने अपनी लालटेनों के भी ढक्कन हटा दिए थे। मैं अब अपने कैदी का चेहरा ठीक से देख सकता था।

इस आदमी की शक्ल बहुत ही मरदानी और क्रूर थी, इसने मुड़कर हमारी तरफ देखा। एक दार्शनिक की तरह उसकी भौंहें और भोग-विलास वाले उसके जबड़े से पता चलता था कि उस आदमी में अच्छे और बुरे दोनों ही कामों को करने की पूरी क्षमता थी। प्रकृति के साधारण-खतरनाक चिह्नों को पढ़े बिना कोई भी उसकी सनकी पलकों से ढकी क्रूर नीली आँखों, खूँखार चेहरे, आक्रामक और डराने वाली नाक एवं घनी भौंहों को नहीं देख सकता था। उसने हममें से किसी पर भी ध्यान नहीं दिया, पर उसकी आँखें होम्स के चेहरे पर गड़ी हुई थीं, जिसमें घृणा और आश्चर्य दोनों का ही मिश्रण था।

वह बुदबुदा रहा था, ‘‘तुम बहुत चालाक हो।’’

होम्स ने उसके मुड़े-तुड़े कॉलर को ठीक करते हुए कहा, ‘‘ओह, कर्नल! प्रेमियों के मिल जाने से यात्राएँ खत्म हो जाती हैं। पुराने नाटक ऐसा ही कहते हैं। मुझे नहीं लग रहा है कि तुम्हें देखकर मुझे खुशी महसूस हो रही है, हालाँकि राइखेनबाख के झरने के ऊपर जब मैं लेटा था, तब तुमने मुझ पर ध्यान देने की मेहरबानी की थी।’’

कर्नल अभी भी मेरे साथी को एकटक घूरता हुआ बोला, ‘‘तुम बहुत धूर्त हो।’’

होम्स ने कहा, ‘‘मैंने अभी तक तुम्हारा इससे परिचय नहीं कराया है, यह आदमी कर्नल सेवेस्टियन मोरान है और किसी समय यह इंडियन आर्मी में था। हमारी ईस्टर्न एंपायर का यह एक बेहतरीन निशानेबाज रह चुका है। कर्नल, मैं सही कह रहा हूँ कि चीतों के शिकार में तुम्हारा कोई सानी नहीं है।’’

होम्स फिर बोले, ‘‘मेरी साधारण सी योजना ने इतने पुराने शिकारी को धोखा दे दिया। तुम्हें इसका अंदाज होना चाहिए था। क्या तुमने चीते के शिकार के लिए बछड़ा पेड़ में नहीं बाँधा है और तुमने अपनी राइफल के साथ पेड़ पर बैठकर इंतजार भी किया होगा। यह खाली मकान मेरा पेड़ है और तुम मेरे चीते। कई चीते होने की संभावना की वजह से तुमने अपने पास और भी बंदूकें रखी होंगी या तुम्हारा निशाना चूकने पर वे काम आतीं।’’

उसने दूसरी तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘ये हैं मेरी दूसरी बंदूकें, जो कि ठीक वैसी ही थीं।’’

फिर गुस्से से गुर्राता हुआ आगे की ओर झपट पड़ा, पर तभी दोनों पुलिस वालों ने उसे पकड़कर पीछे की ओर ढकेल दिया। उसके चेहरे पर भयानक गुस्सा दिख रहा था।

होम्स ने कहा, ‘‘मैं मानता हूँ कि तुमने भी मुझे थोड़ा आश्चर्य में डाल दिया था। मैंने यह नहीं सोचा था कि तुम भी इस काम के लिए इसी खिड़की का इस्तेमाल करोगे। मैंने सोचा था कि तुम सड़क से ही अपने काम को अंजाम दोगे। इसीलिए मेरे साथी लेस्ट्रेड और उसके सहयोगी वहीं तुम्हारा इंतजार कर रहे थे। मेरी वह सारी तैयारी बेकार चली गई।’’

कर्नल मोरान ने उस सरकारी जासूस की तरफ मुड़ते हुए कहा, ‘‘तुम्हारे पास मुझे गिरफ्तार करने की वजह हो सकती है और नहीं भी, पर इस आदमी का ताना सुनने की मेरे पास कोई वजह नहीं है, अगर मैं कानून के हाथ में हूँ तो कानून को अपने ढंग से काम करने दो।’’

लेस्ट्रेड ने कहा, ‘‘यह बात सही है, अब हमारे यहाँ से जाने तक आप कुछ भी नहीं कहेंगे।’’

