सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (२१ फरवरी १८९६-१५ अक्टूबर १९६१) का जन्म बंगाल की
रियासत महिषादल (जिला मेदिनीपुर) में हुआ था। वह हिन्दी कहानियाँ के छायावादी युग
के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग
उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित
किया है। वे हिन्दी में मुक्तछंद के प्रवर्तक भी माने जाते हैं। वह कवि, उपन्यासकार, कहानीकार,
निबंधकार और अनुवादक थे। उनके कहानी संग्रह हैं: लिली (1934), सखी (1935), सुकुल की बीवी (1941),
चतुरी चमार (1945) सखी' संग्रह का ही नये नाम से पुर्नप्रकाशन,
देवी (1948) पूर्व प्रकाशित संग्रहों से संचयन, एकमात्र नयी कहानी 'जान की !', सीखभरी कहानियाँ-ईसप की नीतिकथाएँ (1969)