होम्स ने वह शक्तिशाली एयरगन जमीन से उठा ली और इसके काम करने के तरीके को ध्यान से देखने लगे, फिर बोले, ‘‘यह बहुत ही बेहतरीन हथियार है। इसमें आवाज भी नहीं होती है और इसकी मारक क्षमता भी अच्छी है। मैं जानता हूँ कि इसे उस प्रोफेसर मोरिआर्टी ने अंधे जर्मन मिस्त्री से ऑर्डर देकर बनवाया था। मैं इसके बारे में कई वर्षों से जानता था, हालाँकि इसे इस तरह से परखने का अवसर मुझे पहले कभी नहीं मिला। लेस्ट्रेड, मैं इसमें लगनेवाली गोली पर भी तुम्हारा ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा।’’

लेस्ट्रेड ने कहा, ‘‘आप इसकी देखभाल के लिए मुझपर भरोसा कर सकते हैं।’’

सभी लोगों के दरवाजे की ओर चलने के साथ ही वह फिर से बोला,‘‘आप कुछ और भी कहना चाहते हैं?’’

‘‘केवल यह पूछना चाहता हूँ कि इस पर कौन सा अभियोग लगाओगे?’’

‘‘कौन सा आरोप सर? इसने शेरलॉक होम्स की हत्या का प्रयास किया है।’’

‘‘ऐसा नहीं है, लेस्ट्रेड, मैं इस मामले में आना नहीं चाहता हूँ। इसका सारा श्रेय तुम्हें जाता है। हाँ, लेस्ट्रेड! मैं तुम्हें बधाई देता हूँ। इसमें तुमने अपनी चालाकी और साहस दोनों ही इस्तेमाल किए और इसे पकड़ लिया।’’

‘‘किसे? किसे मि. होम्स?’’

‘‘यही वह आदमी है, जिसने पुलिस की सारी कोशिशें बेकार कर दी थीं—यह आदमी कर्नल सेबेस्टियन मोरान है, जिसने माननीय रोनाल्ड एडेयर की हत्या इसी एयरगन से 427, पार्क लेन के सामनेवाली खुली खिड़की से पिछले महीने की तेरह तारीख को की थी। यही इसका अभियोग है, लेस्ट्रेड।’’

‘‘वाटसन, अगर तुम उस टूटी हुई खिड़की से कुछ पाना चाहते हो तो मेरे पढ़ने वाले कमरे में आधे घंटे के लिए मेरे साथ एक सिगार पीते हुए तुम कुछ अच्छी जानकारियाँ प्राप्त कर सकते हो।’’

हमारे पुराने कमरे माइक्राफ्ट होम्स और मिसेज हडसन की देखरेख में बिलकुल पहले की ही तरह थे। जैसे ही मैं कमरे में घुसा, मैंने देखा कि वहाँ एक अप्रत्याशित व्यवस्था थी, परंतु पुराने निशान अपनी ही जगह पर मौजूद थे। मेज पर एसिड के धब्बे पड़े हुए थे। वहाँ आलमारी में बेकार और संदर्भ ढूँढ़नेवाली किताबों के ढेर लगे थे, जिनमें से बहुत सी किताबों को तो एक आम नागरिक जला देना ही पसंद करेगा। चित्र, वायलिन का डब्बा, पाइप रखने का आला, यहाँ तक कि पर्शियन चप्पलें, जिनमें तंबाकू भी पड़ी थी, भी मेरी आँखों के सामने थीं। इस कमरे में दो लोगों का दखल पहले से ही था—एक तो मिसेज हडसन, जिन्होंने हमें घुसते ही ऊपर से नीचे तक देखा और दूसरी वह मूरती, जिसने रात के रोमांच में एक अहम भूमिका अदा की थी। यह मूर्ति रंगीन मोम की थी और इसकी शक्ल मेरे साथी की बिलकुल हू-ब-हू थी। इसे एक छोटी सी टेबल पर रखा गया था और इसपर होम्स का एक गाऊन भी पड़ा था, ताकि सड़क से इसे उनके होने का भ्रम पैदा किया जा सके।

होम्स ने कहा, ‘‘मिसेज हडसन! मुझे उम्मीद है कि आपने उन सभी सावधानियों पर एक नजर डाल ली होगी।’’

‘‘सर, जैसा आपने बताया था, मैं अपने घुटनों के बल ही गई थी।’’

‘‘बहुत बढि़या। तुमने सारा काम बहुत ही अच्छे ढंग से किया था। क्या तुमने देखा कि वह गोली कहाँ गई?’’

‘‘हाँ, सर! पर मुझे डर है कि इसने आपकी खूबसूरत मूर्ति को तो बरबाद कर दिया होगा, क्योंकि वह इसके सिर को छेदते हुए दीवाल से टकराकर गिर पड़ी। मैंने उसे कालीन से उठा लिया था, यह रही!’’

होम्स ने इसे लेकर मुझे दे दिया और बोले, ‘‘वाटसन, तुम समझ ही रहे हो कि यह एक रिवॉल्वर की छोटी सी गोली है। कोई बहुत बुद्धिमान् व्यक्ति ही होगा, जो यह समझेगा कि यह गोली एयरगन से निकली है। ठीक है, मिसेज हडसन, आपके सहयोग का मैं बहुत ही आभारी हूँ। वाटसन, चलो, अब अपनी पुरानी जगह पर बैठते हैं, क्योंकि कई ऐसे विषय हैं, जिन पर मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ।’’

होम्स ने अपना फरवाला फ्रॉककोट उतार दिया और उस पुतले से अपना वही पुराना ड्रेसिंग गाऊन उठाकर पहन लिया। जब होम्स ने अपने पुतले का टूटा हुआ माथा देखा तो हँसते हुए बोला, ‘‘पुराने शिकारी दिमाग ने न तो अपना संतुलन खोया है और न ही अपनी आँखों का पैनापन।’’

‘‘मस्तिष्क को छेदती हुई सिर के पिछले भाग के ठीक बीच में इसने चोट पहुँचाई है। वह आदमी भारत का बेहतरीन शिकारी था और मुझे उम्मीद है कि लंदन में भी कुछ ही ऐसे बेहतर निशानेबाज होंगे। क्या तुमने इसका नाम सुना है?’’

‘‘नहीं, मैंने नहीं सुना है।’’

‘‘वह बहुत ही मशहूर है, पर जहाँ तक मुझे याद है, तुमने प्रोफेसर जेम्स मोरिआर्टी का भी नाम नहीं सुना होगा, जो कि इस शताब्दी का बहुत ही तेज दिमागवाला व्यक्ति था। आलमारी से उठाकर जीवनियों की सूची मुझे दे दो।’’

वे अपनी कुरसी पर बैठकर हवा में सिगार के बादल उड़ाते हुए आराम से इसके पन्ने पलटते रहे।

वे बोले, ‘एम से मेरा संग्रह काफी अच्छा है।’

‘‘मोरिआर्टी अपने आप में ही काफी विख्यात है और यहाँ है जहरखुरान मोरगन, और यह है बुरी स्मृतिवाला मेरिड्यु और अब मैथ्यु, जिसने चारिंग क्रॉस के वेटिंग रूम में मेरा बायाँ कोनेवाला दाँत तोड़ दिया था। अब आया हमारा आज की रातवाला दोस्त।’’

होम्स ने किताब मुझे दे दी और मैंने इसे जोर से पढ़ा—

कर्नल मोरान सेबेस्टियन, बेरोजगार। पहले प्रथम बैंगलोर पाइनियर्स में था। पैदाइश लंदन, सन् 1840। पुत्र—सर अगस्टस मोरान, सी.बी. पर्शिया के भूतपूर्व मिनिस्टर। शिक्षा—आक्सफोर्ड और इटान। सेवाएँ—जोबाकी कैंपेन,अफगान कैंपेन, चारासियाब, शेरपुर और काबुल। लेखक—हेवी गेम ऑफ द वेस्टर्न हिमालयाज (1881); थ्री मंथ्स इन द जंगल (1884)। पता—कानड्युट स्ट्रीट। क्लब—द एंग्लो इंडियन, टैंकर विली, द बैगाटेल कार्ड क्लब।

इसके हाशिए पर होम्स ने लिखा था—लंदन का दूसरा बेहद खतरनाक आदमी।

किताब को वापस सौंपते हुए मैंने कहा, ‘‘यह आदमी एक सम्मानित सैनिक रहा है।’’

होम्स ने जवाब दिया, ‘‘यह सच है। एक हद तक इसने कई अच्छे काम किए हैं। यह बहुत ही साहसी आदमी रहा है, इसकी कहानी अभी भी भारत में सुनाई जाती है कि शेर के आधे खाए हुए घायल आदमी के पीछे कैसे यह नाले में रेंगकर उतर गया था। वाटसन, कुछ पेड़ ऐसे होते हैं, जो एक खास ऊँचाई तक बढ़ते हैं और फिर उनमें अचानक कुछ विचित्रता सी विकसित हो जाती है। यह चीज तुम आदमियों में भी अकसर ही देखोगे। मैंने इसे एक सिद्धांत के रूप में भी महसूस किया है कि व्यक्ति के विकास में उसके पूर्वजों का बड़ा हाथ होता है और उसके जीवन में अचानक अच्छे या बुरे मोड़ इसलिए आते हैं, क्योंकि इन पर उसकी वंश-परंपरा का प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के अपने परिवार का निचोड़ जैसा होता है, व्यक्ति वैसा ही बनता है।’’

‘‘यह कल्पना भी हो सकती है।’’

‘‘खैर, मैं इस बात पर जोर नहीं दे रहा हूँ। चाहे जो भी कारण हो, कर्नल मोरान गलत आदमी बनना शुरू हो गया था। किसी खुली बदनामी के न होने पर भी भारत में उसका रुकना मुश्किल हो गया था। वह वहाँ सेवामुक्त हो गया और लंदन वापस आ गया, फिर बुराई में उसने अपना नाम रोशन कर लिया। यही वह समय था, जब उसे प्रोफेसर मारिआर्टी ने पसंद कर लिया और उसे अपने आदमियों का मुखिया भी बना दिया। मोरिआर्टी ने उसे खुले हाथों से धन दिया और वह उससे केवल एक या दो बहुत ही ऊँचे दरजे का काम लेता था, जो कि उसके साधारण अपराधी नहीं कर पाते थे। तुम्हें सन् 1887 की वह घटना शायद याद हो, जिसमें लाडेर की मिसेज स्टेवर्ड की हत्या हुई थी। नहीं? खैर, मुझे यकीन है कि इसमें भी मोरान का ही हाथ था, पर कुछ भी सिद्ध नहीं किया जा सका। कितनी चालाकी से कर्नल को छुपा दिया गया था, यहाँ तक कि जब मोरिआर्टी का गिरोह तोड़ भी दिया गया था, तब भी हम उसे अपराधी सिद्ध नहीं कर पाए थे। तुम्हें शायद वह तारीख याद होगी, जब तुमने कमरे में पूछा था कि एयरगन के डर से मुझे दरवाजों को कैसे बंद रखना चाहिए? इसमें कोई शक नहीं है कि इसे तुमने मेरी कल्पना ही समझा था। मैं अच्छी तरह से जानता था कि मैं क्या कर रहा हूँ, क्योंकि मैं इस असाधारण गन के बारे में जानता था और मुझे यह भी पता था कि इसके पीछे दुनिया का एक बेहतरीन निशानेबाज है। जब हम स्विट्जरलैंड में थे, तब इसने मारिआर्टी के साथ हमारा पीछा किया था और यही वह आदमी था, जिसने मुझे राइजेनबाख के कगार पर वे खतरनाक पाँच मिनट दिए थे।

‘‘तुम सोच सकते हो कि अपने फ्रांस के प्रवास के दौरान मैंने अखबार कितने ध्यान से पढ़ा, ताकि मैं उससे बच सकूँ। जब तक वह लंदन में आजाद घूम रहा था, मेरी जिंदगी हमेशा खतरे में थी। रात हो या दिन, उसकी काली छाया हमेशा मेरे ऊपर मँडराती थी और आखिरकार उसे मौका मिल ही गया। मैं क्या कर सकता था? मैं उसे देखते ही गोली नहीं मार सकता था, नहीं तो मैं कठघरे में होता। मजिस्ट्रेट से इस बारे में कहने में भी कोई फायदा नहीं था। वे केवल खतरनाक संदेह पर दखल नहीं दे सकते थे। इसीलिए मैं कुछ भी नहीं कर सका। किंतु मैंने अखबार की खबरों को यह जानते हुए देखता था कि कभी-न-कभी मैं उसे पकड़ ही लूँगा। तभी रोनाल्ड एडेयर की हत्या की खबर आई। आखिरकार मेरा मौका आ ही गया। मैंने जो किया, इससे क्या यह नहीं पता चलता था कि कर्नल मोरान ने ही यह काम किया है। उसने उस युवक के साथ ताश खेले और क्लब से उसके घर तक पीछा करके उसकी खुली खिड़की से उसे गोली मार दी। इसमें अब कोई संदेह नहीं है। वे गोलियाँ ही उसके गले का फंदा बन चुकी हैं। मैं जैसे ही यहाँ पहुँचा, मुझे उसके संतरी ने देख लिया और मेरे अनुसार, उसने तुरंत ही कर्नल को मेरी मौजूदगी के बारे में सूचित कर दिया होगा। उसने मेरी वापसी को इस अपराध से जोड़ने में देरी नहीं की और इसके लिए वह खूँखार तरीके से तैयार हो गया। मुझे पक्का यकीन था कि वह मुझे अपने रास्ते से हटाने की कोशिश करेगा और इसके लिए वह अपने खतरनाक हथियार का भी इस्तेमाल करेगा। मैंने उसके लिए खिड़की में एक बढि़या लक्ष्य भी रख छोड़ा था, साथ-ही-साथ मैंने पुलिस को भी बता दिया था कि उनकी जरूरत पड़ सकती है, और वाटसन! तुमने उनकी मौजूदगी दरवाजे पर बिलकुल सही समय पर देखी भी थी। मैंने न्यायिक सबूत के लिए इसका इस्तेमाल किया था, पर मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने आक्रमण के लिए वही जगह चुनेगा। वाटसन, क्या अभी भी बताने के लिए कुछ बचा रह गया है?’’

मैंने कहा, ‘‘हाँ, आपने अभी तक यह नहीं स्पष्ट किया कि माननीय रोनाल्ड एडेयर की हत्या के पीछे कर्नल का मकसद क्या था?’’

‘‘ओह, प्रिय वाटसन! जहाँ अधिकतर तार्किक दिमाग असफल होते हैं, वहाँ हम अनुमान का इस्तेमाल करते हैं। मौजूदा सबूतों के ऊपर हर कोई अपनी धारणा बनाता है और आपकी धारणा मेरी ही तरह सही भी हो सकती है।’’

‘‘तब, आप क्या कोई धारणा बना चुके हैं?’’

‘‘मेरे खयाल से वास्तविकता को बताना कठिन नहीं है। कर्नल मोरान और उस युवक एडेयर के बीच सबूतों से यह पता चला कि उन्होंने काफी अधिक धन जीता था। इसमें कोई शक नहीं है कि मोरान ने बेईमानी की थी वैसे इस बात को मैं बहुत पहले से ही जानता था। मुझे यकीन है कि एडेयर को हत्यावाले दिन ही यह पता चल गया था कि मोरान बेईमानी कर रहा है। संभव है कि उसने मोरान से अकेले में बात भी की होगी और उसकी पोल खोल देने की धमकी भी दी होगी। यह भी कहा होगा कि वह क्लब को अपना त्याग-पत्र दे दे और आगे से ताश न खेलने की कसम भी खा ले। इसमें कोई शक नहीं था कि एडेयर के जैसा युवक तुरंत ही एक जाने-माने अपनी से बड़ी उम्र के आदमी की पोल खोलकर उसकी घोर बदनामी कर देता। शायद उसने वैसा ही किया, जैसा कि मैं बता चुका हूँ। क्लब से निकाले जाने पर मोरान बरबाद हो जाता, क्योंकि उसे ताश की बेईमानी के खेल से फायदा होता था। इसीलिए उसने एडेयर की हत्या उसी समय कर दी, जब वह इसका हिसाब लगा रहा था कि उसे खुद कितना धन वापस करना है, क्योंकि उसके साथी ने बेईमानी की थी। उसने अपना दरवाजा इसलिए बंद कर लिया था कि घर की औरतें वहाँ अचानक न आ जाएँ और यह जानने की कोशिश न करने लगें कि वह इन नामों और सिक्कों को लेकर क्या कर रहा है? अब तो जो होना था, सो हो गया।’’

‘‘मुझे इसमें कोई शक नहीं है कि आपने सच्चाई को ढूँढ़ निकाला।’’

‘‘अब यह अदालत में तय होगा या नहीं होगा। चाहे जो भी हो, पर इस बीच कर्नल मोरान हमारे लिए परेशानी का कारण नहीं बनेगा। वान हर्डर की वह मशहूर एयरगन अब स्कॉटलैंड यार्ड के संग्रहालय की शोभा बढ़ाएगी।’’

शेरलॉक होम्स अब अपनी जिंदगी को फिर से उन रोचक छोटी-छोटी समस्याओं की छानबीन में लगाने के लिए आजाद था, जिसका अवसर लंदन का जटिल जीवन उसे विपुल मात्रा में देता रहता था।

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